जज लोया मामले की जांच करने वाले पुलिस कमिश्नर बर्वे के परिवार को नियमों को तोड़ कर फडनवीस सरकार ने पहुंचाया फायदा

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नई दिल्ली। सीबीआई जज बीएच लोया मामले में डिस्क्रीट जांच करने वाले पुलिस अफसर संजय बर्वे को एक और ईनाम से नवाजा गया था। देवेंद्र फडनवीस सरकार ने पहले उन्हें मुंबई का पुलिस कमिश्नर बना कर ‘पुरस्कृत’ किया। और अब नई जो खबर आयी है उसके मुताबिक विधान सभा चुनाव के दौरान तत्कालीन फडनवीस सरकार ने उनके परिवार के मालिकाना वाली कंपनी को पुलिस महकमे के डिजिटाइटेशन का काम आवंटित कर दिया था।

इससे संबंधित सारे दस्तावेज इंडियन एक्सप्रेस के पास मौजूद हैं। दस्तावेज के मुताबिक विभाग ने संजय बर्वे को 7 अक्तूबर, 2019 को इस बात की सूचना दी कि महकमे के डिजिटाइजेशन के लिए क्रिस्प क्यू इंफार्मेशन टेक्नालाजी अप्रूवल (सीआईटीपीएल) के प्रस्ताव को पारित कर लिया गया है। इसकी अवधि पांच साल होगी। इसके साथ ही पत्र में पुलिस कमिश्नर दफ्तर को यह निर्देश दिया गया था कि वह उन यूनिटों और फाइलों को अंतिम रूप दे जिनका डिजिटाइजेशन होना है।

पुलिस के आला अधिकारियों ने सरकार द्वारा इस संदर्भ में बातचीत किए जाने की पुष्टि की लेकिन उनका कहना था कि कुछ तकनीकी मामलों के चलते अभी उस पर काम नहीं शुरू हो पाया है।

सीआईटीपीएल की स्थापना 10 दिसंबर, 2014 को हुई थी। संजय बर्वे की पत्नी शर्मिला बर्वे और बेटा सुमुख बर्वे इसके क्रमश: 10 फीसदी और 90 फीसदी के हिस्सेदार हैं। इस मामले में जब एक्सप्रेस ने बर्वे से संपर्क किया तो उनका कहना था कि कंपनी ने अपनी सेवाएं देने का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने कहा कि ‘प्रस्तावित सॉफ्टवेयर मुफ्त में है। और इसे लाभ के लिए मुंबई पुलिस इस्तेमाल कर सकती है। इससे वित्तीय लाभ हासिल करने का कोई सवाल ही नहीं है।’

हालांकि जिस तरह से यह प्रोजेक्ट एकतरफा तरीके से निजी कंपनी को सौंपा गया है उसको लेकर नौकरशाही में चिंता है। इसका न तो सरकार द्वारा कोई टेंडर निकाला गया और न ही दूसरी कंपनियों से कोई प्रस्ताव लिया गया। एक नौकरशाह ने बताया कि इतने बड़े आकार वाले प्रोजेक्ट की संवेदनशीलता को देखते हुए एक नई कंपनी को इसको दिया जाना कई सवाल खड़े करता है। इसमें हितों की तकरार का भी मसला आता है। एक और रिटायर्ड पुलिस अफसर ने अपना नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि इस तरह से प्रोजेक्ट का दिया जाना महकमे की गोपनीयता पर भी असर डालेगा।

कंपनी साफ्टवेयर के विभिन्न क्षेत्रों में काम करती है जिसमें वेब, मोबाइल, डेस्कटॉप एप्लिकेशन, बड़े डाटा को हैंडल करने संबंधी टेक्नालाजी, सास मॉडल आदि चीजें शामिल हैं। कंपनी का पंजीकृत दफ्तर दक्षिण मुंबई के मरीना लाइन में है। कंपनी के रिकार्ड के मुताबिक इसने 2018-19 में काम शुरू किया था। 2019 में कंपनी ने अपनी 10.56 लाख की कुल आय में में 4.53 लाख का लाभ हासिल किया था।

एक्सप्रेस द्वारा हासिल दस्तावेज दिखाता है कि कंपनी ने 30 सितंबर 2019 को सरकार से प्रस्ताव के साथ संपर्क किया था। 24 अक्तूबर को संपन्न हुए असेंबली चुनाव के लिए आचार संहिता 21 सितंबर को लागू हो गयी थी। कंपनी का पत्र सीधे गृह विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी संजय कुमार के दफ्तर को गया था। जिसमें पेपरलेस आफिस सिस्टम मुहैया कराने की बात कही गयी थी। पत्र की एक कॉपी मुख्यमंत्री के दफ्तर में भी भेज दी गयी थी।

बर्वे के बेटे सुमुख के हस्ताक्षर वाले इस पत्र में कहा गया था कि “हम नोटशीट प्लस के अपने प्लेटफार्म का प्रो बोनो आधार पर पांच साल के लिए मुंबई पुलिस को प्रस्ताव पेश करते हैं। जिसमें 100 आफिस यूनिट, पूरे दफ्तर में 10 हजार सदस्यों, 50 हजार फाइलों और 5 टेराबाइट तक की अपलोडिंग स्पेश की क्षमता मौजूद है…..अतिरिक्त कोटा की जरूरत की स्थिति में हम प्रो बोनो आधार पर कोटा को बढ़ाने में खुशी महसूस करेंगे।”

अगले 7 दिनों के भीतर विभाग ने प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी। क्योंकि प्रोजेक्ट में काम मुफ्त में किए जाने का प्रस्ताव था। इसलिए पदाधिकारियों का कहना था कि राज्य के वित्त विभाग या फिर मुख्यमंत्री दफ्तर से संस्तुति की कोई जरूरत नहीं थी। बाद में विभाग ने बर्वे के दफ्तर से संपर्क कर रिसोर्स कोटा (इकाइयों का नंबर, फाइल आदि) को अंतिम रूप देने की मांग की।

मुंबई पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि साफ्टवेयर सारे पुलिस रिकॉर्ड, शिकायतें और अफसरों के रिकार्ड को डिजिटाइज करने की इजाजत देता है। मुंबई पुलिस में कर्मचारियों की कुल संख्या 50 हजार है। आप को बता दें कि बर्वे इसी 29 फरवरी को रिटायर होने जा रहे हैं।

जब एक्सप्रेस ने एडिशनल गृह सचिव संजय कुमार से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि प्रस्ताव प्रो बोनो आधार पर स्वीकृत हुआ था। इसमें किसी भी तरह की लागत नहीं आनी थी। हम लोगों ने सीएसआर के तहत इस तरह के कई आवेदन पाए थे। उनका कहना था कि उन्हें यह बात पहले नहीं पता थी कि कंपनी का बर्वे की पत्नी और बेटे से रिश्ता है।

पूर्व मुख्यमंत्री फडनवीस ने कहा कि जहां तक समय की बात है तो उसके बारे में मुझे कुछ नहीं पता।

कंपनी के निदेशक सुमुख बर्वे का कहना था कि इसमें अभी तक किसी भी तरह के पैसे का लेन-देन नहीं हुआ है। प्रस्तावित सिस्टम तकनीकी कारणों से अभी लागू नहीं हो सका है। एक बार यह मामला हल होता है तो सिस्टम को यूजर्स की जरूरत के हिसाब से लागू किया जा सकता है। 

रिकार्ड के मुताबिक कंपनी ने 12 अगस्त, 2019 को अपने शेयर कैपिटल की राशि को 1 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़  करने का प्रस्ताव पारित किया है। रिकार्ड बताते हैं कि सितंबर, 2019 में इसे 25 करोड़ तक करने का प्रस्ताव भी पारित हो चुका है। जिसमें बांड, डिबेंचर, प्राथमिकता वाले शयेर और उसके शेयरों की निजी आवंटन की बातें शामिल हैं।

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