मणिपुर में कुकी समुदाय की दो महिलाओं को नग्न परेड कराये जाने के खिलाफ और राज्य में शांति बहाली की मांग को लेकर मिजोरम की राजधानी आइजोल में 25 जुलाई मंगलवार को लोग सड़कों पर उतरे और एकजुटता रैली निकाली। ये रैली खास तौर पर मणिपुर में कुकी-ज़ोमी समुदाय के साथ एकजुटता जताने के लिए निकाली गई जिसमें खुद मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा समेत कई मंत्रियों ने भाग लिया।
एकजुटता रैली का आयोजन एनजीओ समन्वय समिति ने किया था, जो सेंट्रल यंग मिज़ो एसोसिएशन और मिज़ो ज़िरलाई पावल सहित पांच प्रमुख नागरिक समाज संगठनों का एक समूह है। रैली में शामिल लोगों ने लंबे समय से चल रहे मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र और मणिपुर सरकार की निंदा की। उन्होंने मामले पर प्रधानमंत्री की चुप्पी और हालात से निपटने में पूर्ण रुप से विफल मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की कड़ी आलोचना की।
मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री ज़ोरमथांगा ने कहा कि मणिपुर और भारत दोनों सरकारों को मणिपुर में जातीय हिंसा का समाधान खोजने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना होगा। उन्होंने चेताया, “घाव बहुत गहरा है और इसे ठीक करना बहुत मुश्किल होगा।” रैली के दौरान लोकप्रिय मिज़ो गायकों ने एकजुटता के गीत गाए और स्वयंसेवकों ने मणिपुर से विस्थापित होकर मिज़ोरम में शरण लेने वाले कुकी-ज़ो लोगों की सहायता के लिए प्रतिभागियों से 10 लाख से अधिक रूपये एकत्र किए।
मिजोरम में कुकी-जोमी समुदाय के असंख्य लोग रहते हैं। मणिपुर में जिन दो महिलाओं के साथ घिनौनी हरकत की गई थी वे कुकी-जोमी समुदाय की थीं। मिज़ोरम के लोग मणिपुर के कुकी-ज़ोमी समुदाय के साथ एक जातीय बंधन साझा करते हैं। मणिपुर में 3 मई से शुरु हुई हिंसा के बाद कुकी-जोमी समुदाय के लोग मणिपुर से भागकर मिजोरम आ गए और मिज़ोरम ने 12,000 से अधिक विस्थापितों को शरण दिया है।
इस रैली को “मणिपुर की ज़ो जातीय जनजाति के साथ एकजुटता में” के लिए किया गया था। रैली में मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा के अलावा उपमुख्यमंत्री तावंलुइया, राज्य के मंत्री, विधायक और विपक्षी दलों के नेता भी शामिल हुए। मार्च के दौरान सीएम ज़ोरमथांगा ने कहा, “अलग-अलग पार्टियों के बावजूद, विभिन्न संगठनों के बावजूद हम सभी इस मुद्दे पर एकजुट हैं।”
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए केंद्र और मणिपुर सरकार पर दबाव बनाना जारी रखेगी। रैली को समर्थन देने के लिए सत्तारूढ़ एमएनएफ के कार्यालय बंद कर दिए गए साथ ही भाजपा, कांग्रेस और ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट ने भी अपने कार्यालय बंद रखे।
रैली में बोलते हुए, एनजीओ समन्वय समिति के अध्यक्ष आर लालनघेटा ने कहा, “श्री मोदी जी, माननीय प्रधानमंत्री, मैं आपसे एक सरल प्रश्न पूछना चाहता हूं। आप मणिपुर की स्थिति से निपटने के लिए कदम क्यों नहीं उठाते? मणिपुर में हमारे भाई अनकहे अत्याचारों से पीड़ित हैं। उनके घर जला दिये गये, उनके पूजा स्थल जला दिये गये और अपवित्र कर दिये गये। हमारी बहनों के साथ बलात्कार किया जा रहा है, उनके नग्न शरीरों को शर्मनाक तरीके से घुमाया जाता है। क्या आपको नहीं लगता कि वे भी भारतीय नागरिक हैं जो भारतीय कानून के तहत सुरक्षा के पात्र हैं?’
प्रदर्शनकारियों ने एक प्रस्ताव भी पेश किया, जिसमें केंद्र से मणिपुर के पीड़ितों को मुआवजा देने और दो महिलाओं को नग्न घुमाने में शामिल लोगों को कड़ी सजा दिलाये जाने का अनुरोध किया। इससे पहले मणिपुर हिंसा को देखते हुए मिजोरम के पूर्व चरमपंथियों के एक संगठन ने राज्य में रहने वाले मैतेई समुदाय के लोगों को सुरक्षा के मद्देनजर राज्य छोड़ने को कहा था। कुछ मैतेई लोगों के पलायन के दो दिन बाद इस मार्च का आयोजन किया गया। मार्च को देखते हुए पूरे मिजोरम में सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी।
(‘द इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘द हिंदू’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)