Saturday, April 20, 2024

मीडिया को सांप्रदायिक जुनून फैलाने के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं :त्रिपुरा हाईकोर्ट

हाल की हिंसक घटनाओं के बाद त्रिपुरा राज्य के भीतर शांति और व्यवस्था बहाल करने के लिए प्रिंट मीडिया द्वारा निभाई गई सक्रिय सकारात्मक भूमिका को स्वीकार करते हुए, त्रिपुरा हाईकोर्ट ने कहा है कि मीडिया को सच्चाई प्रकाशित करने के लिए अपनी गतिविधियों के एक हिस्से के रूप में हर अधिकार है। इसे असत्य फैलाने और सांप्रदायिक उन्माद फैलाने के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।।चीफ जस्टिस इंद्रजीत महंती और जस्टिस एस. तलापात्रा की खंडपीठ ने शुक्रवार को उत्तर त्रिपुरा जिले, उनाकोटी जिले के साथ-साथ सिपाहीजाला जिले में हिंसा के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेते हुए यह बात कही।
राज्य में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की खबरों के बाद खंडपीठ ने 26 अक्टूबर की हिंसा का संज्ञान लिया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बांग्लादेश में दुर्गा पूजा पंडालों में तोड़फोड़ की घटनाओं के बाद हिंदू संगठनों द्वारा बुलाए गए विरोध प्रदर्शनों के दौरान त्रिपुरा राज्य में हिंसा देखी गई है।
खंडपीठ ने राज्य के लिए महाधिवक्ता के इस दलील पर अपनी चिंता व्यक्त की कि लोगों को भड़काने के लिए सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे लेख या दृश्य फुटेज शेयर किए जा रहे हैं, जिनसे या तो छेड़छाड़ की गई है या वे त्रिपुरा राज्य से संबंधित नहीं हैं। खंडपीठ ने राज्य को ऐसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के खिलाफ उचित कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस तरह के झूठे, काल्पनिक या मनगढ़ंत समाचार लेख या दृश्य फुटेज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर न आएं और यदि ऐसा हुआ है तो जल्द ही ऐसे फुटेज डिलीट किए जाएं।खंडपीठ ने कहा कि यह अदालत आज से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से भी जिम्मेदारी से काम करने का आह्वान करती है।
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत एक संक्षिप्त नोट में दावा किया कि कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित किए गए थे, जो हिंसा के बारे में कुछ गलत सूचना फैला रहे थे, जिन्हें मॉर्फ किया गया था और इसमें राज्य एम सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की क्षमता थी।राज्य की उक्त रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्राथमिकी में आरोप लगाए गए हैं कि हिंसा के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों की कुछ दुकानों और घरों को जला दिया गया था। एक मस्जिद को नुकसान पहुंचाने का आरोप भी लगाया गया है।
इस पर खंडपीठ ने कहा कि हम राज्य को ऐसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के खिलाफ उचित कार्रवाई शुरू करने का निर्देश देते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस तरह के झूठे, काल्पनिक और या मनगढ़ंत समाचार लेख या दृश्य फुटेज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर न दिखाए जाएं और भले ही वे ऐसा करते हो उन्हें मौका है कि वे उन्हें शीघ्रातिशीघ्र हटा दें ।खंडपीठ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से भी जिम्मेदारी से काम करने का आह्वान किया। राज्य सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह 10 नवंबर तक सांप्रदायिक भावना को भड़काने या हिंसा को अंजाम देने की अपनी योजना के संबंध में अपनी रिपोर्ट दाखिल करे।
त्रिपुरा हाईकोर्ट ने उत्तरी त्रिपुरा जिले उनाकोटी जिले के साथ-साथ सिपाहीजाला जिले में हिंसा के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य को इसके द्वारा उठाए गए निवारक उपायों पर अपना जवाब 10 नवंबर 2021 को या उससे पहले दाखिल करने के लिए कहा और पूछा कि सांप्रदायिक उन्माद भड़काने की साजिश को नाकाम करने के लिए राज्य की क्या योजना है। खंडपीठ ने राज्य के भीतर शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की।
खंडपीठ ने जोर देकर कहा कि उसकी एकमात्र चिंता त्रिपुरा के सभी नागरिकों की के जीवन, उनकी संपत्ति और स्वतंत्रता को लेकर है। न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया कि राज्य पर कानून और व्यवस्था बनाए रखने के साथ-साथ नागरिकों को उनके जीवन, आजीविका और संपत्तियों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी है।इसके अलावा इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि विभिन्न स्थानों पर जहां सांप्रदायिक हिंसा है, विभिन्न शांति समितियों का गठन किया गया है,खंडपीठ ने ऐसे कदमों का और विस्तार देने को कहा ।
खंडपीठ ने कहा कि त्रिपुरा राज्य न केवल जिला स्तर पर बल्कि उप-मंडल स्तर पर और यदि आवश्यक हो तो पंचायत स्तर पर भी शांति समितियां बनाने पर विचार कर सकता है और हम सभी राजनीतिक दलों से ऐसी शांति प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग लेने का आह्वान करते हैं ताकि लोगों का विश्वास हो सके। राज्य में शांति बहाल हो सके और अप्रिय घटना से उपयुक्त तरीके से निपटा जा सके।
इसके अतिरिक्त यह देखते हुए कि 26 अक्टूबर 2021 को हुई हिंसा और उससे पहले हुई घटनाओं के अनुसार विभिन्न मामले दर्ज किए गए हैं,खंडपीठ ने राज्य से एक हलफनामा दायर करने का आह्वान किया, जिसमें बताया गया कि जांच किस चरण में चल रही है और जैसा कि क्या इस तरह से किसी आरोपी को पकड़ा गया है।खंडपीठ ने राज्य को इस संबंध में तत्काल कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है ताकि उन लोगों की आजीविका जल्द से जल्द बहाल की जा सके जिन्होंने अपनी आय का स्रोत खो दिया है।
स्थानीय लोगों का दावा है कि मंगलवार शाम नॉर्थ त्रिपुरा के चामटीला में कुछ अज्ञात लोगों ने मस्जिद और दुकानों में तोड़फोड़ की। हालांकि, इसे पुलिस ने अफवाह बताया। वहीं, त्रिपुरा पुलिस के अलावा केंद्रीय सुरक्षाबलों को भी तैनात किया गया है। त्रिपुरा के धर्मनगर में बुधवार को धारा 144 लागू कर दी गई।बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के विरोध में यहां विश्व हिंदू परिषद ने रैली निकाली थी।इसके बाद अफवाह फैल गई कि इस दौरान मस्जिद में तोड़फोड़ और आगजनी की गई।त्रिपुरा पुलिस ने ट्वीट कर बताया, नॉर्थ त्रिपुरा पुलिस मंगलवार की घटना के लिए कानून के मुताबिक कार्रवाई कर रही है।स्थिति काबू में है। कुछ लोग सोशल मीडिया पर अफवाह और भड़काऊ संदेश फैला रहे हैं।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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