सामने आई बीजेपी हाईकमान और वसुंधरा के बीच की जंग, चुनाव समितियों से रखा दूर

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नई दिल्ली। राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है। चुनाव होने में बमुश्किल तीन महीने बचे हैं। भाजपा चुनाव की तैयारी में लग गई है। गुरुवार को पार्टी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए तीन महत्वपूर्ण समितियों में से दो समितियों- चुनाव प्रबंधन समिति और मेनिफेस्टो कमेटी (संकल्प पत्र) की घोषणा की। दोनों समितियों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके किसी समर्थक को शामिल नहीं किया गया है।

प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा की ओर से इलेक्शन कमेटियों के नामों की घोषणा की। दोनों पदाधिकारियों की ओर से बताया गया कि इस बार मेनिफेस्टो कमेटी को संकल्प पत्र नाम दिया गया है। प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद नारायण पंचारिया को चुनाव प्रबंधन समिति और केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को स्टेट मेनिफेस्टो कमेटी का संयोजक बनाया गया है। चुनाव प्रबंधन समिति में 21 सदस्य और मेनिफेस्टो कमेटी में 25 सदस्य है।

वसुंधरा राजे की चुनाव में भूमिका के सवाल पर प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि पार्टी में कई वरिष्ठ नेता हैं, वे पार्टी के लिए प्रचार करेंगे। अभी कैंपेन कमेटी के संयोजक और उसके सदस्यों की घोषणा होना बाकी है।

फिलहाल, भाजपा नेतृत्व ने वसुंधरा राजे के बिना विधानसभा चुनाव लड़ने का जोखिम उठाने का मन बना लिया है। जिस तरह से दोनों समितियों से उन्हें दूर रखा गया, उससे संभावना यही है पार्टी हाईकमान ने उन्हें चुनाव में महत्वपूर्ण दायित्व से दूर रखने का निर्णय कर लिया है। लेकिन अभी पार्टी नेता कह रहे हैं कि सबसे महत्वपूर्ण समिति चुनाव प्रचार समिति का गठन अभी नहीं किया गया है। अब वसुंधरा और उनके समर्थकों की नजर चुनाव प्रचार समिति पर है।

गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैंपेन कमेटी के संयोजक थे। आमतौर पर कैंपेन कमेटी का संयोजक अथवा अध्यक्ष जिसे बनाया जाता है, उसे चुनाव में पार्टी का आधिकारिक चेहरा माना जाता है।

चुनाव के मद्देनजर तीन समितियां अहम होती हैं। इनमें से दो समितियों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को जगह नहीं दी गई है। उनके किसी समर्थक को भी इसमें जगह नहीं मिली है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या वसुंधरा राजे को राजस्थान से पूरी तरह से दूर रखा जाएगा? अगर ऐसा किया गया तो राज्य विधानसभा चुनाव पर क्या असर होगा?

फिलहाल, वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी सामने आने लगी है। दोनों समितियों की घोषणा के बाद प्रदेश कार्यालय में बीजेपी कोर कमेटी की बैठक शुरू हुई। बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल नहीं पहुंचे।

चुनाव प्रबंधन समिति में 21 नेताओं को जगह

प्रदेश में विधानसभा चुनाव को देखते हुए चुनाव प्रबंधन समिति में 21 नेताओं को जगह दी गई है। इसमें 1 संयोजक, 6 सह संयोजक और 14 सदस्य बनाए गए हैं। इसमें नारायण पंचारिया को संयोजक, पूर्व प्रदेश महामंत्री ओंकार सिंह लखावत, सांसद राज्यवर्द्धन राठौड़, प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश महामंत्री दामोदर अग्रवाल, पूर्व राज्य सूचना आयुक्त सीएम मीणा और कन्हैयालाल बैरवाल को सह संयोजक बनाया गया है।

संकल्प पत्र समिति में 25 नेताओं को किया शामिल

विधानसभा चुनाव के लिए तैयार होने वाले घोषणा पत्र के लिए बीजेपी ने प्रदेश संकल्प पत्र (मेनिफेस्टो) समिति का गठन किया है। इस कमेटी में 1 संयोजक, 7 सह संयोजक और 17 सदस्य बनाए गए हैं। इस कमेटी की जिम्मेदारी केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल संभालेंगे। उन्हें संयोजक बनाया गया है।

वहीं, उनके साथ राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा, राष्ट्रीय मंत्री अल्का सिंह गुर्जर, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेंद्र सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष मेहरिया, प्रदेश उपाध्यक्ष प्रभुलाल सैनी और पार्षद राखी राठौड़ को कमेटी में सह-संयोजक बनाया गया है।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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