श्रीनगर एनआईटी परिसर में विरोध-प्रदर्शन, परीक्षा के बीच में ही में सर्दियों की छुट्टियां घोषित

नई दिल्ली। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, श्रीनगर ने गुरुवार को समय से पहले ही जाड़े की छुट्टियां घोषित कर दी हैं और छात्रों को तुरंत अपना हॉस्टल छोड़ने के लिए कहा है। संस्थान ने ऐसा तब किया जब परीक्षा चल रही थी। परीक्षा बीच में ही रोक कर संस्थान ने छात्रों को अपने-अपने घर जाने के लिए कह दिया है। ये सब तब हुआ जब कथित ईशनिंदा का एक वीडियो शेयर करने पर संस्थान में विरोध-प्रदर्शन होने लगा। जिसे देखते हुए संस्थान ने ये कदम उठाया।

सरकार ने भी कश्मीर के सभी कॉलेजों में ऑफ़लाइन कक्षाएं बंद करने का आदेश दिया और कहा कि सभी कक्षाएं 1 से 31 दिसंबर तक या जाड़े की छुट्टियों तक ऑनलाइन ही होंगी।

आदेश में कहा गया है कि यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि सर्दियों की शुरुआत के कारण छात्रों को यात्रा करने में मुश्किलें हो रही थीं, कॉलेजों में हीटिंग की व्यवस्था अच्छी तरह नहीं के कारण स्थिति खराब हो गई थी। लेकिन माना जा रहा है कि यह फैसला विरोध-प्रदर्शनों को टालने के लिए लिया गया है।

मामला एक गैर-स्थानीय छात्र की ओर से पैगंबर मुहम्मद की आलोचना वाला एक वीडियो शेयर करने का है जिसके बाद छात्रों ने एनआईटी में विरोध-प्रदर्शन किया और जल्द ही ये विरोध घाटी के दूसरे संस्थानों में भी फैल गया।

श्रीनगर के इस्लामिया कॉलेज ऑफ साइंस एंड कॉमर्स ने सरकार के आदेश जारी करने से पहले ही गुरुवार 30 नवंबर को होने वाली सभी कक्षाओं और आंतरिक परीक्षाओं को निलंबित कर दिया था। इस्लामिया कॉलेज ऑफ साइंस एंड कॉमर्स और अमर सिंह कॉलेज में बुधवार को भारी विरोध प्रदर्शन हुआ।

जम्मू-कश्मीर पुलिस प्रमुख रश्मि रंजन स्वैन ने शांति भंग करने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि प्रशासन 144 सीआरपीसी के तहत एक कानून ला रहा है जो सोशल मीडिया पर संवेदनशील कंटेंट शेयर करने को अपनाध बनाएगा। उन्होंने ये भी सुझाव दिया कि ऐसे कंटेंट जिन्हें प्राप्त होते हैं अगर वो पुलिस को इसकी खबर नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है।

इन दिनों एनआईटी में परीक्षा सत्र चल रहा था। बावजूद इसके एनआईटी को बंद कर दिया गया। जबकि जाड़े की छुट्टियों में अभी एक पखवाड़े का वक्त बाकी था। संस्थान के सूत्रों के मुताबिक दर्जनों गैर-स्थानीय छात्रों को उनके गृह राज्यों की यात्रा के लिए जम्मू तक गाड़ियां उपलब्ध कराई जाएंगी। एक सूत्र ने कहा, “बाकी लोग एक या दो दिन में चले जाएंगे। छात्र अब जाड़े की छुट्टियों के बाद अपनी परीक्षा देंगे।”

हालांकि संस्थान ने कहा कि जाड़े की छुट्टियां “केवल 10 दिन पहले किया गया है” और छात्रों को पढ़ाई से संबंधित नुकसान नहीं होगा।

सूत्रों ने कहा कि कुछ दिन पहले विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया था क्योंकि पुलिस ने वीडियो शेयर करने वाले गैर-स्थानीय छात्र के खिलाफ कार्रवाई में देरी की थी। बाद में छात्र को एक साल के लिए निष्कासित कर दिया गया। पुलिस ने नफरत को बढ़ावा देने के आरोप में उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

बुधवार शाम को हालात तब और बिगड़ गए जब गैर-स्थानीय छात्रों ने उनके समर्थन में रैली निकाली और राष्ट्रवादी नारे भी लगाए।

एनआईटी के सूत्र ने कहा कि “आज (गुरुवार) परिसर में और उसके आस-पास बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद थे। शुक्र है, कोई झड़प नहीं हुई लेकिन चीजें काबू से बाहर हो सकती थीं। यही कारण है कि एनआईटी को तय समय से पहले बंद कर दिया गया है।“

एनआईटी के एक पूर्व प्रोफेसर ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए द टेलीग्राफ को बताया कि “देश के अलग-अलग जगहों से हजारों छात्र वहां पढ़ते हैं। पूरे कश्मीर में यह अकेला संस्थान है जिसमें भारी संख्या में गैर-स्थानीय छात्र और शिक्षाविद मौजूद हैं।”

कश्मीर में कई लोगों का मानना है कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने मुस्लिम-बहुल जनसंख्या को बदलने की कोशिश करने के लिए जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म कर दिया है।

पूर्व प्रोफेसर ने कहा कि, “संस्थान अच्छी तरह से संरक्षित है और साल भर की विकास गतिविधियों का गवाह है, जैसा कि घाटी में कोई दूसरा शैक्षणिक संस्थान नहीं है।”

उन्होंने कहा कि “बहुत सारे निर्माण कार्य चल रहे हैं, हालांकि यह संस्थान डल झील के तट पर है (जहां निर्माण कार्य की अनुमति प्राप्त करना बहुत मुश्किल है)। पहले, गैर-स्थानीय छात्रों के बाहर जाने पर बहुत सारे रोक थे लेकिन बाद में उनमें ढील दे दी गई। छात्र आपस में अच्छे से घुल-मिल गए हैं और सालों बाद पहली बार इस तरह का तनाव हुआ है।”

इससे पहले 2016 में, वेस्टइंडीज के खिलाफ वर्ल्ड टी-20 सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद परिसर में गैर-स्थानीय और स्थानीय छात्रों के बीच झड़प हुई थी।

लेकिन 2019 में, विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने के बाद फिर से खुलने वाला यह पहला शैक्षणिक संस्थान था, जबकि दूसरे संस्थान महीनों तक बंद रहे।

(‘द टेलिग्राफ’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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