Saturday, April 27, 2024
प्रदीप सिंह
प्रदीप सिंहhttps://www.janchowk.com
दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

विपक्षी दलों ने की ओबीसी कोटे के साथ महिला आरक्षण को जल्द लागू करने की मांग

नई दिल्ली। महिला आरक्षण विधेयक 2023 पर लोकसभा में चर्चा हो रही है। विपक्षी दलों की महिला सांसद इस चर्चा में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं। विपक्षी दलों ने ओबीसी महिलाओं को भी महिला आरक्षण में शामिल करने की मांग की है। लेकिन अधिकांश दल महिला आरक्षण का श्रेय लेने में लगे हैं। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महिलाओं को आरक्षण देने की पहल के लिए राजीव गांधी को याद किया तो तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि ममता बनर्जी ने बंगाल में महिलाओं को लगभग 40 प्रतिशत आरक्षण दिया है। इसी तरह से वाईएसआर कांग्रेस, डीएमके के सांसद भी बहस के दौरान अपनी-अपनी पार्टी को महिला सशक्तिकरण का चैंपियन बता रहे हैं। लेकिन विपक्षी दलों ने महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने की मांग को जोरदार तरीके से उठाया।

कांग्रेस हमेशा से महिलाओं की भागीदारी चाहती थी: रंजीत रंजन

कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा कि “हम महिला आरक्षण बिल का स्वागत करते हैं। कांग्रेस हमेशा से चाहती थी कि महिलाओं की भागीदारी हो। 9 मार्च 2010 को हमने इसे राज्यसभा में भी पास कर दिया… हम चाहते हैं कि महिला आरक्षण बिल पास हो लेकिन यह ‘झुनझुना’ है… अगर वे महिलाओं के साथ होते तो 2021 में जनगणना कर चुके होते और अब तक बिल लागू हो गया होता। अब परिसीमन होगा। उनकी मंशा साफ नहीं है।”

पुरुष-प्रधान संसद ने महिलाओं को धोखा दिया: हरसिमरत कौर बादल

शिरोमणि अकाली दल की (SAD) सांसद हरसिमरत कौर बादल लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर बहस में बोलती हैं, “543 सांसदों के सदन में, हम में से 78 महिला सांसदों को जिन्होंने हजारों पुरुषों के खिलाफ इस सदन तक पहुंचने के लिए लड़ाई लड़ी है, पता था कि महिला आरक्षण बिल लाया जा रहा है, लेकिन 24 घंटे में ही उम्मीदें टूट गईं। डिटेल में पता चला कि बिल जनगणना और परिसीमन के बाद लागू होगा…आपको बिल लाने में साढ़े नौ साल क्यों लग गए? आज कोई अंतिम तारीख नहीं है कि इस सदन में महिलाओं को 33% आरक्षण कब मिलेगा। जब आप इसे लागू नहीं कर रहे थे तो आप यह विधेयक क्यों लाए? इस पुरुष-प्रधान संसद ने महिलाओं को धोखा दिया और आज भी यह धोखा था।”

महिला आरक्षण विधेयक महिलाओं को छलने का जुमला: राजीव रंजन सिंह

जेडीयू के सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक का जेडीयू समर्थन करता है। क्योंकि जेडीयू महिला सशक्तिकरण का पक्षधर हैं। लेकिन भाजपा महिला आरक्षण को लागू नहीं करना चाहती। महिलाओं को छलने के लिए यह 2024 का चुनावी जुमला है। पहले दो करोड़ रोजगार का वादा करके नौजवानों को छला अब महिलाओं को छलने की चाल चली है। अगर इनकी मंशा साफ होती तो 2021 में जाति आधारित जनगणना प्रारम्भ कराया होता। अब तक जनगणना पूरी हो गयी होती और महिला आरक्षण को लागू कर दिया जाता। लेकिन आपकी (मोदी सरकार) मंशा गरीबों, पिछड़ों औऱ अति दलितों को सम्मान देने की नहीं है। बिहार सरकार ने महिलाओं को हर नौकरी में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया है। भाजपा सरकार को बिहार सरकार से सीखना चाहिए।

टीएमसी में 37 प्रतिशत महिला सांसद : महुआ मोइत्रा

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने बुधवार को महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ‘मदर ऑफ बिल’ बताया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने पहले से ही लोकसभा में महिलाओं को पर्याप्त जगह दी है, वे असल मायने में ‘मदर ऑफ बिल’ हैं। सरकार को महिला आरक्षण पर जल्द से जल्द कानून बनाना चाहिए। महिलाओं को बराबर का अधिकार मिलना चाहिए। महुआ मोइत्रा ने महिला आरक्षण बिल पर हो रही देरी को लेकर अपनी निराशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि आज मेरे लिए गर्व और शर्म की बात है कि आजादी के 75 साल बाद मैं संसद में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा में शामिल हो रही हूं।

महुआ मोइत्रा ने कहा कि ये मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं टीएमसी से जुड़ी हूं एक ऐसी पार्टी जहां संसद पहुंचने वाले सदस्यों में 37 फीसदी महिलाएं हैं। लेकिन ये मेरे लिए दुख की बात है कि मैं उस संसद से ताल्लुक रखती हूं जहां मात्र 15 फीसदी सदस्य महिलाएं हैं जो अंतरराष्ट्रीय मानकों से कम है। महुआ ने कहा कि संसद में दलित और मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगातार कम होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि 17वीं लोकसभा में मात्र 2 मुस्लिम महिलाएं हैं और वे दोनों ही पश्चिम बंगाल से हैं और दोनों ही तृणमूल कांग्रेस से हैं।

ममता बनर्जी के दृष्टिकोण को साकार होते देखकर हो रही खुशी: काकोली घोष दस्तीदार

लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर बहस के दौरान टीएमसी सांसद डॉ. काकोली घोष दस्तीदार ने कहा, “हमें वास्तव में हमारी नेता ममता बनर्जी के दृष्टिकोण को साकार होते देखकर खुशी हो रही है, जहां महिलाओं के वास्तविक अधिकारों को मान्यता दी जा रही है। पश्चिम बंगाल देश का एकमात्र राज्य है जहां महिला मुख्यमंत्री है। देश में किसी भी अन्य पार्टी की तुलना में हमारे पास अधिक महिला मंत्री हैं। बंगाल में स्वास्थ्य, कानून और उद्योग जैसे महत्वपूर्ण विभाग महिलाओं के पास हैं। बिल पश्चिम बंगाल में पहले ही लागू हो चुका है। पश्चिम बंगाल राज्य में तृणमूल कांग्रेस की लगभग 40 प्रतिशत महिला सदस्य हैं। यह बिल 2014 में आना चाहिए था, चुनाव से पहले सिर्फ दिखावा करने के लिए नहीं। ”

भाजपा की मानसिकता महिला विरोधी: सुप्रिया सुले

एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने महिला आरक्षण बिल पर बहस के दौरान कहा कि भाजपा की मानसिकता महिला विरोधी है। उन्होंने कहा कि “निशिकांत दुबे ने कहा कि इंडिया गठबंधन उन लोगों के पक्ष में है जो महिलाओं को नीचा दिखाते थे और अपमानजनक बातें करते थे”…महाराष्ट्र में बीजेपी के एक प्रमुख थे। उन्होंने मुझे व्यक्तिगत रूप से टेलीविजन पर कहा– “सुप्रिया सुले घर जाओ, खाना बनाओ, देश कोई और चला लेगा। हम लोग चलाएंगे।” यही है बीजेपी की मानसिकता।”

ओबीसी, एससी और अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं को आरक्षण मिले: डिंपल यादव

महिला आरक्षण बिल पर समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा कि “क्रांति के बिना विकास संभव नहीं है। हमारे देश में विकास हो, इसके लिए यह बहुत जरूरी है कि ओबीसी, एससी और अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं को आरक्षण मिले। अगर सरकार की मंशा सकारात्मक है और वो सोचते हैं कि महिलाओं को उनका अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए तो हम मांग करते हैं कि इसमें अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग की महिलाओं को भी शामिल किया जाए। जनगणना कब होगी और क्या जाति आधारित जनगणना होगी। परिसीमन प्रक्रिया कब शुरू होगी क्योंकि दोनों एक-दूसरे से संबंधित हैं… इन दोनों पर महिला आरक्षण विधेयक पर निर्भर है।”

गोपनीय तरीके से विधेयक क्यों लाया गया: कनिमोझी

डीएमके सांसद कनिमोझी ने महिला आरक्षण विधेयक पर बहस में भाग लेते हुए संसद में कहा कि “मैंने खुद आरक्षण बिल लाने का मुद्दा संसद में कई बार उठाया है। विधेयक लाने के पहले सरकार को सभी हितधारकों, राजनीतिक दलों को शामिल करना चाहिए था और इस पर आम सहमति बनाना था। मैं जानना चाहूंगी कि किस तरह की आम सहमति बनी। क्या चर्चाएं हुईं। यह विधेयक गोपनीय तरीके से लाया गया। हमें नहीं पता कि यह सत्र किस लिए बुलाया गया था।”

महिला आरक्षण जरूरी: नीतीश कुमार

महिला आरक्षण बिल पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि “महिला आरक्षण जरूरी है और हम शुरू से ही इसकी मांग कर रहे हैं… वे इसे लागू नहीं करेंगे इसलिए उन्हें जो करना था वह करना चाहिए था… हमने उनसे जाति आधारित जनगणना करने को कहा है हमने इसकी मांग की है।”

महिला आरक्षण को जल्द से जल्द लागू किया जाए: मायावती

बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा कि “हमारी पार्टी सरकार से अपील करती है कि वह इन दोनों प्रावधानों को बाहर कर दे या फिर कोई ऐसा रास्ता निकाले जिससे महिलाओं को आरक्षण जल्दी मिल सके। क्योंकि पुरुषों की तुलना में सभी महिलाएं अभी भी पीछे है।”

सरकार को जल्द महिला आरक्षण लागू करना चाहिए: सुशील गुप्ता

महिला आरक्षण विधेयक पर AAP सांसद सुशील गुप्ता ने कहा कि “कल जब हमने बिल की कॉपी देखी तो उसमें 2024 के लिए कोई प्रावधान नहीं था। साफ लिखा है कि आने वाले समय में इसका पालन किया जाएगा। इसमें 10 या 20 साल लग सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो महिलाओं को अधिकार देने के बारे में है, मोदी सरकार को 2024 में इसे लाने के लिए एक नीति बनानी चाहिए।”

महिला आरक्षण विधेयक में कई कमियां हैं: उमर अब्दुल्ला

महिला आरक्षण विधेयक पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि “इस बिल में खामियां हैं। हम उन खामियों को दूर करने के लिए काम करेंगे। तथ्य यह है कि इसे लागू करने में इतना समय लगेगा, यह अपने आप में बिल की एक बड़ी खामी है। मुझे नहीं समझ में आ रहा है कि यह कैसे संभव होगा। हम विधेयक के समर्थन की घोषणा कर रहे हैं जिसके बारे में हमारा मानना है कि इसमें अभी भी कमियां हैं।”

वाईएसआर कांग्रेस महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करती है: विजयसाई रेड्डी

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद विजयसाई रेड्डी ने कहा कि “हमारी पार्टी के अध्यक्ष वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने फैसला किया है कि हमें महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करना चाहिए और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी पहले ही इसे आंध्र प्रदेश राज्य में लागू कर रही है और हम इस विधेयक को पूरा समर्थन देंगे।”

महिला आरक्षण पर नरेंद्र मोदी की मंशा को देश के सामने रखेंगे: संजय सिंह

महिला आरक्षण बिल पर आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि “यह निश्चित रूप से महिला आरक्षण विधेयक नहीं है, यह ‘महिला बेवकूफ बनाओ’ विधेयक है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद से उनके द्वारा किए गए कोई भी वादे पूरे नहीं हुए हैं। यह क्या उनके द्वारा लाया गया एक और ‘जुमला’ है…यदि आप विधेयक लागू करना चाहते हैं, तो AAP पूरी तरह से आपके साथ खड़ी है, लेकिन इसे 2024 में लागू करें। क्या आपको लगता है कि देश की महिलाएं मूर्ख हैं? महिला विरोधी भाजपा एक और ‘जुमला’ लेकर आई है। बिल के नाम पर जुमला। देश की महिलाएं, राजनीतिक दल इन चुनावी हथकंडों को समझते हैं। इसलिए हम कहते हैं कि अगर उनकी मंशा साफ है तो 2024 में इसे लागू करें।”

(प्रदीप सिंह जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।)

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