उच्चतम न्यायालय से मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह को कोई राहत नहीं मिली। उन्हें हाल ही में मुंबई के एक मजिस्ट्रेट ने जबरन वसूली के एक मामले में पेश नहीं होने के बाद भगोड़ा घोषित किया है। राहत देने से इनकार करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा है कि परमबीर सिंह को उस समय तक राहत नहीं दी जा सकती, जब तक वे यह नहीं बतायेंगे कि वे कहां हैं। दरअसल परमबीर सिंह ने गिरफ्तारी से राहत देने की गुहार लगायी थी,लेकिन पीठ ने याचिका ठुकराते हुए पूछा, पहले यह बताइए कि आप हैं कहां? भारत में हैं या बाहर? इसके बिना याचिका सुनी जा सकती। पीठ का कहना था कि आरोपी जांच में शामिल नहीं हुआ, वकीलों को भी जानकारी नहीं कि वह कहां हैं?
सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि आप (परमबीर सिंह) किसी जांच में शामिल नहीं हुए हैं। आप सुरक्षा आदेश मांग रहे हैं। हमारा शक गलत हो सकता है लेकिन अगर आप कहीं विदेश में हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं तो हम इसे कैसे दे सकते हैं? पीठ ने परमबीर सिंह के वकील से कहा है कि वे 22 नवंबर तक बतायें कि परमबीर सिंह कहां हैं। वहीं, परमबीर सिंह की ओर से कोर्ट में कहा गया कि अगर मुझे सांस लेने की इजाजत मिले तो गड्ढे से बाहर आ जाऊंगा। मामले की अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी।
परमबीर सिंह का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पुनीत बाली ने उत्तर दिया कि उनके मुवक्किल के ठिकाने के बारे में काउंसल-ऑन-रिकॉर्ड को पता चल जाएगा। जस्टिस कौल ने काउंसल-ऑन रिकॉर्ड से जवाब मांगा, जिन्होंने जवाब दिया कि उन्हें सिंह के वर्तमान स्थान के बारे में जानकारी नहीं है। पीठ ने कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों से व्यवस्था में विश्वास की कमी होती है, आप जांच में शामिल नहीं हुए, कोई नहीं जानता कि आप कहां हैं?
पीठ ने एक उदाहरण दिया कि यदि यह मान लिया जाए कि सिंह देश से बाहर हैं और लौटने की शर्त के रूप में एक अनुकूल अदालत के आदेश की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जस्टिस कौल ने कहा कि केवल अदालत का आदेश आपके पक्ष में है, आप आएंगे, कोई सुरक्षा नहीं और कोई सुनवाई नहीं। पहले, जवाब दें कि वह कहां हैं। दुनिया या देश के कौन से हिस्से में हैं?
पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कथित रंगदारी के एक मामले में सुरक्षा आदेश देने की मांग की गई थी। पीठ ने मामले को सोमवार को आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया है और सिंह के वकील से उनके वर्तमान स्थान का खुलासा करने को कहा है। इस हफ्ते की शुरूआत में, मुंबई में एक मजिस्ट्रेट की अदालत ने सिंह को उनके और शहर के अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जबरन वसूली के एक मामले में ‘घोषित अपराधी’ घोषित किया था।
मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने यह कहते हुए उद्घोषणा की मांग की थी कि उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद भी उसका पता नहीं लगाया जा सका है। पिछले मामले में, सीबीआई के खिलाफ महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि सिंह की अनुपस्थिति अच्छी स्थिति नहीं है और ऐसी चीजें न्यायिक प्रणाली में विश्वास की कमी का कारण बनती हैं।
गत 22 जुलाई को मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन ने परमबीर सिंह, पांच अन्य पुलिसकर्मियों और दो अन्य लोगों के खिलाफ एक बिल्डर से कथित तौर पर 15 करोड़ रुपये मांगने के आरोप में केस दर्ज किया था। आरोप है कि आरोपियों ने एक-दूसरे की मिलीभगत से शिकायतकर्ता के होटल और बार के खिलाफ कार्रवाई का डर दिखाकर 11.92 लाख रुपये की उगाही की थी। इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच कर रही है। उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद भी उनका कोई अतापता नहीं है।
परमबीर सिंह ने मुंबई के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार और जबरन वसूली का आरोप लगाया था। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में उन्होंने देशमुख पर हस्तक्षेप करने और हर महीने 100 करोड़ रुपये तक की जबरन वसूली करने के लिए पुलिस का उपयोग करने का आरोप लगाया था। उन्होंने मुकेश अंबानी बम मामले में जांच धीमी होने पर पद से हटाए जाने के कुछ दिनों बाद यह पत्र लिखा था।
(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)
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