नई दिल्ली। नक्सलियों से कथित संबंधों के आरोप में नागपुर सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जीएन साईबाबा 28 अक्तूबर से 6 नवंबर तक 10 दिनों की भूख हड़ताल पर थे। लेकिन इसकी जानकारी जेल प्रशासन और सरकार ने उनके परिजनों को नहीं दी। यह बात तब पता चली है जब खुद साईबाबा ने कल अपने परिजनों से फोन पर बात की। यह जानकारी उनके बचाव और रिहाई के लिए गठित कमेटी ने एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिये दी है।
कमेटी ने बताया है कि साईबाबा की इस भूख हड़ताल की खबर को जेल प्रशासन ने दबा दिया था। उसका कहना है कि साईबाबा के परिवार के सदस्यों के साथ कमेटी के लोग जेल प्रशासन को फोन, ईमेल और सन्देश भेजकर यह जानने का प्रयास करते रहे कि साईबाबा भूख हड़ताल पर हैं या नहीं? लेकिन जेल प्रशासन ने कोई जवाब या सूचना नहीं दी और उनके अनशन की सूचना को जानबूझकर दबा कर रखा।
कमेटी ने यह भी दावा किया है कि जेल प्रशासन ने साईबाबा के वकील को भी उनसे मिलने नहीं दिया। न ही इस बारे में वकील को कोई सूचना दी। जेल प्रशासन ने परिवार के लोगों से बात भी नहीं करने दी जब वे भूख हड़ताल पर थे। इस तरह से जेल प्रशासन ने उनके अनशन की ख़बर को दबा दिया।
परिवार और कमेटी के लोगों को कल ही यह सूचना मिली जब उन्होंने मासिक फोन कॉल के नियम के तहत परिवार से बात की। साईबाबा ने 10 दिन बाद कल यानी 6 नवम्बर को अपना अनशन खत्म किया जब जेल प्रशासन ने उनकी मांगों को पूरा करने पर राजी हुआ।
भूख हड़ताल से कमजोर होने के कारण उनको अभी I-V ड्रिप पर रखा गया है। कमेटी ने जेल प्रशासन से मांग की है कि वह जेल में कैद व्यक्ति के सभी क़ानूनी अधिकार सुरक्षित किये जाएं और परिवार के सदस्यों को कैदी के स्वास्थ्य के बारे में सूचना दे।
कमेटी ने जेल प्रशासन के व्यवहार की निंदा की है। वहीं कमेटी ने इस बात पर ख़ुशी जाहिर की है कि साईबाबा भूख हड़ताल के बाद भी सुरक्षित हैं। कमेटी ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि जेल प्रशासन साईबाबा को कमजोरी से उबरने के लिए आवश्यक चिकित्सा सेवा और दवाएं और पूरक आहार उपलब्ध करवाएगा।
कमेटी ने प्रशासन से साईबाबा की मांगों को जल्द से जल्द पूरी करने की मांग की है।
ज्ञात हो कि इससे पहले प्रोफेसर साईबाबा ने अपनी मांगों को लेकर बीते 21 अक्तूबर से भूख हड़ताल पर बैठने की धमकी दी थी, जिसके बाद जेल प्रशासन द्वारा उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन देने के बाद उन्होंने अनशन का फैसला रद्द कर दिया था।
आपको बता दें कि साईबाबा की पत्नी एएस वसंता कुमारी का कहना है कि उन्हें पाठन सामग्री मुहैया नहीं कराई जा रही है। इसके साथ ही उन्हें दवाइयां और कपड़े नहीं उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
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