जमशेदपुर शहर के बुद्धिजीवियों, सोशल एक्टिविस्ट और नागरिक समाज के लोगों ने साकची गोल चक्कर पर इकट्ठा होकर सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी का प्रतिवाद किया। विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों ने कहा कि केंद्र सरकार ने बीमार एवं बुजुर्ग स्टेन स्वामी को जिस तरह से गिरफ्तार किया है, वह अत्यंत अमानवीय है। विगत कई वर्षों से यह देखने में आ रहा है कि जो भी इस सरकार का विरोध करता है, उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसा कर जेलों में बंद किया जा रहा है। भीमा-कोरेगांव एवं दिल्ली दंगे में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और वकीलों को फंसाया गया है, उन्हें जेल में बंद किया गया है।

केंद्र सरकार न केवल लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन कर रही है, बल्कि देश के फेडरल ढांचे को भी ध्वस्त करने में लगी हुई है। यूएपीए, एनएसए एवं राजद्रोह कानून का धड़ल्ले से दुरुपयोग हो रहा है। वैसे भी ये कानून औपनिवेशिक हित एवं परंपरा का प्रतिनिधित्व करती हैं। अक्सर इन कानूनों का इस्तेमाल लोकतांत्रिक आंदोलनों और प्रयासों को कुचलने में किया गया है।
प्रदर्शन में शामिल लोगों ने मांग की कि स्टेन स्वामी समेत तमाम राजनीतिक बंदियों की बिना शर्त रिहाई की जाए। इसके साथ ही UAPA-NSA और राजद्रोह कानून को रद्द करने के साथ ही फेडरल ढांचे को बरकार रखने की मांग की। बता दें कि एनआईए की टीम ने भीमा कोरेगांव मामले में 8 अक्तूबर को रांची स्थित निवास बगईचा से स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया है। इसके बाद उन्हें मुंबई ले जाया गया है।

प्रदर्शन में शामिल होने वालों में मदन मोहन, कुमार चंद्र मार्डी, सुजय राय, मंथन, निशांत अखिलेश, अरविंद अंजुम, ऋषभ, रंजन, विकास कुमार, प्रशांत, अंकित, बाबलु, मुखर्जी, शशि कुमार, सुजय राय, कुमार, ओमप्रकाश, डॉ. राम कवींद्र, जगत, दीपक, रंजीत, डेमका सोय, बीएन प्रसाद, विजेंद्र शर्मा, सुभाष चंद्र गुप्ता, अविनाश कुमार, अजय शर्मा, बसंती लकड़ा, धर्मराज हेम्ब्रम, शंकर नायक, फादर फ्रांसिस, फादर डेविड, सिस्टर हिल्डा, उजागिर यादव, रवींद्र प्रसाद आदि शामिल हुए।
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