राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द, देश की सियासत में तूफान

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नई दिल्ली। कांग्रेस को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा। लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी है। 23 मार्च को ‘मोदी सरनेम’ विवाद में राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाए जाने के दूसरे दिन लोकसभा सचिवालय ने यह निर्णय लिया है। इस खबर के आते ही देश की सियासत में तूफान जैसा माहौल है।

कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, “राहुल गांधी जी की लोकसभा सदस्यता ख़त्म कर दी गई। वह आपके और इस देश के लिए लगातार सड़क से संसद तक लड़ रहे हैं, लोकतंत्र को बचाने की हर सम्भव कोशिश कर रहे हैं। हर षड्यंत्र के बावजूद वह यह लड़ाई हर क़ीमत पर जारी रखेंगे और इस मामले में न्यायसंगत कार्यवाही करेंगे। लड़ाई जारी है।”

लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता को रद्द करने संबंधी जारी अधिसूचना में कहा है कि, “C.C. /18712/2019 मामले में चीफ जुडीशियल मजिस्ट्रेट, सूरत की अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने पर वायनाड से सांसद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द की जाती है।”

लोकसभा सचिवालय ने इस आशय का पत्र राष्ट्रपति सचिवालय, प्रधानमंत्री सचिवालय, राज्यसभा सचिवालय, चुनाव आयोग, केंद्रीय मंत्रियों, भारत सरकार के सभी विभागों, केरल के मुख्य चुनाव आयुक्त, पार्लियामेंट हाउस के इस्टेट ऑफिसर को भेज दिया है।

पार्लियामेंट के संपत्ति अधिकारी अब राहुल गांधी से उनके 12 तुगलक लेन स्थित आवास को खाली करने को कह सकते हैं। ऐसे में संसद सदस्यता जाने के बाद राहुल से उनका सरकारी आवास भी छिन सकता है।

लोकसभा सचिवालय की अधिसूचना

संसद हंगामे की वजह से चलने की बजाए स्थगति हो जा रही है। विपक्षी सांसद अडानी समूह पर जेपीसी की मांग कर रहे थे कि बीच में ही राहुल गांधी का कैंब्रिज में दिया गया भाषण विवाद का कारण बन गया। अब ‘मोदी सरनेम’ विवाद में राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई गई है।राज्यसभा सांसद एवं सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस मामले में कानूनी प्रक्रियाओं को नजरंदाज किया गया है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता को रद्द करने को पहले चोरी में सहयोग फिर जातिवादी राजनीति का प्रयोग बताया है। उन्होंने ट्वीट किया कि मोदी सरकार JPC से भाग नहीं सकती!

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2019 में एक सभा मोदी सरनेम को लेकर एक टिप्पणी की थी। इस मामले में स्थानीय भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस किया था। जिसमें कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने उन्हें दो साल की जेल की सजा सुनाई। हालांकि, मामले में उन्हें तुरंत ही जमानत भी मिल गई।

राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने के बाद कांग्रेस-भाजपा में जुबानी जंग तेज हो गयी है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश बताया है। प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया कि, ‘डरी हुई सत्ता की पूरी मशीनरी साम, दाम, दंड, भेद लगाकर राहुल गांधी की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है।’

पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के अधिकांश मंत्री लंबे समय से कांग्रेस नेता राहुल गांधी और न्यायपालिका को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं। सत्तारूढ़ दल के अधिकांश नेताओं का कांग्रेस, राहुल गांधी और गांधी-नेहरू परिवार पर हमला तो समझ में आता था लेकिन केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू का सुप्रीम कोर्ट को कटघरे में खड़ा करना, समझ से परे रहा। लेकिन यह अब खुलकर सामने आया कि केंद्र सरकार का न्यायपालिका पर हमला एक सुनियोजित चाल है। दरअसल, सत्तारूढ़ भाजपा न्यायपालिका को कमजोर कर विपक्षी नेताओं को कानून का दुरुपयोग करके सजा दिलाना चाहती है।

राहुल गांधी लंबे समय से भाजपा के निशाने पर हैं। सत्ता में आने के बाद से पीएम नरेंद्र मोदी जब-तब राहुल गांधी, सोनिया गांधी के साथ जवाहर लाल नेहरू और कांग्रेस पर टिप्पणी करते रहते हैं। भाजपा हजारों करोड़ रुपये खर्च करके राहुल गांधी को कमजोर और नासमझ साबित करने में नाकाम रही। भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी के अंदर एक परिपक्वता दिखने लगी, भाजपा राहुल के इस नए रूप से परेशान हो गई। जिसके बाद राहुल गांधी सबक सिखाने के लिए दांव चलने लगी।

राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म हो गई है। हालांकि, राहुल को अपनी सदस्यता को बचाए रखने के सारे रास्ते बंद नहीं हुए हैं। वो अपनी राहत के लिए हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं, जहां अगर सूरत सेशन कोर्ट के फैसले पर स्टे लग जाता है तो सदस्यता बच सकती है। हाईकोर्ट अगर स्टे नहीं देता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से अगर स्टे मिल जाता है तो भी उनकी सदस्यता बच सकती है। लेकिन अगर ऊपरी अदालत से उन्हें राहत नहीं मिलती तो राहुल गांधी 8 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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