रूस ने बनाई दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन, राष्ट्रपति पुतिन ने खुद किया एलान

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रूस ने दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन तैयार कर ली है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुद इसका एलान किया। यही नहीं वैक्सीन के प्रति विश्वास बढ़ाने के लिए उन्होंने अपनी बेटियों को भी टीका लगवाया है। वैक्सीन बनाने की होड़ में अमरीका से आगे निकले रूस में जल्द ही आम लोगों को वैक्सीन दी जाएगी। माना जा रहा है कि नवंबर में होने वाले अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव पर इसका असर हो सकता है।

दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस को मात देने के लिए कई देशों में वैक्सीन पर काम चल रहा है। भारत समेत कुछ देशों में वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल भी शुरू हुआ है, लेकिन इन सबको पीछे छोड़ते हुए रूस ने दुनिया की पहली कोविड 19 वैक्सीन बना ली है। इसका एलान खुद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने किया। उन्होंने कहा, “इस सुबह दुनिया में पहली बार, नए कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्‍सीन रजिस्‍टर्ड हुई।” उन्‍होंने बताया कि रूस के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने वैक्‍सीन को अपनी मंजूरी दे दी है।  

रायटर के हवाले से खबर है कि राष्‍ट्रपति पुतिन ने वैक्सीन पर काम करने वाले सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया है। पुतिन ने कहा कि वैक्‍सीन सभी जरूरी टेस्‍ट से हो कर गुजरी है और उनकी दोनों बेटियों को भी टीका लगाया गया है। वे ठीक महसूस कर रही हैं। एडेनोवायरस को बेस बनाकर इस वैक्‍सीन को तैयार किया है।

उधर, पश्चिम देश इस वैक्सीन पर सवाल भी उठा रहे हैं। उनका कहना है कि रूस ने वैक्‍सीन लॉन्‍च करने में जल्‍दबाजी दिखाई है। उनका आरोप है कि वैक्सीन का जरूरी ट्रायल नहीं किया गया है। वहीं मल्‍टीनेशनल फार्मा कंपनीज की एक लोकल एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि क्लिनिकल ट्रायल पूरा किए बिना वैक्‍सीन का सिविल यूज खतरनाक हो सकता है।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मिखाइल मुराशको को भेजी चिट्ठी में एसोसिएशन ऑफ क्लिनिकल ट्रायल्‍स ऑर्गनाइजेशन ने कहा है कि अभी तक 100 से भी कम लोगों को डोज दी गई है, ऐसे में बड़े पैमाने पर इसका इस्‍तेमाल खतरनाक हो सकता है।

सेशेनॉव यूनिवर्सिटी के टॉप साइंटिस्ट वादिम तारासॉव ने कहा कि वायरस कैसे फैलते हैं, देश में 20 साल से इस पर रिसर्च की जा रही थी। इन्हीं बीस सालों की मेहनत का नतीजा है कि रूस को वैक्सीन पर काम करने के लिए सिफर से शुरुआत नहीं करनी पड़ी। इस वैक्‍सीन को रूस के रक्षा मंत्रालय और गमलेया नेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ने तैयार किया है।

शोध करने वाली टीम का दावा है कि वैक्‍सीन में जो पार्टिकल्‍स इस्तेमाल हुए हैं, वे खुद को रेप्लिकेट यानी कॉपी नहीं कर सकते हैं। रिसर्च और मैनुफैक्‍चरिंग से जुड़े लोगों ने भी वैक्सीन का टीका लगवाया है। खबरों में बताया गया है कि कुछ लोगों को वैक्‍सीन की डोज दिए जाने के बाद बुखार आ सकता है। इसके लिए उन्हें पैरासिटामॉल दिया जा सकता है।

रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने फैसला किया है कि पहले इस वैक्सीन को कोरोना योद्धाओं को दिया जाएगा। उसके बाद देश के बुजुर्गों का वैक्सीनेशन किया जाएगा। तीसरे चरण में देश भर के लोगों को टीका दिया जाएगा। देश की अवाम को टीका मुफ्त में लगाया जाएगा। माना जा रहा है कि सितंबर से वैक्सीन को इंडस्ट्री में बड़े स्तर पर बनाना शुरू कर दिया जाएगा। अक्तूबर से देश भर में वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू करने की योजना है।

कोरोना संक्रमित देशों में अमरीका दूसरे नंबर है। नवंबर में वहां राष्ट्रपति चुनाव हैं। ऐसे में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पूरी कोशिश है कि वह राष्ट्रपति चुनाव से पहले देश में आम टीकाकरण शुरू करा दें, ताकि उसका फायदा चुनाव में उठाया जा सके। उनकी यह कोशिश कामयाब होती नहीं दिख रही है। ऐसे में जब रूस में इलैक्शन से ठीक पहले आम वैक्सीनेशन शुरू हो जाएगा तो जाहिर बात है कि इसका असर चुनाव पर भी पड़ना ही है। वैसे भी अमरीका की रूस के साथ होड़ काफी पुरानी है।

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