उत्तर प्रदेश के वाराणसी में रहस्यमय परिस्थितियों में हुई सासाराम की बेटी स्नेहा सिंह कुशवाहा की मौत ने पूरे बिहार और उत्तर प्रदेश में आक्रोश पैदा कर दिया है। 17 वर्षीय स्नेहा की मौत रामेश्वरम गर्ल्स हॉस्टल, भेलूपुर में हुई थी, और अब इस मामले में न्याय की मांग को लेकर बिहार से लेकर यूपी तक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
स्नेहा की मौत के बाद उनके परिजनों और स्थानीय नागरिकों ने वाराणसी प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। स्नेहा के माता-पिता का कहना है कि पुलिस मामले की जांच में टालमटोल कर रही है और दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। स्नेहा के परिजन और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डीजीपी प्रशांत कुमार से मिलकर न्याय की मांग की है।
परिवार का कहना है कि जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलती, तब तक वे चैन से नहीं बैठेंगे। मुख्यमंत्री ने इस मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है और डीजीपी ने वाराणसी पुलिस को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
औरंगाबाद के राजद सांसद अभय कुशवाहा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर इस मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने आशंका जताई कि वाराणसी प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने के कारण स्थानीय प्रशासन इस मामले को दबाने की कोशिश कर सकता है।
क्या है मामला?
बिहार के सासाराम जिले के वार्ड नंबर 11, तकिया निवासी सुनील सिंह की 17 वर्षीय बेटी स्नेहा सिंह कुशवाहा, मेडिकल प्रवेश परीक्षा (NEET) की तैयारी के लिए वाराणसी के भेलूपुर क्षेत्र स्थित रामेश्वरम गर्ल्स हॉस्टल में रह रही थी। एक फरवरी 2025 को संदिग्ध परिस्थितियों में उसकी मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि यह एक सुनियोजित हत्या है और दोषियों को बचाने के लिए इसे आत्महत्या का रूप दिया जा रहा है।
घटना की रात छात्रा के व्हाट्सऐप कॉल और मैसेज में रात 12 बजकर 27 मिनट पर लिखा गया था, “अब *** आपको नहीं मिलेगी बउआ और कभी भूलिएगा मत।” यह व्हाट्सऐप चैट उसी नंबर से हुई थी, जिससे मृतका की मां को उसकी मौत की सूचना दी गई थी। मृत छात्रा की मां के अनुसार, वह भी उस लड़के को जानती थीं और बताती हैं कि उनकी बेटी की मुलाकात उससे ऑनलाइन गेम खेलने के दौरान हुई थी। उन्होंने उसे उससे बात करने से मना भी किया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी रेप की पुष्टि नहीं बताई जा रही है।
परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने बिना अनुमति के शव का पोस्टमार्टम करा दिया। उनके मुताबिक, यह आत्महत्या नहीं थी, बल्कि हत्या थी। भेलूपुर पुलिस और हॉस्टल संचालक मिलकर इसे आत्महत्या की कहानी बना रहे हैं। परिजनों ने निष्पक्ष जांच की मांग की है और दोषियों को सख्त सजा देने की अपील की है।

स्नेहा की मां रूबी देवी ने वाराणसी पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं, आरोप लगाया है कि पुलिस ने सहयोग नहीं किया। यह दंपति मानने को तैयार नहीं कि उनकी बेटी ने आत्महत्या की है, क्योंकि 31 जनवरी की रात तक उसकी मां से बातचीत हो रही थी, सब कुछ सामान्य था। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि सुबह उसकी लाश खिड़की की ग्रिल से लटकती मिली?
मृतका की मां रोते हुए बताती हैं, “पुलिस ने हमें अपनी बेटी का शव सौंपने से मना कर दिया। करीब 50 पुलिसकर्मी हमारी बेटी के शव को लेकर हरिश्चंद्र घाट पहुंचे और जबरन अंतिम संस्कार करने का दबाव बनाया। हमें धमकाया गया कि अगर हम दाह-संस्कार नहीं करेंगे, तो पुलिस खुद इसे जला देगी। जब हमने प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की, तो कहा गया कि पहले शव जलाओ, फिर रिपोर्ट लिखेंगे। क्या यही इंसाफ है?”
पिता सुनील सिंह कुशवाहा के अनुसार, सूचना मिलने पर जब वे वाराणसी पहुंचे, तब तक स्नेहा के शव को पोस्टमार्टम हाउस भेजा जा चुका था। वे पोस्टमार्टम से पहले बेटी का शव देखना चाहते थे, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिली। पोस्टमार्टम के बाद प्लास्टिक में लपेटकर शव सौंप दिया गया। परिजन शव को घर ले जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने वाराणसी में ही अंतिम संस्कार करने का दबाव बनाया, जिसके चलते उन्हें मणिकर्णिका घाट पर अंत्येष्टि करनी पड़ी।
पिता का आरोप है कि हॉस्टल संचालक रामेश्वर पांडेय समेत अन्य लोगों ने मिलकर उनकी बेटी के साथ दुष्कर्म कर हत्या की और पुलिस से मिलीभगत करके इसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की। घटना के बाद जब उन्होंने अपनी बेटी के लिए न्याय की मांग की तो उन्हें धमकियां मिलीं। उन्होंने बताया कि जब वे हॉस्टल के कमरे में पहुंचे, तो वहां कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था। परिजनों को हॉस्टल संचालक पर संदेह है कि उसी ने कोई गड़बड़ी की है।
सवाल-दर-सवाल
1-मृतका ने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा।
2-वायरल तस्वीर में उसके पैर जमीन से लगे हुए दिख रहे हैं- जिससे आत्महत्या का दावा कमजोर पड़ता है।
3-मृतका के गले पर निशान और दोनों हाथों पर नीले निशान थे-जिससे मारपीट का संदेह होता है।
4-पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बावजूद शव परिजनों को नहीं सौंपा और जबरन दाह-संस्कार कराया।
5-घटना के दस दिन बाद जाकर पुलिस ने मामला दर्ज किया, जबकि शुरुआत में इसे आत्महत्या करार दिया जा रहा था।
घटना के 10 दिन बाद, 11 फरवरी को वाराणसी पुलिस ने सोशल मीडिया पर सफाई देते हुए कहा कि पोस्टमार्टम में गला घुटने से मौत की पुष्टि हुई है और शरीर पर चोट के निशान नहीं थे। लेकिन मृतका के माता-पिता इस रिपोर्ट को फर्जी करार दे रहे हैं। स्थानीय अखबारों की रिपोर्टिंग भी सवालों के घेरे में है। पुलिस ने एक अज्ञात ‘रामेश्वरम पांडेय’ के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया है, लेकिन इस नाम का कोई व्यक्ति वहां नहीं पाया गया।
मृतका के पिता ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल और वाराणसी पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने न केवल सहयोग करने से इनकार किया, बल्कि उन्हें और उनके परिवार को डराने-धमकाने का भी प्रयास किया।
सीएम और डीजीपी से शिकायत
बिहार के सासाराम की बिटिया के माता-पिता, जूही देवी और सुनील कुमार सिंह, ने सीएम योगी आदित्यनाथ और डीजीपी प्रशांत कुमार से मुलाकात के बाद कहा कि मुख्यमंत्री ने घटना की पूरी जानकारी ली और आश्वासन दिया कि मामले की हर पहलू से जांच होगी। उन्होंने भरोसा दिया कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।

छात्रा की मां ने सीएम और डीजीपी के समक्ष भेलूपुर चौकी इंचार्ज, एसएचओ और सर्किल पुलिस उपायुक्त की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उनके निलंबन की मांग की। उन्होंने कहा कि पुलिस की लापरवाही और हीलाहवाली के कारण उन्हें न्याय मिलने में देरी हो रही है।
डीजीपी प्रशांत कुमार ने तत्काल वाराणसी पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल को फोन कर घटना की निष्पक्ष जांच करने और जल्द से जल्द पर्दाफाश करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि पूरे घटनाक्रम की सीन रि-क्रिएशन कराकर हर बिंदु की जांच की जाएगी। पीड़ित परिवार का कहना है कि जब तक दोषी पुलिसकर्मियों और अन्य जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होती, वे न्याय की लड़ाई जारी रखेंगे।
डीजीपी के निर्देश के बाद वाराणसी के पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन कर दिया है। एसआईटी की अध्यक्षता अपर पुलिस आयुक्त काशी जोन टी. सरवन कर रहे हैं। इसमें सहायक पुलिस आयुक्त भेलूपुर और क्राइम ब्रांच प्रभारी को भी शामिल किया गया है।

पुलिस आयुक्त ने मृतका के पिता से बात कर न्याय दिलाने का भरोसा दिया है। अचरज की बात यह है कि पुलिस की एसआईटी क्या कर रही है, इस मामले में हर कोई अनभिज्ञ है। एसआईटी ने अभी तक मृतका के परिजनों का न तो बयान लिया है और न ही उन्होंने हास्टल में रहने वाली दूसरी लड़कियों से बातचीत की है। इस मामले में पुलिस अधिकारी कुछ भी बयान देने से बच रहे हैं और इस छात्रा स्नेहा की मौत के मामले के ठंडा करने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं।
विपक्ष ने योगी सरकार को घेरा
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले पर ट्वीट कर निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर वाराणसी में ही बेटियां सुरक्षित नहीं हैं, तो यूपी में महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति क्या होगी? पूर्व नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि बेटियों के साथ हो रही ऐसी घटनाएं बेहद दुखद और निंदनीय हैं। उन्होंने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की।
उधर, बिहार के सासाराम से सांसद मनोज कुमार और यूपी के आंवला से सांसद नीरज मौर्य ने इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। बिहार के राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने भी मृतका के परिजनों से मुलाकात कर न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने मृतका के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया और कहा कि वे इस मामले को संसद में उठाएंगे।

वाराणसी जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्य ने पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल से मुलाकात कर पत्र सौंपा और निष्पक्ष जांच की मांग की। उनके साथ कई अन्य जनप्रतिनिधि भी थे, जिन्होंने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। इस मामले ने यूपी से लेकर बिहार तक राजनीति को गरमा दिया है।
घटना के बाद, सासाराम के सांसद मनोज कुमार ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर मामले को संसद में उठाने का निवेदन किया। लेकिन यह मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से जुड़ा होने के कारण प्रशासन की प्रतिक्रिया संदिग्ध नजर आ रही है।
सासाराम के तकिया मोहल्ले में पहुंचे औरंगाबाद के आरजेडी सांसद अभय कुशवाहा ने स्नेहा सिंह कुशवाहा के परिजनों से मुलाकात कर संवेदना प्रकट की। उन्होंने आशंका जताई कि चूंकि वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है, इसलिए स्थानीय प्रशासन इस मामले को दबाने की कोशिश कर सकता है ताकि क्षेत्र की बदनामी न हो।
पत्रकारों से बातचीत में सांसद कुशवाहा ने वाराणसी पुलिस की भूमिका पर संदेह जताया और बताया कि वे इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को पत्र लिख चुके हैं। इसके अलावा, वे उत्तर प्रदेश के डीजीपी से भी इस संबंध में चर्चा करेंगे ताकि निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जा सके।
सामाजिक संगठनों का प्रदर्शन
स्नेहा की मौत के मामले में बनारस पुलिस द्वारा की जा रही हीला-हवाली को लेकर बिहार के सासाराम में आक्रोश है। इस घटना के खिलाफ महिलाओं और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने वाराणसी और सासाराम में विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन से निष्पक्ष जांच और दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की।
प्रदर्शन में शामिल मृतका की मां जूही देवी ने कहा कि उनकी बेटी पढ़ाई में बहुत होनहार थी और बड़े सपने देखती थी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधा सवाल किया कि “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान का क्या लाभ, जब बेटियां सुरक्षित ही नहीं हैं? उन्होंने भेलूपुर थानाध्यक्ष को निलंबित करने और मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग उठाई।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पूरे मामले की विशेष जांच होनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके। कैंडल मार्च में शामिल तोराब नियाजी ने कहा कि बिहार की बेटी की मौत हुई है, इसलिए यूपी सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए।
राहुल कुमार कुशवाहा ने पुलिस की लापरवाही पर सवाल उठाए, कहा कि परिजनों को देरी से सूचना दी गई। राजद नेत्री व पूर्व जिला पार्षद सीमा कुशवाहा ने बिहार सरकार से मामले में हस्तक्षेप कर उत्तर प्रदेश सरकार पर दबाव बनाने की मांग की। भीम आर्मी के नेता अमित पासवान ने चेतावनी दी कि अगर स्नेहा को न्याय नहीं मिला तो आंदोलन किया जाएगा।
पूर्व मंत्री और विधान पार्षद भगवान सिंह कुशवाहा, राजद विधायक राजेश गुप्ता, फतेह बहादुर सिंह, माले नेता अशोक बैठा समेत कई नेताओं ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उत्तर प्रदेश सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
कुशवाहा महासंघ ने किया विरोध प्रदर्शन
इस घटना के बाद कुशवाहा समाज समेत अन्य सामाजिक संगठनों ने स्नेहा को न्याय दिलाने के लिए एकजुटता दिखाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है। स्नेहा सिंह कुशवाहा की संदिग्ध मौत का मामला अब एक बड़ा आंदोलन बन चुका है। उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक लोग सड़कों पर उतरकर न्याय की मांग कर रहे हैं।
स्नेहा सिंह कुशवाहा की संदिग्ध मौत के मामले में न्याय की मांग को लेकर बक्सर में कुशवाहा महासंघ ने दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग उठाई। बक्सर के जेपी चौक में आयोजित कैंडल मार्च और विरोध प्रदर्शन में कुशवाहा समाज के लोगों के साथ विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने मामले की सीबीआई जांच या रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में विशेष टीम गठित करने की मांग की, जिससे स्नेहा की मौत के पीछे की सच्चाई सामने आ सके।

बक्सर में हुए इस विरोध प्रदर्शन में कुशवाहा महासंघ, राजद और अन्य संगठनों के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए। महासंघ के नेता अभिमन्यु सिंह ने कहा, “यह सिर्फ स्नेहा का मामला नहीं है, बल्कि हर उस बेटी की सुरक्षा से जुड़ा सवाल है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए घर से बाहर निकलती हैं। जब तक स्नेहा को न्याय नहीं मिलेगा, हम चैन से नहीं बैठेंगे। दोषियों को फांसी दी जानी चाहिए।”
स्नेहा की मौत के बाद बक्सर और सासाराम में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए। बक्सर के जेपी चौक पर कुशवाहा महासंघ के नेतृत्व में कैंडल मार्च निकाला गया, जिसमें समाज के हजारों लोगों ने भाग लिया। महासंघ के वरिष्ठ नेता अभिमन्यु सिंह ने कहा कि यह सिर्फ स्नेहा का मामला नहीं है, बल्कि देश की हर बेटी की सुरक्षा से जुड़ा सवाल है। उन्होंने दोषियों को फांसी देने की मांग की और कहा कि अगर जल्द न्याय नहीं मिला, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
प्रदर्शन में शामिल लोगों ने सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की अपील की। प्रदर्शनकारियों ने उत्तर प्रदेश सरकार को अल्टीमेटम दिया कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह आंदोलन पूरे देश में और तेज किया जाएगा।
इस प्रदर्शन में कुशवाहा महासंघ के कई प्रमुख लोग शामिल थे, जिनमें अभिमन्यु सिंह, हरेंद्र कुशवाहा और अन्य सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे। सभी ने स्नेहा के लिए न्याय की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने का संकल्प लिया। बक्सर में इस विरोध प्रदर्शन ने बिहार भर में इस मामले को लेकर जनाक्रोश को और भड़का दिया है। अब देखना होगा कि उत्तर प्रदेश सरकार इस पर क्या कदम उठाती है। फिलहाल, यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।
बनारस कमिश्नरेट पुलिस पर उठते सवाल
बनारस में अचूक रणनीति के संपादक विनय मौर्य कहते हैं, “स्नेहा की मौत पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। यह मामला हाथरस कांड की तरह ही न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने और सच को दबाने का प्रयास प्रतीत होता है। सवाल यह उठता है कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में एक होनहार छात्रा की संदिग्ध मौत की निष्पक्ष जांच होगी या इसे भी रफा-दफा कर दिया जाएगा?”
विनय मौर्य कहते हैं, “स्नेहा सिंह कुशवाहा की मौत के मामले में बनारस कमिश्नरेट पुलिस की भूमिका शुरू से ही संदिग्ध रही है। जब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाया, तो उन पर ही फर्जी मुकदमा ठोक दिया गया। यूपी सरकार और बनारस पुलिस पर जब बिहार से दबाव बढ़ा, तब जाकर एफआईआर दर्ज की गई। अगर पुलिस निष्पक्ष और सक्रिय होती, तो रिपोर्ट पहले दिन ही लिखी जाती और आरोपी अब तक गिरफ्तार हो चुके होते।”
प्रदेश सरकार भले ही कानून-व्यवस्था को लेकर लाख दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। भेलूपुर पुलिस ने 1 फरवरी को स्नेहा के परिजनों से तहरीर लेने के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं की। जब मामला तूल पकड़ने लगा, तब 10 फरवरी की रात हॉस्टल संचालक के खिलाफ धारा 103(1) के तहत हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया।
सवाल उठता है कि आखिर बनारस पुलिस ने परिजनों को बेटी के शव से दूर क्यों रखा? क्यों जबरदस्ती वाराणसी में ही अंतिम संस्कार करने के लिए दबाव डाला गया? आखिर क्यों बिहार में उठ रहे विरोध और सियासी हलचल के बाद ही केस दर्ज किया गया?
अवैध हॉस्टलों का मकड़जाल
वाराणसी के दुर्गाकुंड, लंका और आसपास के इलाकों में अवैध हॉस्टलों का जाल फैला हुआ है। खासकर गर्ल्स हॉस्टल बिना किसी रजिस्ट्रेशन और मानकों के संचालित किए जा रहे हैं। पूरे मकानों को हॉस्टल का रूप देकर धड़ल्ले से किराए पर दिया जा रहा है, लेकिन इनकी कोई आधिकारिक निगरानी नहीं होती।
बनारस में कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान हैं, जहां यूपी, बिहार, पूर्वांचल, मध्य प्रदेश, भदोही, जौनपुर, गाजीपुर, देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर समेत विभिन्न जिलों से छात्र-छात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं। मगर रहने के लिए उन्हें अवैध हॉस्टलों में शरण लेनी पड़ती है, जहां न सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम होते हैं, न प्रशासन की कोई सीधी निगरानी।
जब स्नेहा सिंह जैसी दर्दनाक घटनाएं होती हैं, तब प्रशासन की नींद टूटती है, मगर कुछ दिन बाद फिर वही ढर्रा चलने लगता है। स्नेहा की संदिग्ध मौत के बाद यह सवाल उठना लाजिमी है कि वाराणसी में लड़कियों के लिए बने हॉस्टलों की कोई नियामक व्यवस्था क्यों नहीं है? आखिर कब तक लड़कियों को असुरक्षित माहौल में रहने को मजबूर होना पड़ेगा?
बनारस में ऐसे सैकड़ों अवैध हॉस्टल धड़ल्ले से चल रहे हैं, जिनकी न कोई सुरक्षा व्यवस्था है और न ही कोई कानूनी मान्यता। कई छात्राओं के परिजन चिंतित हैं कि उनकी बेटियां असुरक्षित माहौल में पढ़ाई कर रही हैं। स्नेहा की मौत एक चेतावनी है कि यदि प्रशासन अब भी नहीं जागा, तो ऐसी घटनाएं बार-बार दोहराई जाएंगी। बनारस के लोग और बिहार के छात्र संगठन अब स्नेहा को न्याय दिलाने के लिए सड़क पर उतर चुके हैं। सवाल यही है-क्या इस मामले में सच्चाई सामने आएगी या इसे भी एक और ‘अनसुलझी फाइल’ बनाकर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
(विजय विनीत बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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