636418239276063320

“काश! यह बेटियाँ बिगड़ जाएँ…इतना बिगड़ें के यह बिफर जाएँ”

गौहर रज़ा

दुआ

काश!
यह बेटियाँ बिगड़ जाएँ
इतना बिगड़ें
के यह बिफर जाएँ

 

उनपे बिफरें जो
तीर-ओ-तीश लिए
राह में बुन रहे हैं
दार-ओ-रसन
और
हर आज़माइश-ए-दार-ओ-रसन
इनको रास्ते की धूल
लगने लगे

काश!
ऐसा हो अपने चेहरे से
आँचलों को झटक के सब से कहें
ज़ुल्म की हद जो तुम ने खींची थी
उस को पीछे कभी का छोड़ चुके

काश!
चेहरे से ख़ौफ़ का यह हिजाब
यक-ब-यक इस तरह पिघल जाए
तमतमा उट्ठे यह रूख-ए-रौशन
दिल का हर तार टूटने सा लगे

काश!
ऐसा हो सहमी आँखों में
क़हर की बिजलियाँ कड़क उट्ठें
और माँगें यह सारी दुनियाँ से
एक एक कर के हर गुनाह का हिसाब
वो गुनाह
जो कभी किए ही नहीं
और उनका भी
जो ज़रूरी हैं

काश!
ऐसा हो मेरे दिल की कसक
इनके नाज़ुक लबों से टूट पड़े

(गौहर रज़ा एक शायर के साथसाथ एक वैज्ञानिक भी हैं। उन्होंने बीएचयू की आंदोलनरत छात्राओं के समर्थन में अपनी यह नज़्म (कविता) पोस्ट की है।)

More From Author

636422725741941780

मुंबई हादसा : “हम मर नहीं सकते क्योंकि हम ज़िंदा भी नहीं हैं”

636418186735129936

बीएचयू : “प्रधानमंत्री जी! क्या आप पार्टी पालित गुंडो-लठैतों का नेतृत्व कर रहे हैं?”

Leave a Reply