मेट्रो शहरों में वायु प्रदूषण की समस्या आम हो गई है। लेकिन धीरे-धीरे यह समस्या विभिन्न राज्यों के औद्योगिक शहरों में भी बढ़ती जा रही है। पिछले साल जनचौक में झारखंड के गिरिडीह जिले में बढ़ते औद्योगिक क्षेत्र और उसके कारण बढ़ते प्रदूषण के कारण बढ़ती बीमारियों पर खबर की थी।
जहरीले धूलकण का सही असर बच्चों पर
ताजा मामला सिंहभूम जिले के जमशेदपुर औद्योगिक शहर का है। जहां विशेषज्ञों का कहना है कि यहां की हवा इतनी जहरीली हो चुकी हैं कि इसका सीधा असर बच्चों पर पड़ रहा है। धूल में पाए जाने वाले जहरीले कण बच्चों की सेहत को खराब कर रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार रांची म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन और असोसिएट फॉर साइंटिफिक एंड एकेडमी रिसर्च द्वारा की गई एक मीटिंग में यह बात प्रकाश में आई है। यह मीटिंग राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बुलाई गई थी।
इस मीटिंग के दौरान पैनल की सदस्य और बिरला इंस्टीट्यूट की असोसिएट प्रोफेसर तनुश्री भट्टाचार्य ने वायु प्रदूषण पर बात करते हुए कहा कि धूलकण में कैडिमियम, क्रोमियम, लीड, जिंक चिंता का विषय है। जिस पर सरकार को ध्यान देने की जरुरत है। उनके शोध के अनुसार रांची के मुकाबले जमशेदपुर और उसके साथ सटे हुए इलाकों का ‘पारिस्थितिकी जोखिम सूचकांक’ से यहां ज्यादा है। सभी पैमानों पर यहां सभी प्रकार के धातु मिलकर खतरा पैदा कर रहे हैं।
कंपनियों के कारण यह सब हो रहा है
उन्होंने बताया कि हमने अपने शोध में पाया कि हवा में जहरीले कण पाए जा रहे हैं। यह सब जमशेदपुर में स्थित औद्योगिक कंपनियों के कारण हो रहा है। हो सकता है कि इन जहरीले कणों को प्रदूषण नियंत्रण उपकरण से हटाया जा सकता है। उन्होंने साथ ही बताया कि फिलहाल यह जहरीले धूलकण कैंसर की अवस्था तक नहीं पहुंच पाए हैं। लेकिन यह सेहत के लिहाज से बहुत खतरनाक है।
मीटिंग के दौरान भट्टाचार्य ने अपनी साल 2021 में अर्पिता रॉय के साथ की गई स्टडी की भी चर्चा की। ‘सड़क की धूल छद्म कुल और जैव सुलभ धातुओं से पारिस्थितिकी और मानव स्वास्थ्य जोखिम’ नाम के शीर्षक से स्टडी की गई थी। जिसमें इसके पीछे का कारण वाहनों और औद्योगिक उत्सर्जन के प्रभाव की ओर संकेत दे रहा है। साथ ही सड़क पर पाई जाने वाले धूलरुपी कण का मुख्य स्रोत स्टील प्लांट और कोयला थर्मल प्लांट हैं।
रांची अच्छी स्थिति में…
जमशेदपुर औद्योगिक शहर में अन्य कर्मशियल शहरों के मुकाबले ज्यादा कण पाए जाते हैं। जबकि रांची इस मामले में अच्छी स्थिति पर है। रिपोर्ट के अनुसार जमशेदपुर में स्टील प्लांट, मोटर उद्योग, पेंट उद्योग और टेक्सटाइल के कारण कोरोमियम और नेकल डब्ल्यूएचओ के लेवल से ऊपर हैं।
इस मामले में तनुश्री भट्टाचार्य ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि इस बारे में बहुत ज्यादा चर्चा नहीं हो रही है। जबकि देखा जाए तो स्ट्रीट फूड अंतरग्रहण का भी इसका मुख्य स्रोत है। यह सभी धातुएं बच्चों के लिए बहुत ही खतरनाक है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए, नहीं तो कुछ समय बाद झारखंड के बाकी शहरों में भी यह देखने को मिल सकता है।