वाराणसी जिला प्रशाशन ने बिना सूचना दिए असी क्षेत्र के सैकड़ों घरों को घोषित किया सार्वजनिक

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वाराणसी के जिला प्रशाशन ने असी और नगवां क्षेत्र के लगभग 300 घरों के मालिकानों का नाम काटकर उसे सार्वजनिक कर दिया है। अब वह संपत्ति, मकान और दुकान निजी न होकर सरकार के हाथ में चली गयी है। जानकारी के अनुसार सदर तहसील में प्रेम नारायण बनाम सरकार का एक मुकदमा चल रहा था जिस पर 9 फरवरी, 2024 को एसडीएम सदर सार्थक अग्रवाल ने आदेश देते हुए असी, जगन्नाथ मंदिर नगवां क्षेत्र की लगभग तीन सौ मकान का नाम काटकर उसे सार्वजनिक जमीन घोषित कर दिया है। सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने इस कार्रवाई को करने से पहले उन मकान मालिकों को सूचित भी नहीं किया, जिसका वह नाम काट रहे थे।

जब इसकी जानकारी क्षेत्र के नागरिकों को हुई तो वह अपना प्रार्थना पत्र लेकर एसडीएम सदर के कार्यालय पहुंचे लेकिन एसडीएम सदर कार्यालय में उपस्थित कर्मचारियों ने यह कह कर प्रार्थना पत्र नहीं लिया कि ऊपर से आदेश है कि इससे संबंधित कोई भी पत्र न लिये जाए। काफी हो-हल्ला के बाद एसडीएम सदर को जब फोन किया गया तो उन्होंने कहा कि अपना प्रार्थना पत्र आप लोग दे दीजिए लेकिन कार्यालय द्वारा इसे रिसीव नहीं किया जायेगा। कार्यालय में प्रार्थना पत्र रिसीव न होने के कारण क्षेत्र के नागरिकों ने पोस्ट ऑफिस के माध्यम से कार्यालय रजिस्ट्री के माध्यम से भेज कर और इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्याय के लिए के लिए प्रार्थना की।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत ने एसडीएम सदर को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि आपने कानून के विपरीत काम किया है। एक आम नागरिक का संवैधानिक अधिकार है कि वह देश के किसी भी कार्यालय में जाकर अपना प्रार्थना पत्र देकर अपनी समस्या को कह सकता है और आप उसकी सुनवाई के लिए रखे गए हैं। हाई कोर्ट की फटकार के बाद एसडीएम सदर द्वारा प्रार्थना पत्रों को स्वीकार किया गया और सुनवाई जारी है लेकिन इस बीच सबसे बड़ी बात यह है कि आखिर किस कानून के तहत एसडीएम सदर द्वारा यह गैर जिम्मेदाराना कार्यवाही की गई। क्या एसडीएम सदर को मकान मालिकों को सूचना नहीं देना चाहिए था कि हम आपके मकान से आपका नाम हटा रहे हैं, आपको कोई आपत्ति हो तो आप अपने मकान का कागज लेकर कार्यालय में संपर्क करें । लेकिन एसडीएम सदर ने इसकी जरूरत नहीं समझी और लोगों को बिना सूचना दिए ही मकान से नाम काटकर उसे सार्वजनिक जमीन घोषित कर दिया गया।

कुछ दिनों पूर्व कमिश्नर कौशल राज शर्मा, एसडीएम सदर सार्थक अग्रवाल अपने लव-लश्कर के साथ क्षेत्र का दौरा करके जांच पड़ताल की। वहीं दूसरी तरफ हाई कोर्ट के आदेश के बाद एडीएम सिटी असी क्षेत्र के बड़े हनुमान मंदिर परिसर में भुक्त भोगी नागरिकों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं को जानने पहुंचे। लेकिन वह भी गोल मटोल जवाब देते हुए वहां से चलते बने।

पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित काशी के जाने-माने विद्वान काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष पंडित वशिष्ट त्रिपाठी के पुत्र शुकदेव त्रिपाठी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय वैदिक विज्ञान समाकलन केंद्र के समन्वयक प्रोफेसर उपेंद्र त्रिपाठी, जौनपुर स्थित एक महाविद्यालय के प्राचार्य राघवेंद्र पांडे, कौशलेंद्र पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार जय नारायण मिश्र, नीरज पांडे, संतोष मिश्रा, संतोष त्रिपाठी, शशि शेखर त्रिवेदी, सोमरू सोनकर, राजू सिंह सहित ऐसे सैकड़ों मकान मालिक है जो इस कार्रवाई से बहुत ही दुखी है।

उनका कहना है कि हमारे पूर्वजों ने काशीवास करने के लिए अपनी मेहनत की कमाई से यह जमीन खरीदा और अब उसे सरकार द्वारा ही फर्जी घोषित किया जा रहा है यह कहां तक उचित है। क्षेत्र के ही रहने वाले समाजसेवी रामयश मिश्र ने कहा कि एक तरफ तो हमारे सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी बेघरों को आवास बनवा कर दे रहे है। काशी के विद्वानों को इज्जत और सम्मान दे रहे हैं वहीं दूसरी तरफ उनके संसदीय क्षेत्र के अधिकारी काशी के विद्वानों के आवासों से उनका काटकर उसे सार्वजनिक घोषित कर रहे हैं। यह कहां तक उचित है?

(जनचौक की रिपोर्ट)

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