भारतीय समाज में जारी सतत हिंसा अब बन गयी है सभ्यता का हिस्सा

“मैं राइटर बनना चाहता था….और साइंटिस्ट भी… फिर सोचा कि शायद साइंस का राइटर बन जाऊंगा। कुछ भी न हुआ…