सामंतवाद
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आज वक्त मजदूरों को आवाज़ दे रहा है!
Janchowk -
सदियों दासता, सामंतवाद से संघर्ष करने के बाद दुनिया में मज़दूरों ने 1 मई 1886 को अपने अस्तित्व का परचम फ़हराया। महज 105 साल में ही पूंजीवाद ने अपने पसीने की महक से विश्व का निर्माण करने वाले मेहनतकश...
लेखक
पुण्यतिथिः मुंशी प्रेमचंद मानते थे- किसानों को स्वराज की सबसे ज्यादा जरूरत
हिंदी-उर्दू साहित्य में कथाकार मुंशी प्रेमचंद का शुमार, एक ऐसे रचनाकार के तौर पर होता है, जिन्होंने साहित्य की पूरी धारा ही बदल कर रख दी। देश में वे ऐसे पहले शख्स थे, जिन्होंने हिंदी साहित्य को रोमांस, तिलिस्म,...
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केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर दुनिया भर की निगाह के मायने
आज दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली में शराब आबकारी नीति में बदलाव कर 100 करोड़ रुपये लेने...
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