Friday, April 19, 2024

bamsef

जन्मदिन पर विशेष: कांशीराम ने दिया बहुजन राजनीति को आसमानी फलक

कांशीराम (15 मार्च, 1934 से 9 अक्तूबर 2006) संघर्षों के माध्यम से सामाजिक संगठन खड़ा करने की जीती जागती मिसाल हैं। भारतीय इतिहास में उनका अलग स्थान है, जिन्होंने अंबेडकर, फुले, शाहू जी, गाडगे, पेरियार जैसे दर्जनों विचारकों व...

मनुवादी राजसत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए संकल्पित योद्धा: मान्यवर कांशीराम

डॉ. आंबेडकर, ई.वी. रामासामी पेरियार, रामस्वरूप वर्मा, जगदेव प्रसाद, चंद्रिका प्रसाद ‘जिज्ञासु’जैसे बहुजन नायकों का एक स्वर से मानना था कि आजादी के बाद भारत में स्थापित राजसत्ता मूलत: ब्राह्मणवादी राजसत्ता है। डॉ. आंबेडकर और पेरियार ने इसे ब्राह्मण-बनिया...

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लोकतंत्र का संकट राज्य व्यवस्था और लोकतंत्र का मर्दवादी रुझान

आम चुनावों की शुरुआत हो चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट में मतगणना से सम्बंधित विधियों की सुनवाई जारी है, जबकि 'परिवारवाद' राजनीतिक चर्चाओं में छाया हुआ है। परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति, व्यवस्था और लोकतंत्र पर पितृसत्ता के प्रभाव, और देश में मदर्दवादी रुझानों की समीक्षा की गई है। लेखक का आह्वान है कि सभ्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संवेदनशीलता से समस्याओं को हल करना जरूरी है।