Tag: bhagat singh

  • अशफ़ाक़ का जन्मदिवस: हैरान करने वाली खुशी से फांसी पर चढ़ा मस्ताना शायर- भगत सिंह

    अशफ़ाक़ का जन्मदिवस: हैरान करने वाली खुशी से फांसी पर चढ़ा मस्ताना शायर- भगत सिंह

    (जनवरी, 1928 के ‘किरती में भगत सिंह ने काकोरी के शहीदों के बारे में ‘विद्रोही’ नाम से लिखा था। यह लेख ‘भगत सिंह के सम्पूर्ण दस्तावेज’ में संग्रहीत है, जिसका संपादन प्रोफेसर चमन लाल ने किया है। इस लेख में भगत सिंह ने रामप्रसाद ‘बिस्मिल’, राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, रोशन सिंह और अशफ़ाक़ उल्ला खां के व्यक्तित्व…

  • भगत सिंह के प्रिय दार्शनिक-चिंतक और साहित्यकार

    भगत सिंह के प्रिय दार्शनिक-चिंतक और साहित्यकार

    अरे! बेकार की नफरत के लिए नहीं,न सम्मान के लिए, न ही अपनी पीठ पर शाबासी के लिएबल्कि लक्ष्य की महिमा के लिए,किया जो तुमने भुलाया नहीं जाएगा साढ़े तेईस वर्ष की उम्र में 23 मार्च 1931 को फांसी पर चढ़ा दिए गए भगत सिंह ने कम से कम 100 से ज्यादा दार्शनिकों, विचारकों और…

  • पेरियार पर आईं पुस्तकें बदलेंगी हिंदी पट्टी का दलित चिंतन

    पेरियार पर आईं पुस्तकें बदलेंगी हिंदी पट्टी का दलित चिंतन

    साहित्य के शोधकर्ताओं के लिए यह एक शोध का विषय है कि ईवी रामासामी पेरियार (17 सितंबर, 1879-24 दिसंबर, 1973) के मूल लेखन का कोई संग्रह आज तक उस तरह से हिंदी साहित्य में क्यों उपलब्ध नहीं था, जिस तरह से बीआर आंबेडकर, ज्योतिबा फूले, रवीन्द्र नाथ टैगोर या भगत सिंह का रहा है। हाल…

  • शहादत सप्ताह: मैं नास्तिक क्यों हूँ?

    शहादत सप्ताह: मैं नास्तिक क्यों हूँ?

    शहीद-ए-आज़म भगत सिंह ने यह लेख जेल में लिखा था। यह पहली बार 27 सितम्बर 1931 को तब अविभाजित हिन्दुस्तान के उत्तरी हिस्सा के सबसे बड़े नगर, लाहौर के ‘द पीपुल ‘ अखबार में प्रकाशित हुआ।इसे भगत सिंह का सबसे महत्वपूर्ण लेख माना जाता है।   कोलकाता विश्वविद्यालय के अवकाश प्राप्त प्रोफ़ेसर एवं जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रहे जगदीश्वर प्रसाद चतुर्वेदी के…

  • शहादत सप्ताह: भगत सिंह की फांसी पर लिखा गया डॉ. आंबेडकर का लेख ‘तीन बलिदानी’

    शहादत सप्ताह: भगत सिंह की फांसी पर लिखा गया डॉ. आंबेडकर का लेख ‘तीन बलिदानी’

    (भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फाँसी के बाद बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर ने एक लेख लिखा था जो ‘जनता’ में संपादकीय के तौर पर प्रकाशित हुआ था। शहादत सप्ताह के तहत आज उनके इस लेख को यहाँ दिया जा रहा है-संपादक) आखिरकार भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटका ही दिया…

  • पुण्य तिथिः हवा में रहेगी मेरे ख्याल की बिजली…

    पुण्य तिथिः हवा में रहेगी मेरे ख्याल की बिजली…

    जंग-ए-आज़ादी में निर्णायक मोड़ देने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 23 मार्च को 89वीं पुण्यतिथि है। 23 मार्च, 1931 को बरतानिया हुकूमत ने सरकार के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंकने के इल्जाम में उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी। सजा पर वे जरा से भी विचलित नहीं हुए और हंसते-हंसते फांसी के तख्ते पर चढ़…

  • शहादत सप्ताह: आज अपने चारों ओर बुने जा रहे झूठ से कैसे लड़ते भगत सिंह

    शहादत सप्ताह: आज अपने चारों ओर बुने जा रहे झूठ से कैसे लड़ते भगत सिंह

    भगत सिंह की शहादत के दिन वायरल होने वाली अनेक सोशल मीडिया पोस्टों को देखकर आश्चर्य से अधिक चिंता और भय उत्पन्न होते हैं। साम्प्रदायिक एकता के प्रबल समर्थक और जातिगत भेदभाव तथा अस्पृश्यता के घोर विरोधी इस नास्तिक क्रांतिकारी को कभी सांप्रदायिक हिंसा के पोस्टर बॉय की तरह प्रस्तुत करने का प्रयास होता है तो…

  • शहीदे आजम भगत सिंह: क्रांति की अनवरत जलती मशाल

    शहीदे आजम भगत सिंह: क्रांति की अनवरत जलती मशाल

    हवा में रहेगी मेरे ख्यालों की बिजली ये मुश्ते ए खाक है फानी रहे रहे न रहे भगत सिंह एक ऐसा नाम जो खून में उतर जाता है रोमांच से भर देता है नसें फड़क उठती हैं आदर्श जग उठते हैं छोटे पन से घृणा होने लगती है आत्ममोह दूर भाग जाता मेहनतकशों के चेहरे…

  • साप्ताहिकी: बुलेट के बजाय जब बुलेटिन को दी भगत सिंह ने तरजीह

    साप्ताहिकी: बुलेट के बजाय जब बुलेटिन को दी भगत सिंह ने तरजीह

    (हासिल करने के सत्तर साल बाद आज जब आज़ादी ख़तरे में है और देश की सत्ता में बैठी एक हुकूमत उसके सभी मूल्यों को ही ख़त्म करने पर आमादा है। ऐसे में आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लेने वाली शख़्सियतें एक बार फिर बेहद प्रासंगिक हो जाती हैं। इस कड़ी में शहीद-ए-आजम भगत सिंह का…

  • भगत सिंह का भारत चाहिए या माफीवीर सावरकर का, नौजवानों को करना होगा फैसला

    भगत सिंह का भारत चाहिए या माफीवीर सावरकर का, नौजवानों को करना होगा फैसला

    देश के नौजवानों के नाम खुला पत्र प्यारे नौजवान साथियों,आज हमारा प्यारा मुल्क बहुत ही नाजुक दौर से गुजर रहा है। पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है। एक चिंगारी से पूरा मुल्क जलने के लिए तैयार बैठा है। देश का बहुसंख्यक हिंदू, अल्पसंख्यक मुस्लिम को शक की नजर से देख रहा है।…