Tag: bhagat singh
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पेरियार पर आईं पुस्तकें बदलेंगी हिंदी पट्टी का दलित चिंतन
साहित्य के शोधकर्ताओं के लिए यह एक शोध का विषय है कि ईवी रामासामी पेरियार (17 सितंबर, 1879-24 दिसंबर, 1973) के मूल लेखन का कोई संग्रह आज तक उस तरह से हिंदी साहित्य में क्यों उपलब्ध नहीं था, जिस तरह से बीआर आंबेडकर, ज्योतिबा फूले, रवीन्द्र नाथ टैगोर या भगत सिंह का रहा है। हाल…
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शहादत सप्ताह: मैं नास्तिक क्यों हूँ?
शहीद-ए-आज़म भगत सिंह ने यह लेख जेल में लिखा था। यह पहली बार 27 सितम्बर 1931 को तब अविभाजित हिन्दुस्तान के उत्तरी हिस्सा के सबसे बड़े नगर, लाहौर के ‘द पीपुल ‘ अखबार में प्रकाशित हुआ।इसे भगत सिंह का सबसे महत्वपूर्ण लेख माना जाता है। कोलकाता विश्वविद्यालय के अवकाश प्राप्त प्रोफ़ेसर एवं जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रहे जगदीश्वर प्रसाद चतुर्वेदी के…
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शहादत सप्ताह: भगत सिंह की फांसी पर लिखा गया डॉ. आंबेडकर का लेख ‘तीन बलिदानी’
(भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फाँसी के बाद बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर ने एक लेख लिखा था जो ‘जनता’ में संपादकीय के तौर पर प्रकाशित हुआ था। शहादत सप्ताह के तहत आज उनके इस लेख को यहाँ दिया जा रहा है-संपादक) आखिरकार भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटका ही दिया…
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शहादत सप्ताह: आज अपने चारों ओर बुने जा रहे झूठ से कैसे लड़ते भगत सिंह
भगत सिंह की शहादत के दिन वायरल होने वाली अनेक सोशल मीडिया पोस्टों को देखकर आश्चर्य से अधिक चिंता और भय उत्पन्न होते हैं। साम्प्रदायिक एकता के प्रबल समर्थक और जातिगत भेदभाव तथा अस्पृश्यता के घोर विरोधी इस नास्तिक क्रांतिकारी को कभी सांप्रदायिक हिंसा के पोस्टर बॉय की तरह प्रस्तुत करने का प्रयास होता है तो…
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साप्ताहिकी: बुलेट के बजाय जब बुलेटिन को दी भगत सिंह ने तरजीह
(हासिल करने के सत्तर साल बाद आज जब आज़ादी ख़तरे में है और देश की सत्ता में बैठी एक हुकूमत उसके सभी मूल्यों को ही ख़त्म करने पर आमादा है। ऐसे में आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लेने वाली शख़्सियतें एक बार फिर बेहद प्रासंगिक हो जाती हैं। इस कड़ी में शहीद-ए-आजम भगत सिंह का…
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भगत सिंह का भारत चाहिए या माफीवीर सावरकर का, नौजवानों को करना होगा फैसला
देश के नौजवानों के नाम खुला पत्र प्यारे नौजवान साथियों,आज हमारा प्यारा मुल्क बहुत ही नाजुक दौर से गुजर रहा है। पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है। एक चिंगारी से पूरा मुल्क जलने के लिए तैयार बैठा है। देश का बहुसंख्यक हिंदू, अल्पसंख्यक मुस्लिम को शक की नजर से देख रहा है।…