Estimated read time 2 min read
संस्कृति-समाज

जिंदा रहते ही किंवदंती बन गए थे ज्योति बसु

जनता के जीवन के संवेदन -सत्यों के चित्रों से- तथ्यों के विश्लेषण- संश्लेषण-बिम्बों से- बनाकर धरित्री का मानचित्र दूर क्षितिज फलक पर टांग जो देता [more…]