जिंदा रहते ही किंवदंती बन गए थे ज्योति बसु
जनता के जीवन के संवेदन -सत्यों के चित्रों से- तथ्यों के विश्लेषण- संश्लेषण-बिम्बों से- बनाकर धरित्री का मानचित्र दूर क्षितिज फलक पर टांग जो देता [more…]
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