Tag: constitution

  • सत्ता की साजिश का शिकार किसान आंदोलन

    सत्ता की साजिश का शिकार किसान आंदोलन

    लोकतंत्र में आंदोलन होते हैं और लोग भारी संख्या में जुटते हैं तो छिटपुट घटनाएं हो जाती हैं क्योंकि हमारी पुलिस हैंडल करने के लिए उस स्तर तक प्रशिक्षित नहीं होती है। जब सुरक्षा बलों का शीर्ष नेतृत्व राजनैतिक जमात को संविधान से बड़ा आका मान लेता है तो स्थिति और खराब हो जाती है।…

  • संविधान में समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़ना इंदिरा गांधी की बड़ी देनः शाहनवाज़ आलम

    संविधान में समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़ना इंदिरा गांधी की बड़ी देनः शाहनवाज़ आलम

    लखनऊ। अल्पसंख्यक कांग्रेस ने आज रविवार को उत्तर प्रदेश के सभी ज़िलों में संविधान चर्चा दिवस मनाया। अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 42वें संविधान संशोधन के ज़रिए संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया था, जो 1977 में 3 जनवरी से अमल…

  • संविधान को दफ्न करने की तैयारी का हिस्सा है यूपी का ‘लव जिहाद’ अध्यादेश

    संविधान को दफ्न करने की तैयारी का हिस्सा है यूपी का ‘लव जिहाद’ अध्यादेश

    26 जनवरी,1950 को हमारे संविधान निर्माताओं ने जिस लोकतांत्रिक, समावेशी और आधुनिक मूल्यों वाले समाज का खाका खींचा था, उसे बनाने की जिम्मेदारी सरकारों पर डाला था। ताकि ‘राज्य’ सदियों से तमाम पूर्वाग्रहों से ग्रसित, विभिन्न आधारों पर विभाजित और जड़ताओं जकड़े समाज को स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व तथा धर्म व उपासना की आजादी जैसे मूल्यों…

  • बीजेपी और आरएसएस ने भारत के संविधान को कभी मन से माना ही नहीं: सुभाषिनी अली

    बीजेपी और आरएसएस ने भारत के संविधान को कभी मन से माना ही नहीं: सुभाषिनी अली

    वाराणसी। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी वाराणसी और सत्यनारायण सिंह स्मृति ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में 18 मार्च को अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के अवसर पर पराड़कर स्मृति भवन में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार को संबोधित करते हुए सीपीआईएम पोलितब्यूरो सदस्य एवं पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने कहा कि देश और उत्तर प्रदेश…

  • राइट टु हेल्थ मौलिक अधिकार, सरकार सस्ते इलाज की व्यवस्था करे: सुप्रीम कोर्ट

    राइट टु हेल्थ मौलिक अधिकार, सरकार सस्ते इलाज की व्यवस्था करे: सुप्रीम कोर्ट

    उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को ऐतिहासिक टिप्पणी करते हुए स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बताया। भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। स्वास्थ्य के अधिकार में सस्ता उपचार शामिल है, इसलिए, यह राज्य का कर्तव्य है कि वह सस्ते उपचार और राज्य और/ या स्थानीय प्रशासन द्वारा चलाए…

  • नए संसद भवन का भूमि पूजन : लोकतांत्रिक विमर्श में धर्म की एंट्री

    नए संसद भवन का भूमि पूजन : लोकतांत्रिक विमर्श में धर्म की एंट्री

    अंततः नए भारत के नए संसद भवन का भूमि पूजन शुभ मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य संपन्न हुआ। एक बार फिर लोकतंत्र को बहुत चतुराई से धर्म के विमर्श के साथ जोड़ने का सरकार का कौशल देखने को मिला। यह वही धार्मिक मूल्य मीमांसा है जिसे संविधान निर्माता बाबा साहब आंबेडकर शोषण को चिरस्थायी…

  • किसान आंदोलन के समर्थन में पूर्व नौकरशाहों के समूह ने लिखा खुला पत्र

    किसान आंदोलन के समर्थन में पूर्व नौकरशाहों के समूह ने लिखा खुला पत्र

    पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों (आईएएस, आईपीएस, आईएफएस) के एक समूह ‘सीसीजी’ ने किसान आंदोलन को लेकर एक खुला पत्र लिखा है। पत्र में 78 पूर्व नौकरशाहों के हस्ताक्षर हैं। पत्र की शुरुआत में नौकरशाहों के समूह (CCG) का परिचय देते हुए लिखा गया है, “हम अखिल भारतीय और केंद्रीय सेवाओं से संबंधित पूर्व सिविल सेवकों के…

  • मौजूदा भारतीय संदर्भ के जटिल प्रश्न और पब्लिक इंटैलेक्चुअल की भूमिका!

    मौजूदा भारतीय संदर्भ के जटिल प्रश्न और पब्लिक इंटैलेक्चुअल की भूमिका!

    पिछले दिनों अंग्रेजी में लिखने-पढ़ने और बोलने वाले बड़े लेखक का एक डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इंटरव्यू सुन रहा था। उन्हें महानगरीय समाज के भद्रलोक में बड़ा लोक-बुद्धिजीवी (पब्लिक-इंटैलेक्चुअल) माना जाता है। यह इंटरव्यू कुछ महीने पहले का था और उस समय के मुद्दों की चर्चा ज्यादा थी, लेकिन इससे राजनीति, समाज और लोकतंत्र के…

  • संविधान की कसौटी पर भी फेल हैं तीनों कृषि कानून

    संविधान की कसौटी पर भी फेल हैं तीनों कृषि कानून

    अगर आप को लगता है कि नया कृषि कानून केवल किसानों का ही अहित करेगा तो यह आप का भ्रम है। कृषि और किसानों के विषय पर नियमित अध्ययन और लेखन करने वाले पत्रकार, पी साईंनाथ ने द वायर में एक विस्तृत लेख लिख कर इन कानूनों में व्याप्त विधिक विरोधाभासों को उजागर किया है।…

  • धर्म के चश्मे से जन आंदोलनों को देखना आत्मघाती और राष्ट्रघाती

    धर्म के चश्मे से जन आंदोलनों को देखना आत्मघाती और राष्ट्रघाती

    अब एक नया तर्क गढ़ा जा रहा है कि इन किसानों को भड़काया जा रहा है। यह भड़काने का काम कांग्रेस कर रही है। कांग्रेस एक विपक्षी दल है और इन कृषि कानूनों को चूंकि सरकार जो भाजपा की है, पारित किया है, तो यह इल्ज़ाम आसानी से कांग्रेस के माथे पर चिपक जाता है।…