Friday, March 29, 2024

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संस्कृतविद मोलवी, गोभक्त मुसलमान और नमाज की मुद्राओं में ऋचाएं पढ़ता एक वैदिकधर्मी युवक!

मेरे पिता को ऋग्वेद पूरा कंठस्थ था। वे अग्नि सूक्त से संज्ञान सूक्त तक धाराप्रवाह सुना सकते थे। यजुर्वेद तो उनके लिए सहज पाठ था। वह भी कंठस्थ, लेकिन हैरानी की बात ये थी कि उन्हें कुरआन की आयतें...

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अब संसदीय लोकतंत्र के तामझाम पर चमक रहा है बिल्कुल नया सामंती ताला  

    आम चुनाव में राजनीतिक दलों में कांटे की टक्कर में कांटेदार टकराव और चकराव है। अभी आगे...