Hakeem
संस्कृति-समाज
जयंतीः तरक्कीपसंद शायरी में गजल को मुक़ाम दिलाने वाले शायर मजरूह सुलतानपुरी
मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगरलोग साथ आते गए और कारवां बनता गया
उर्दू अदब में ऐसे बहुत कम शेर हैं, जो शायर की पहचान बन गए और आज भी सियासी, समाजी महफिलों और तमाम ऐसी बैठकों में...
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कांग्रेस से जुड़े सभी राजघरानों के लोग अवसरवादी रहे
भारतीय राजनीति में दलबदल वैसे तो बहुत सामान्य परिघटना बन गई है लेकिन दलबदल करने वालों की अगर अलग-अलग...
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