Monday, May 29, 2023

Inquilab

जोश मलीहाबादी की पुण्यतिथि: मेरा नाम इंकलाबो, इंकलाबो, इंकिलाब

उर्दू अदब में जोश मलीहाबादी वह आला नाम है, जो अपने इंकलाबी कलाम से शायर-ए-इंकलाब कहलाए। जोश का सिर्फ यह एक अकेला शे’र,‘‘काम है मेरा तगय्युर (कल्पना), नाम है मेरा शबाब (जवानी)/मेरा नाम ‘इंकलाबो, इंकलाबो, इंकिलाब।’’ ही उनके तआरुफ और अज्मत को बतलाने के लिए...

जन्मदिन पर विशेषः मजाज़ की शायरी में रबाब भी है और इंक़लाब भी

एक कैफ़ियत होती है प्यार। आगे बढ़कर मुहब्बत बनती है। ला-हद होकर इश्क़ हो जाती है। फिर जुनून और बेहद हो जाए तो दीवानगी कहलाती है। इसी दीवानगी को शायरी का लिबास पहना कर तरन्नुम से (गाकर) पढ़ा जाए...

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सत्ता और संपत्ति के भार से डगमग पत्रकारिता

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