भारत में जेल साहित्य दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है, यह अच्छी बात भी है और बुरी भी। बुरी इसलिए क्योंकि इनकी अधिकता से यह पता चलता है कि जेलें न सिर्फ भर रहीं हैं, बल्कि यह लेखकों, साहित्यकारों और...
स्वतंत्र पत्रकार और लेखक रूपेश कुमार सिंह 7 जून, 2019 से 5 दिसंबर, 2019 तक बिहार की दो जेलों में छह महीने तक काला कानून ‘यूएपीए’ के तहत कैद थे। 6 दिसंम्बर, 2019 को ये जमानत पर बाहर निकल...