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संस्कृति-समाज

ढाई आखर प्रेम की यात्रा: श्रम और आंदोलन के बीच प्रेम और इंसानियत के गीत

प्रेमचंद ने प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना के वक़्त 1936 में लेखकों को एक ज़िम्मेदारी देते हुए कहा था कि हमें हुस्न का मेयार बदलना [more…]