Saturday, March 25, 2023

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यथार्थ और कल्पना के बीच झूलती रही “सुपर 30”

'सुपर 30' देखकर एक बात यह समझ में आती है कि लॉजिक सिर्फ मैथमेटिक्स में ही नहीं होता, किस्सा-कहानी सुनाने के लिए भी तर्क चाहिए। रीज़निंग को जीवन में सर्वोच्च स्थान पर प्रतिष्ठापित करने वाली यह फिल्म उसी में जगह-जगह मात खाती...

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सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता के बिना स्वस्थ लोकतंत्र नहीं पनप सकता- डी वाई चन्द्रचूड़

जैसे मैं पत्रकारिता और कानून के प्रोफेशन के बारे में सोच रहा था तो, मुझे इस बात का अहसास...