यथार्थ और कल्पना के बीच झूलती रही “सुपर 30”
‘सुपर 30’ देखकर एक बात यह समझ में आती है कि लॉजिक सिर्फ मैथमेटिक्स में ही नहीं होता, किस्सा-कहानी सुनाने के लिए भी तर्क चाहिए। [more…]
‘सुपर 30’ देखकर एक बात यह समझ में आती है कि लॉजिक सिर्फ मैथमेटिक्स में ही नहीं होता, किस्सा-कहानी सुनाने के लिए भी तर्क चाहिए। [more…]