[एक आदमी से बारह घंटे काम लो और जितना ख़र्चे के लिए जरूरी हो उसका आधा ही दो और उम्मीद…
आज वक्त मजदूरों को आवाज़ दे रहा है!
सदियों दासता, सामंतवाद से संघर्ष करने के बाद दुनिया में मज़दूरों ने 1 मई 1886 को अपने अस्तित्व का परचम…
[एक आदमी से बारह घंटे काम लो और जितना ख़र्चे के लिए जरूरी हो उसका आधा ही दो और उम्मीद…
सदियों दासता, सामंतवाद से संघर्ष करने के बाद दुनिया में मज़दूरों ने 1 मई 1886 को अपने अस्तित्व का परचम…