लॉकडाउन से देश को बाहर निकालने की जल्दबाजी में मोदी सरकार नज़र आयी तो इसकी एक वजह थी मजदूरों का गुस्सा। भूखे पेट पैदल चलते, गुस्सा दिखाते, प्रदर्शन करते मजदूरों की आवाज़ तेज होने लगी थी। कोरोना थमने का...
देखिये साहब भरोसा वरोसा आपको करना हो तो करते रहिये, हम तो करते नहीं साफ़ कहना सुखी रहना। एक घर की ओर जाते मजदूर से एक पत्रकार ने जब पूछा कि अब तो प्रधानमंत्री की ओर से 20 लाख...
कमाल के ‘कम्युनिकेटर’ हैं अपने प्रधानमंत्री। कम से कम 22 मार्च से तो कई बार राष्ट्र के नाम संबोधन कर ही चुके हैं। लेकिन मजदूरों तक बात पहुंची ही नहीं। 40-45 दिन में भी नहीं।
22 मार्च की सुबह 7.00...
(प्रवासी मज़दूरों के अपने घरों की वापसी का केंद्र ने तो रास्ता खोल दिया। लेकिन घरों तक पहुँचने के लिए उनके रास्ते में आने वाले कांटों के बारे में उसने कुछ नहीं कहा है। सारी ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों के...
बात कई दिन पुरानी है, लेकिन है झकझोर देने वाली सच्ची घटना। एक नौकरशाह ने प्रधानमंत्री की चाटुकारिता करते हुए, उनका सच्चा हमदर्द बनते हुए और उनके प्रति वफ़ादारी जताते हुए कहा कि ‘सर, प्रवासी मज़दूर बहुत तकलीफ़ में...