क्या आज कोई देवेन उर्दू शायर नूर शाहजहानाबादी का ‘मुहाफ़िज़’ बन पाएगा ?
”मैं तो आपको एक ख़ुशख़बरी सुनाने आया था, नूर साहब ने अपना नया कलाम मेरी हिफ़ाज़त में छोड़ दिया है। मैं…..मैं उसका मुहाफ़िज़ (संरक्षक) हूं” [more…]
”मैं तो आपको एक ख़ुशख़बरी सुनाने आया था, नूर साहब ने अपना नया कलाम मेरी हिफ़ाज़त में छोड़ दिया है। मैं…..मैं उसका मुहाफ़िज़ (संरक्षक) हूं” [more…]