उनको डर लगता है
आशंका होती है
कि हम भी जब हुए भूत
घुग्घू या सियार बने
तो अभी तक यही व्यक्ति
ज़िंदा क्यों?
मुक्तिबोध
ऐसे समय में जब व्यक्तिगत ख्याति प्राप्त करने की चाह अधिकांश मध्यमवर्गीय बुद्धिजीवियों-नेताओं-पत्रकारों-साहित्याकारों में हिलोरे मार रही है, सब को...