वामपंथियों को आँख मूँदकर गाली देने वाले आजकल के कथित सत्ता के चाटुकार पत्रकारों, लेखकों, सम्पादकों, भाँड़ मीडिया के एंकरों और कथित साहित्यकारों को भारत के वर्तमान समय में सत्तासीन पूँजीपतिपरस्त सरकार के दंगाई, फॉसिस्ट, जनविरोधी, कार्पोरेट हितैषी कर्णधारों...
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