बाबासाहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपनी पुस्तक ‘क्रान्ति और प्रतिक्रान्ति’ में लिखा है कि भारतीय इतिहास दो संस्कृतियों के बीच संघर्ष का इतिहास है। ये दो संस्कृतियाँ हैं- वैदिक ब्राह्मण संस्कृति तथा बौद्ध श्रमण संस्कृति। एक तरफ जहाँ वैदिक...
आज प्रो. तुलसी राम के व्यक्तित्व व वैचारिकी के ढेर सारे प्रशंसक मौजूद हैं, मैं भी उन्हीं में से एक हूँ। प्रो. तुलसी राम से मेरी पहली मुलाकात गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रे़क्षागृह में डॉ. अम्बेडकर के विचारों पर आयोजित...
भारतीय साहित्य में अपनी पहली ही कृति आत्मकथा 'मुर्दहिया' से तुलसीराम हिन्दी साहित्य और दलित साहित्य में कालजयी लेखकों की प्रथम पंक्ति में शामिल हो गए। इसका कारण उनका एक दलित होने के कारण स्वयं भोगे भूख-गरीबी, कष्ट, दारूणता,...