क्या आज कोई देवेन उर्दू शायर नूर शाहजहानाबादी का ‘मुहाफ़िज़’ बन पाएगा ? 

”मैं तो आपको एक ख़ुशख़बरी सुनाने आया था, नूर साहब ने अपना नया कलाम मेरी हिफ़ाज़त में छोड़ दिया है।…

जयंती पर विशेष: निदा ने मुल्क के लिए छोड़ दिया था मां-बाप को

दोहा जो किसी समय सूरदास, तुलसीदास, मीरा के होंठों से गुनगुना कर लोक जीवन का हिस्सा बना, हमें हिंदी पाठ्यक्रम…