वर्ण-जाति और वर्गों की दावेदारी तथा निजी संपत्ति का जन्म

आज भारतीय समाज में बहुस्तरीय संघर्षों की मुखर अभिव्यक्ति दिख रही है। यह स्थिति आज की नहीं है बल्कि यह…