पराली जलाने पर किसान सम्मान निधि व एमएसपी पर फसलों की खरीद रोकने का मुख्यमंत्री का निर्देश अनुचित

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भोपाल। हाल ही में राजस्व विभाग की समीक्षा बैठक में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने निर्देश दिया है कि पराली जलाने वाले किसानों की पीएम किसान सम्मान निधि और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं, सोयाबीन, धान आदि फसलों की खरीद रोक दी जाए। इस तरह का निर्देश देना पूरी तरह से अनुचित, अमानवीय और अवैधानिक है। अखबारों में प्रकाशित खबरों में पराली और नरवाई को एक ही श्रेणी में रखा गया है, जो यह स्पष्ट करता है कि मुख्यमंत्री और उनकी सरकार का कृषि ज्ञान कितना सीमित है।

नरवाई गेहूं की कटाई के बाद बचे पौधे का शेष हिस्सा है, जो भूसा बनाने के काम आता है। बाजार में आज भूसे की कीमत लगभग ₹1000 प्रति क्विंटल है। सामान्यतः कोई भी किसान इसे नहीं जलाता। दूसरी ओर, पराली धान की कटाई के बाद बचा हुआ निचला हिस्सा है, जिसे कुछ किसान खेत में जला देते हैं। हालांकि, मध्य प्रदेश में धान की पैदावार अपेक्षाकृत कम है और आमतौर पर किसान पराली जलाने के बजाय उसे खेत में मिलाकर जैविक खाद के रूप में उपयोग करते हैं।

इस स्थिति में कुछ अपवादस्वरूप घटनाओं को आधार बनाकर इस तरह का निर्देश देना, जिसमें किसानों को मिलने वाली थोड़ी-बहुत राहत को भी बंद किया जाए, पूरी तरह से अनुचित है। अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव बादल सरोज, मध्य प्रदेश किसान सभा (शाकिर सदन) के कार्यवाहक अध्यक्ष प्रहलाद वैरागी, किसान जागृति संगठन के प्रमुख इरफान जाफरी, किसान सभा (बीटीआर भवन) के प्रदेश अध्यक्ष अशोक तिवारी और महासचिव अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री के इस निर्देश की कड़ी निंदा की है और इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है। इस संबंध में किसान संगठनों की ओर से मुख्यमंत्री को एक पत्र भी भेजा जाएगा।

किसान नेताओं ने कहा है कि मध्य प्रदेश में किसानों को समय पर पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध नहीं होता। सरसों, सोयाबीन, गेहूं, बाजरा, धान जैसी फसलें सामान्यतः एमएसपी पर नहीं बिक पातीं। इन समस्याओं का समाधान करने के बजाय इस तरह के निर्देश देना पूरी तरह से अनुचित है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि यह निर्देश वापस नहीं लिया गया, तो किसान पराली या नरवाई तो नहीं जलाएंगे, लेकिन इस निर्देश की प्रतियां अवश्य जलाएंगे।

आगामी दिनों में संयुक्त किसान मोर्चा की राज्य स्तरीय बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। इस बैठक में प्रदेश में किसानों की स्थिति और समस्याओं को लेकर आगामी रणनीति तय की जाएगी।

(जनचौक की रिपोर्ट)

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