केंद्र का आदिवासियों पर एक और गाज! छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्राहकों को मिलने वाली बीमा की सुविधा समाप्त

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में करीब 13 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए लागू की गई बीमा योजना अब बंद हो गई है। तेंदूपत्ता संग्राहक अब अपने जोखिम पर ही जंगलों में तेंदूपत्ता तोड़ेंगे। केंद्र सरकार ने मार्च 2018 से तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना लागू की थी। 

दैनिक नवभारत में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में भी सभी तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों का बीमा कराया गया था, लेकिन राज्य सरकार ने जून 2019 से बीमा प्रीमियम की राशि ही जमा नहीं कराई है। इसके चलते राज्य के लाखों तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को इस बीमा योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। 

छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज (व्यापार व विकास) सहकारी संघ मर्यादित के अधिकारियों के मुताबिक तेंदूपत्ता परिवार के मुखिया जिनकी आयु 18 से 50 वर्ष है, के लिए मार्च 2018 से प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना लागू किया गया है।

बता दें कि छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता इकट्ठा करने का काम मुख्यत: आदिवासी और दलित समुदाय द्वारा किया जाता है। पूरे देश का 20 प्रतिशत तेंदूपत्ता उत्पादन यहीं होता है। यहां के पत्ते गुणवत्ता में सर्वश्रेष्ठ होते हैं। राज्य सरकार सहकारी समितियों के माध्यम से इसे संग्रहीत करती है।

जोखिम में डालते हैं जान

महासमुंद के पटेवा क्षेत्र के रूमेकेल गांव के दलदली क्षेत्र में आज एक 32 वर्षीय ग्रामीण पर भालुओं ने हमला कर दिया। रुमेकेल निवासी रामशरण आज सुबह करीबन 5 बजे के आस पास तेंदूपत्ता तोडऩे गांव से दलदली गांव के पास जंगल में गए थे। वहां भालुओं ने उन पर पीछे से हमला कर दिया। इससे वह बुरी तरह घायल हो गए। जान बचाकर भागते रामशरण पेड़ पर चढ़ गए। पेड़ पर चढ़कर उन्होंने ग्राम रुमेकेल के सरपंच पवन ध्रुव और दाऊलाल देवशरण को फोन पर घटना की जानकारी दी। 

तेंदूपत्ता संग्रहण के दौरान अक्सर ग्रामीण जंगल में दूर- दूर तक निकल जाते हैं। इस दौरान वे जंगली जानवरों की नजर में भी आ जाते हैं। कई बार भालुओं व अन्य जंगली जानवरों से भी उनका आमना- सामना हो जाता है। इस जोखिम से उनके बचाव के लिए सरकार ने बीमा करवाने का भी जोर-शोर से घोषणा की थी। लेकिन सरकार ने अब उसको वापस ले लिया है।

(बस्तर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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