नई दिल्ली। संदेशखाली में भाजपा की करतूत खुलकर सामने आ गयी है। ममता बनर्जी की सरकार और संदेशखाली में टीएमसी के स्थानीय नेताओं को बदनाम करने का भांडा फूट गया है। संदेशखाली की महिलाओं ने आरोप लगाया है कि उनसे सादे कागज पर हस्ताक्षर कराकर बलात्कार की झूठी शिकायत दर्ज कराई गई थी। संदेशखाली मामले को लेकर एक महिला ने बड़ा दावा किया है। महिला के उक्त दावे के बाद टीएमसी नेता भाजपा पर हमलावर हो गए हैं। महिला ने कहा कि इसके पीछे भाजपा की एक महिला नेता थी।
टीवी चैनलों पर चली खबर के मुताबिक शिकायत करने वाली दो महिलाओं- तापती मैती और मीता मैती का कहना है कि हमें कभी नहीं पता था कि हमारे साथ बलात्कार हुआ है और हमारे आरोप यहां तक पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि वे पूछने आए कि किसको शिकायत है। जब हम अपनी शिकायतें दूर करानी चाहीं तो हमें एक कोरा कागज दिया गया और हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया। उसके बाद, हम घर चले गए। चार-पांच दिन बाद हमें थाने से नोटिस मिला। तब हमें पता चला कि उसने बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई है। ये सरासर झूठ था। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था।
उन्होंने आरोप लगाया कि पियाली दास (भाजपा कार्यकर्ता) ने साजिश कर हमें फंसाया। उस वक्त तो वह सिर्फ विरोध करती थी। अब, मैं देख रही हूं कि वह भाजपा से जुड़ी हुई है। मैं चाहती हूं कि उसे हमसे झूठ बोलकर हमें फंसाने की सजा मिले।
मुझे नहीं पता था कि हमारा नाम फर्जी रेप शिकायतों में दिया गया है। मैं आज पुलिस स्टेशन गई, क्योंकि मुझे पियाली दास (माम्पी) के माध्यम से जान से मारने की धमकी मिल रही थी कि वे हमें मार डालेंगे। सिर्फ इसलिए कि हम मामला उजागर कर रहे हैं, वे हमें जान से मारने की धमकी दे रहे हैं और 2 लाख रुपये का फर्जी मुकदमा दायर करने की धमकी दे रहे हैं।
मीडिया से बात करते हुए, संदेशखाली निवासी ने कहा कि जिस दिन राष्ट्रीय महिला आयोग की एक टीम ने यहां का दौरा किया, तो उस दौरान पियाली नाम की एक महिला ने हमें अपनी शिकायतें साझा करने के लिए बुलाया। महिला ने कहा कि मैंने उन्हें बताया कि हमें 100 दिनों की नौकरी योजना के तहत पैसे नहीं मिले हैं। मुझे केवल वह पैसा चाहिए था और कोई अन्य शिकायत नहीं है। कोई बलात्कार नहीं हुआ। पियाली ने हमसे एक खाली कागज पर हस्ताक्षर करवाए। इसके बाद ही मुझे यह पता चला कि मेरा नाम उन महिलाओं की सूची में शामिल है जिन्होंने टीएमसी नेताओं पर बलात्कार का आरोप लगाया है।
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में महिलाओं ने टीएमसी नेताओं पर उत्पीड़न का आरोप गया था और टीएमसी नेताओं की गिरफ्तारी को लेकर प्रदर्शन किया था। अब उन महिलाओं ने अपनी शिकायत वापस ले ली है। जिन महिलाओं ने महिला आयोग और मीडिया के सामने बयान दिया था कि उनके साथ शेख शाहजहां और शिबू हाजरा ने बलात्कार और शारीरिक उत्पीड़न किया था। उन्होंने अब अपने आरोपों से इनकार कर दिया है।
भाजपा ने तृणमूल के आरोपों को डैमेज कंट्रोल करने की कवायद बताया है। भाजपा प्रवक्ता प्रियंका टिबरेवाल ने कहा कि टीएमसी डैमेज कंट्रोल करने में भी काफी देरी कर चुकी है। तृणमूल को यह समझना होगा कि समय निकल चुका है। तृणमूल अब जवाब क्यों दे रही है? वे दो-तीन महीने तक चुप क्यों थे। उन्होंने पहले कहा था कि (संदेशखाली की) महिलाएं झूठ बोल रही थीं, अब वे कह रहे हैं कि उनसे झूठ बुलवाया गया था। जो भी नुकसान होना था वह हो चुका है।
टीएमसी सांसद डॉ शांतनु सेन ने कहा है कि संदेशखाली एक मनगढ़ंत मुद्दा है। अब सच्चाई सामने आ रही है कि, महिलाओं की पहचान महज 2000 रुपये में बेच दी गई। बाद में कभी अंग्रेजी नहीं जानने वाले लोगों से कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। कुछ महिलाओं से जबरन कोरे कागजों पर हस्ताक्षर कराए गए। बाद में जो लोग शिकायत वापस लेना चाहते थे उन्हें बीजेपी नेताओं ने धमकाया।
(जनचौक की रिपोर्ट)
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