वर्धा विश्वविद्यालय: सवालों के घेरे में पीयूष प्रताप सिंह की नियुक्ति

Estimated read time 1 min read

वर्धा। महाराष्ट्र के वर्धा में स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय (MGAHV) अपने स्थापना काल से ही विवादों में रहा है। अब विश्वविद्यालय में यूजीसी और विश्वविद्यालय द्वारा तय मानकों की अनदेखी करके प्रवक्ता पद पर हुई नियुक्ति चर्चा में है।

दरअसल, 2007 में लेक्चरर पद पर पीयूष प्रताप सिंह की नियुक्ति को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। प्राप्त दस्तावेज़ों और सूत्रों के अनुसार, चयन प्रक्रिया में मानकों का उल्लंघन करके उनकी नियुक्ति हुई है, जिससे विश्वविद्यालय की नियुक्ति प्रक्रिया और प्रशासनिक प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

2006 में विश्वविद्यालय के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग में लेक्चरर पद के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। विज्ञापन में पद के लिए न्यूनतम योग्यता के रूप में निम्नलिखित शर्तें निर्धारित की गई थीं:

एमसीए (55% अंकों के साथ)-उम्मीदवार को कंप्यूटर अनुप्रयोग में मास्टर डिग्री होनी चाहिए, जिसमें न्यूनतम 55% अंक होने चाहिए। नेट (NET) या पीएचडी-उम्मीदवार को राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) उत्तीर्ण, या फिर अभ्यर्थी के पास पीएचडी डिग्री होनी चाहिए। अन्य आवश्यक शैक्षिक योग्यता में कुछ विशेष तकनीकी दक्षताओं और शैक्षिक अनुभव की आवश्यकता थी।

हालांकि, पीयूष प्रताप सिंह, जो इस पद के लिए चयनित हुए थे, न तो नेट उत्तीर्ण थे और न ही उनके पास पीएचडी की डिग्री थी। इसके अलावा, उनके पास कोई शोध प्रकाशन या अन्य अपेक्षित शैक्षिक प्रमाणपत्र भी नहीं थे। इसके बावजूद, उन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया।

विश्वविद्यालय द्वारा बनाई गई प्रारंभिक चयन समिति ने पीयूष प्रताप सिंह को अयोग्य करार दिया था, क्योंकि उनके पास नियमानुसार आवश्यक शैक्षिक योग्यता नहीं थी।

इसके बाद, तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर जी. गोपीनाथन ने एक आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि न्यूनतम वेतनमान पर योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जाए। इसके बावजूद, एक नई समिति ने पीयूष प्रताप सिंह को योग्य मानते हुए उन्हें नियुक्ति देने की सिफारिश की।

पीयूष प्रताप सिंह

इस मामले में सबसे बड़ी गड़बड़ी यह थी कि विश्वविद्यालय ने UGC के स्पष्ट दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया। विश्वविद्यालय को यह सुनिश्चित करना था कि उम्मीदवार के पास UGC द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप योग्यता हो, लेकिन यह सब कुछ नजरअंदाज किया गया।

यही नहीं नियुक्ति के बाद पदोन्नति और स्थायीकरण में अनियमितता बरती गयी। पीयूष प्रताप सिंह को मात्र एक वर्ष के भीतर स्थायी नियुक्ति दे दी गई। इसके अलावा, उन्हें बिना कोई शोध पत्र प्रकाशित किए और बिना आवश्यक शैक्षिक प्रमाणपत्रों के, एसोसिएट प्रोफेसर और फिर प्रोफेसर के पदों पर पदोन्नत कर दिया गया।

UGC के दिशा-निर्देशों के अनुसार, इन पदों के लिए शोध कार्य और उचित अकादमिक योगदान की आवश्यकता होती है, जो सिंह के पास नहीं था।

UGC के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी उम्मीदवार को उच्च शैक्षिक पदों के लिए चयनित करने से पहले यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि वह उम्मीदवार योग्य हो, और उसकी योग्यता UGC द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप हो।

यदि उम्मीदवार नेट उत्तीर्ण नहीं है और उसके पास शोध कार्य या प्रकाशित शोध पत्र नहीं हैं, तो उसे उच्च पद पर पदोन्नति देने का कोई औचित्य नहीं है। इसके बावजूद, पीयूष प्रताप सिंह को यह सारी अयोग्यता के बावजूद नियुक्ति और पदोन्नति दी गई, जो साफ तौर पर नियमों का उल्लंघन है।

प्रशासन की भूमिका पर सवाल विश्वविद्यालय प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं। चयन समिति के सदस्यों और कुलपति प्रोफेसर जी. गोपीनाथन पर आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर नियमों का उल्लंघन किया। इसके अलावा, नियुक्ति प्रक्रिया के बाद जारी किए गए आदेशों की प्रतियां कुलपति को नहीं भेजी गईं, जिससे यह मामला और भी संदिग्ध हो गया।

सूत्रों के अनुसार, पीयूष प्रताप सिंह वर्तमान में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। यह मामला उच्च शिक्षा संस्थानों में नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर गंभीर चिंताएं उत्पन्न कर चुका है। JNU जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में उनकी नियुक्ति और पदोन्नति को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं।

वर्धा विश्वविद्यालय में शोध कर रहे एक छात्र का कहना है कि इस मामले की निष्पक्ष और गहन जांच होनी चाहिए। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि उच्च शिक्षा प्रणाली में योग्यता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।

यह मामला उच्च शिक्षा में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, जिससे भविष्य में नियुक्ति प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा मिलेगा।

(राजेश सारथी की रिपोर्ट)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author