पश्चिम बंगाल चुनावः बहुत मुश्किल है डगर डायमंड हार्बर की!

Estimated read time 1 min read

यूं तो बंगाल में विधानसभा की 294 सीटें हैं लेकिन सात विधानसभा सीटें ही ऐसी हैं, जिन पर नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा की सबसे अधिक नजर लगी है। यह भाईपो की संसदीय सीट डायमंड हार्बर है। यह भाईपो और कोई नहीं बल्कि अभिषेक बनर्जी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह अपनी सभा में अगर एक बार ममता बनर्जी का नाम लेते हैं तो कम से कम पांच बार भाईपो का जिक्र करते हैं। यहां बता दें कि अभिषेक बनर्जी रिश्ते में ममता बनर्जी के भतीजे हैं। भतीजा को बांग्ला में भाईपो कहते हैं।

अब सवाल उठता है कि क्या मोदी और शाह की फौज अभिषेक बनर्जी के दुर्ग को तोड़ पाएगी। इसे समझने के लिए हम पहले डायमंड हार्बर संसदीय सीट के भूगोल पर नजर डालते हैं। इनमें डायमंड हार्बर, फलता, सात गछिया, विष्णुपुर, महेश्तला, बज बज और मटियाबुरुज विधान सभा शामिल है। यहां उल्लेखनीय है कि ज्योति बसु सतगछिया से ही चुनाव लड़ा करते थे। यहां दो हजार सोलह का जिक्र नहीं करते हैं क्योंकि तब इस क्षेत्र में भाजपा का कोई वजूद ही नहीं था। इसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव में उत्तर बंगाल में मोदी की आंधी चलने के बावजूद इन सात विधानसभा सीटों के परिणाम पर मोदी के जादू का कोई असर नहीं पड़ा था। भाजपा के उम्मीदवार नीलांजन राय 5 विधानसभा सीटों पर तो 30 हजार से अधिक मतों से पीछे रह गए थे। बजबज का फासला 50 हजार था तो मटियाबुरुज में 70 हजार से भी अधिक मतों का था। अभिषेक बनर्जी तीन लाख से भी अधिक मतों से चुनाव जीत गए थे।

पश्चिम बंगाल में चले दल बदल के भयानक खेल का डायमंड हार्बर सीट पर कोई खास असर नहीं पड़ा। सिर्फ डायमंड हार्बर के विधायक दीपक हालदार ने तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा के खाते में अपना नाम लिखा लिया है। भाजपा ने उन्हें टिकट भी दिया है। इसके अलावा भाजपा की बी टीम कहे जाने वाली ओवैसी की पार्टी ने मटिया बुरुज में अपना उम्मीदवार खड़ा किया है। अब सवाल उठता है कि शाह और मोदी के पुरजोर हमले के बावजूद क्या भाजपा तीन लाख मतों के इस फासले  को पाट पाएगी।

इस संसदीय सीट के बाहर भी पूरे पश्चिम बंगाल में अभिषेक बनर्जी के खिलाफ जंग लड़ी जा रही है। मोदी, शाह, नड्डा और राजनाथ सिंह जैसे भाजपा के प्रमुख नेता अभिषेक बनर्जी को तोला बाज करार देते हुए पुरजोर हमला करते हैं। इस शब्द को उन्होंने तृणमूल से भाजपा में आए शुभेंदु अधिकारी और राजीव बनर्जी जैसे नेताओं से उधार लिया है। रंगदारी वसूलने वालों को बांग्ला में तोलाबाज कहा जाता है। मोदी और शाह अपनी सभाओं में सवाल पूछते हैं कि कोयला तस्करी का पैसा कहां जाता है, गौ तस्करी का पैसा कहां जाता है, कट मनी का पैसा कहां जाता है। इसके बाद जवाब में कहते हैं कि यह सारी रकम तोलाबाज भाईपो के खाते में जाता है। यानी भाजपा के किसी भी नेता की किसी भी विधानसभा क्षेत्र में सभा क्यों न हो ममता बनर्जी से भी ज्यादा अभिषेक बनर्जी ही निशाने पर रहते हैं।

इस धुआंधार प्रचार के अलावा और मोर्चे पर भी लड़ाई लड़ी जा रही है। यह है सीबीआई और ईडी का कार्यालय। दोनों ही कोयला तस्करी और गौ तस्करी मामले की जांच कर रहे हैं। कोयला तस्करी के मामले में तृणमूल कांग्रेस के नेता विनय मिश्रा को अभियुक्त बनाया गया है। वे फरार है। सीबीआई और ईडी के मुताबिक विनय मिश्रा के अभिषेक बनर्जी के साथ बेहद करीबी संबंध हैं। ईडी ने विनय मिश्रा के भाई विकास मिश्रा को गिरफ्तार किया है और कोशिश है कि उनसे किसी तरह अभिषेक बनर्जी का नाम कबुलवा लिया जाए।

इसकी एक बेहद दिलचस्प मिसाल भी है। कोयला तस्करी के मामले में सीबीआई के अधिकारी बांकुड़ा के एक पुलिस अफसर से पूछताछ कर रहे थे। इस पूछताछ का एक ऑडियो कैसेट जारी कर दिया गया। इसमें अफसर सवाल करता है कि कि पैसा कहां जाता रहा है। जवाब में पुलिस अफसर कहता है कि ऊपर तक जाता है और प्रत्येक महीने तीस करोड़ रुपये जाता रहा है। सीबीआई के अफसर द्वारा की जा रही पूछताछ का ऑडियो कैसेट बाहर कैसे आ गया। इसका कोई जवाब तो नहीं मिला लेकिन भाजपा ने ऑडियो कैसेट को वापस ले लिया। इसके अलावा कोयला तस्करी के मामले में सीबीआई अनूप माजी उर्फ लाला को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है।

बहरहाल लाला की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है। यहां भी सीबीआई की कोशिश है कि किसी तरह लाला से अभिषेक बनर्जी का नाम कहलवा लिया जाए। दूसरी तरफ अभिषेक बनर्जी की चुनौती है कि मोदी और शाह के पास सीबीआई, ईडी और एनआईए है, अगर सबूत है तो हमें गिरफ्तार कीजिए। यहां गौरतलब है कि सीबीआई और ईडी अभी तक तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को बुला चुकी है, लेकिन अभी तक अभिषेक बनर्जी को तलब नहीं किया है।

बात यहीं खत्म नहीं होती है, क्योंकि अभिषेक बनर्जी न सही उनकी पत्नी रूजीरा नरूला को कस्टम विभाग में सोने का तस्करी करने का आरोप लगाते हुए घेरने की कोशिश की है। कस्टम विभाग ने नरूला को नोटिस भेजा तो वह हाई कोर्ट चली गईं और हाई कोर्ट ने मामले को खारिज कर दिया। अब कस्टम विभाग की अपील हाई कोर्ट में लंबित है। लिहाजा यहां भी सरकार अभिषेक को उनकी पत्नी के मार्फत घेरने में नाकाम रही है। कुल मिलाकर मोदी और शाह के पुरजोर हमले के बावजूद बहुत कठिन है डगर डायमंड हार्बर की।

(जेके सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और पश्चिम बंगाल में रहते हैं।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author