‘अगले जन्म में फौजी जरूर बनूंगा’ लिखकर अग्निवीर भर्ती में फेल युवक ने किया सुसाइड

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गांव-देहात में समाज के लड़कों की पहली प्राथमिकता फौज में जाना होता है। सरकारी नौकरी में फौज की ही नौकरी ऐसी मानी जाती है जिसके लिये बहुत पढ़ाई और घूस की जरूरत नहीं होती। देश के किसी भी गांव में हो आइये, किशोरवास्था से युवावस्था की ओर कदम बढ़ाते युवकों का झुंड सुबह-शाम सड़कों, सरकारी स्कूलों, बगीचों में दौड़ता, कूदता हांफता मिल जायेगा।

अमूमन 17 साल से लेकर 20-22 साल तक दौड़ने भागने के दौरान होना हुआ तो हो गया, नहीं हुआ तो छोड़-छाड़कर ये युवक दिहाड़ी पर काम के लिये अपने शहर के लेबर चौराहों पर या दिल्ली, मुंबई और गुजरात के प्राइवेट कल कारखानों में खपने चले जाते हैं।

लेकिन अलीगढ़ के दीपू कुमार के लिये फौज में जाना सिर्फ परिवार की आर्थिक जरूरत भर नहीं थी, उसने फौज को अपने जीने का मकसद बना लिया था। तभी तो जब 30 जनवरी को रिजल्ट आया और उसका चयन नहीं हुआ, तो उसकी आंखों से नींद उड़ गई।

उसे लगा कि जब जीने का उसका मकसद, उसका सपना ही खत्म हो गया तो जीने का क्या मतलब और उसने नोएडा सेक्टर 49 के किराये के कमरे में फांसी लगाकर बेरोजगारी भरी इस व्यवस्था में अपने जीवन को खत्म कर लिया। और अपने पीछे छोड़ गया अपनी इच्छा- ‘अगले जन्म में जरूर फौजी बनूंगा’।

आखिर किसने और क्यों छीन लिया उससे उसका सपना, उसके जीने का मक़सद, उससे उसकी जिन्दगी।

पिछले साल केंद्र सरकार ने तय अवधि रोजगार (FTE) योजना के तहत सेना का संविदाकरण करते हुये चार वर्षीय अग्निपथ योजना लागू किया, तो दावा किया कि इससे ज़्यादा से ज़्यादा युवाओं को सेना में जाने मौका मिलेगा। फिर दीपू कुमार को अग्निवीर बनने का मौका क्यों नहीं मिला? जो उसे अपने इस जन्म के सपने को अगले जन्म में पूरा करने की उम्मीद के साथ अपनी जिन्दगी खत्म करनी पड़ी।

बता दें कि दीपू कुमार अलीगढ़ के बरौला गांव का रहने वाला था। दीपू के पिता हरि सिंह मजदूरी करते हैं और उनकी आर्थिक हैसियत बहुत कमजोर है। दीपू अपने छोटे भाई अमन व बुआ के लड़के अंशु के साथ नोएडा में किराए पर रह रहा था।

दीपू अपने भाई के साथ यहां फौज में भर्ती होने की तैयारी कर रहा था। सोमवार को दीपू का भाई अमन व अंशु बाहर गए हुए थे। इस दौरान दीपू ने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। शाम के समय जब अमन व अंशु कमरे पर पहुंचे तो उन्हें दीपू फांसी के फंदे पर लटका मिला।

मरहूम दीपू कुमार

मरहूम दीपू कुमार के चाचा नंदकिशोर बताते हैं कि “दीपू का एकमात्र उद्देश्य फौज में भर्ती होना था। 30 जनवरी को जब रिजल्ट आया तो वो टूट गया। रिजल्ट आने के बाद उसके माता-पिता उससे मिलने और ढांढस बंधाने अलीगढ़ से नोएड़ा गये थे। माता पिता के नोएडा से अलीगढ़ लौटने के तीसरे दिन उसने फांसी लगा लिया”।

चाचा नंदकिशोर रौंधे गले से कहते हैं कि “परिवार को यह उम्मीद नहीं थी कि वो ऐसा भी कदम उठा सकता है”। घटना वाले दिन का उल्लेख करते हुये नंदकिशोर बताते हैं कि “कल उसका भाई सुबह ही दफ़्तर के लिए निकल गया, दोपहर में दो चचेरे भाई भी काम पर निकल गये। कमरे में दीपू अकेला था”। मरहूम के चाचा बताते हैं कि “दीपू एक होनहार लड़का था उसने कई प्रतियोगिताओं में पुरस्कार और मेडल जीते थे”।

सुसाइड नोट के तीन पन्नों में पसरा टूटे सपने दर्द

दीपू कुमार ने अपने तीन पन्नों के सुसाइड नोट में शीर्षक लिखा है, “सेना में जाना ही था सपना”। पहले पेज पर भाई को संबोधित करते हुये दीपू कुमार ने सुसाइड नोट में लिखा है, कि “भाई मैं फौजी नहीं बन पाया तुम जरूर बनना। तुम बूढ़े माता-पिता का ख्याल रखना। मैं इस जन्म में नहीं, अगले जन्म में फौजी बनकर दिखाउंगा। मैंने आर्मी को अपनी जिंदगी माना था। जब वो नहीं मिली तो ये जिंदगी किस काम की”।

दीपू ने सुसाइड नोट में आगे अपने संघर्ष के बारे में लिखा है कि- “वैसे तो मैंने कभी हार नहीं मानी, पर कहते हैं ना कि इंसान गलत काम अपनी खुशी से नहीं करता। कुछ मजबूरियां उसे गलत काम करने पर मजबूर कर देती है”।

सुसाइड नोट के अगले हिस्से में मां को संबोधित करते हुये दीपू ने लिखा है कि “मम्मी मैं बहुत दिनों से सो नहीं पा रहा था। रात को नींद नहीं आती। जब से आर्मी का टेस्ट दिया था। उस दिन से इसी बात का डर था नंबर आएगा या नहीं आएगा। पापा और तुम कितनी उम्मीदें लेकर थे। मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर पाया। लेकिन तुम उदास मत होना। इस जन्म में न सही, अगले जन्म में फौजी बनकर जरूर दिखाउंगा।”

सुसाइड नोट

अग्निवीर बनने के अपने सपने के बारे में दीपू ने लिखा है कि “मैंने आर्मी को अपनी जिंदगी माना था। जब वो मिली नहीं तो ये जिंदगी किसा काम की। मेरे बहुत सपने थे क्या क्या सोचा था मैंने, लेकिन मेरी मेहनत का मुझे कोई फल नहीं मिला। अमन को अच्छे से रखना, प्रियंका की शादी अच्छे से करना, मैं ऊपर जाकर सब देखूंगा। रोहित माफ करना मेरे दोस्त, जिंदगी भर का साथ निभाने का वादा किया, लेकिन तुझे अकेला छोड़कर जा रहा हूं। मेरे अमन का ध्यान रखना।”

एक बार फिर मां को संबोधित करते हुये दीपू ने लिखा है कि “मम्मी मेरी एक फोटो लगाना घर में और मेरे सारे सर्टिफिकेट ट्रॉफी उन फोटो के साथ लगाना। इस जन्म में न सही अगले जन्म में फौजी बनकर दिखाउंगा। बड़ी मम्मी, बडे पापा तुम्हारी याद आएगी। मैं क्या करू मुझे नींद नहीं आती है, मैं सोना चाहता हूं जी भर के।”

सुसाइड नोट के अगले हिस्से में दोस्तों को संबोधित करते हुये दीपू ने लिखा है कि “रोहित, आमिर, संदीप, वीरेश, अभिषेक, श्यामू, हिमांशु ,विशाल तुम सब लोग से बहुत प्यार मिला। मुझे माफ करें, अंदर से जीने की उम्मीद खत्म हो गई, अब नहीं जिया जाता। बस याद रखना तुम्हें जब भी मेरी याद आए करे, रात को आसमान की तरफ देख लिया करना। एक तारा बनकर नजर आया करूंगा। और रोना नहीं बिल्कुल भी। प्रियंका बेटा ध्यान रखना मम्मी पापा का।”

सुसाइड नोट

आगे अपने ईश्वर को याद करते हुये दीपू ने लिखा है कि “मैंने चार साल खूब मेहनत की लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। अपने मां-पापा का नाम रोशन नहीं कर सका। मैं अपने कान्हा जी के पास जा रहा हूं। वो मुझे बुला रहे हैं।”

फिर पिता को संबोधित करते हुये दीपू ने लिखा है कि “पापा तुम ज्यादा काम मत करना, तुम बहुत काम करते हो, मुझे पता है। मैं वापस आउंगा जरूर। अमन सुन ये प्यार-व्यार के चक्कर में कभी मत पड़ना सब बकवास है। बस अपने टॉरगेट पर ध्यान रखना देना कि मुझे कुछ करना है कुछ बनाना है।”

सुसाइड नोट के आखिर में दीपू ने ये भी लिखा, कि “याद आ रही है तेरी बहुत, तू दोस्त बना लेना कोई अपना, ठीक है। मुकुल भैया मुझे माफ करना, मैं आपसे दो साल से नहीं बोला। तुम्हारा कोई कसूर नहीं था, जो किस्मत में लिखा है वहीं मिलता है। और अब क्या लिखूं, जितना लिखूंगा उतना कम है, ठीक है चलता हूं।”

सुसाइड नोट

पुलिस का बयान

डीसीपी (नोएडा) हरीश चंदर ने मीडिया को बयान देते हुये कहा है कि घटनास्थल से कथित सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें उसने लिखा है कि “अगले जन्म में वह एक फौजी ज़रूर बनेगा’। डीसीपी के मुताबिक दीपू, सेना सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था। वह इसे पास नहीं कर सका और निराश हो गया। पुलिस की प्रतिक्रिया के दौरान मरहूम का भाई भी मौजूद था।

वहीं नोएडा सेक्टर 49 थाना के एसओ संदीप चौधरी ने अपने बयान में मीडिया को बताया कि “दीपू अपने भाई और दो कजन भाइयों के साथ रह रहा था। वह हाल ही में सेना भर्ती परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सका। उसने सुसाइड नोट में अपनी सेना की तैयारी समेत कई बातें लिखी हैं”।

अधिकारी ने बयान में आगे कहा कि “ऐसा लग रहा है कि उसे अलग-अलग चीजों से परेशानी हो रही थी और वह उदास था। अधिकारियों ने बताया कि शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला मोर्चरी भेज दिया गया, जिसके बाद परिजन शव को अलीगढ़ ले गए।

(सुशील मानव की रिपोर्ट)

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