लखनऊ। अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन ने शनिवार को उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण कानून का पुरज़ोर विरोध किया। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव ने दस्तक दे दी है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार के मामले में पूरी तरह से फेल योगी सरकार अपनी कमियों को छुपाने के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून 2021 का प्रस्ताव लेकर आ रही है। इस कानून के सहारे यह सरकार अपने साम्प्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। इसके साथ ही उसने मुसलमानों के ख़िलाफ़ भ्रामक प्रचार शुरू कर दिया है जिसमें उसका प्रचार है कि मुसलमान अधिक बच्चे पैदा करते हैं।

लिहाजा इस कुतर्क को जायज ठहराकर जनसंख्या विस्फोट और मुस्लिम विरोध को आपस में योगी सरकार द्वारा जोड़ दिया गया है। सरकार के इस दुष्प्रचार के झांसे में आये कई लोगों को लग रहा है कि यह कानून मुसलमानों के खिलाफ है। अन्य समुदाय का इससे कोई लेना देना नहीं है। जबकि सच तो यह है कि इस कानून में निहित दो बच्चों की कानूनी मान्यता से सभी महिलाओं और गरीबों पर बुरा असर पड़ेगा। समाज में कन्या भ्रूण हत्या के आंकड़े बढ़ेंगे बल्कि लिंगानुपात भी घटेगा।

प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने कहा कि योगी सरकार वाकई उत्तर प्रदेश से गरीबी हटाना चाह रही है तो उन्हें स्वास्थ्य और शिक्षा के बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करना होगा। जबकि अर्थशास्त्र यह बताता है कि शिक्षा-स्वास्थ्य-रोज़गार जैसे बुनियादी ढांचे को मजबूत कर जनसंख्या पर अपने आप ही नियंत्रण विकसित किया जा सकता है। सस्ती समान शिक्षा को जनता तक पहुंचाना होगा। कल्याणकारी राज्य की परिभाषा को विकसित करना होगा और ऐसे समाज निर्माण की ओर बढ़ना होगा जिसमें महिलाएं अपनी इच्छा से बच्चे पैदा करने का निर्णय ले सकें और सम्पत्ति में बराबर की हकदार हों।
उत्तर प्रदेश में ऐपवा ने विरोध प्रदर्शन लखीमपुर में प्रदेश अध्यक्ष आरती राय, सीतापुर में जिला सचिव सरोजनी, देवरिया में प्रदेश सहसचिव गीता पांडेय, वाराणासी में जिला सचिव स्मिता बागड़े, भदोही में जिला सचिव कबूतरा, चन्दौली में जिला सचिव प्रमिला मौर्य, सोनभद्र में जिला सचिव लालती, बलिया में जिला सचिव रेखा और गाज़ीपुर में जिला सचिव चन्द्रावती के नेतृत्व में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)