सुल्तानपुर लूट कांड में पुलिस एनकाउंटर पर योगी सरकार घेरे में 

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सुल्तानपुर/ दिल्ली। उत्तर-प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में पिछले महीने की 28 तारीख को हुई करोड़ों की लूट का मामला और उसके बाद एसटीएफ की टीम द्वारा किए गए एनकाउंटर पर अब राजनीतिक संग्राम छिड़ चुका है।

बीते दिन हुए एक एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि अब योगी सरकार में जाति देखकर एनकाउंटर किया जा रहा है।

इस बयान के बाद कई बड़े मीडिया चैनलों पर ऐसा घमासान छिड़ा कि अब यह मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। मीडिया चैनल पर अब अपराध और जाति के बीच बहसें छिड़ती दिखाई दे रही हैं।

यह पहली बार नहीं हो रहा है कि योगी सरकार में उनके बुलडोजर और एनकाउंटर की नीति पर सवाल उठे हों। मगर इस बार का मामला थोड़ा उलझा हुआ है।

एक तरफ प्रशासन के सामने लूट कांड से जुड़े अपराधियों को पकड़ने की चुनौती है तो दूसरी ओर माना जा रहा है कि अमेठी और सुल्तानपुर में लोक सभा चुनाव हार चुकी भाजपा इस मामले में राजनीतिक दुश्मनी निकालने में लगी है।

मंगेश यादव के परिवार से अखिलेश यादव की फोन पर की गई बातचीत का एक ऑडियो वायरल हो रहा है, जिसमें अखिलेश यादव को मृतक के परिवारीजन बता रहे हैं कि घटना के दिन मंगेश अपनी बहन के एडमिशन के लिए जौनपुर गया हुआ था।

एनकाउंटर के तीन दिन पहले रात के दो बजे पुलिस सादी वर्दी में आती है और मंगेश को यह कहकर ले जाती है कि वो उससे पूछताछ करने के लिए ले जा रही है। मगर फिर सूचना मिलती है कि मंगेश को एनकाउंटर में मार दिया गया। परिवार का कहना है कि गोली सटाकर मारी गई है और चेहरा बहुत वीभत्स हो गया है।

मंगेश यादव के एनकाउंटर पर उठ रहे सवालों के बाद अमेठी के तीन युवकों के हुए हाफ एनकाउंटर में से एक युवक, जिसे पुष्पेंद्र सिंह बताया जा रहा है, के परिजन का भी एक ऐसा मामला सामने आ रहा है।

अमेठी के शहरी गांव के पुष्पेंद्र सिंह को पुलिस लूट की घटना के बाद उनके घर से रात दो बजे उठा ले जाती है और बिलकुल वैसी ही बात कहकर जैसे मंगेश यादव को कहकर ले गई थी। जिस व्यक्ति को पुलिस उठाती है उसके पिता भारतीय सेना के मेजर सूबेदार रहे हैं और बड़े भाई अभी भी भारतीय सेना में हैं।

भाई का कहना है कि हम कानून को अच्छे से समझते हैं, इसलिए हमने पुलिस को अपने भाई को पूछताछ के लिए सौंप दिया मगर पांच दिन बीत गए और भाई की कोई ख़बर नहीं मिली।

पुलिस उसे लेकर इधर-उधर घूमती रही और एक दिन अचानक सूचना मिलती है कि पुलिस ने उनके भाई का हाफ एनकाउंटर कर दिया। परिवार में खलबली मच गई।

स्थानीय मीडिया ने जिस पुष्पेंद्र सिंह को हिस्ट्रीशीटर अपराधी बताया, उनके भाई का कहना है कि उनके भाई के खिलाफ आज तक एक भी मुकदमा नहीं दर्ज है। मगर पुलिस ने ऐसा क्यों किया समझ नहीं आ रहा।

उनका कहना है कि उनका परिवार कांग्रेसी है और इस बार अमेठी में हुई भाजपा की हार का बदला वो इस रूप में ले रही है, क्योंकि सपा और कांग्रेस का गठबंधन था।

अब मंगेश यादव के एनकाउंटर और पुष्पेंद्र सिंह के हाफ एनकाउंटर का मामला सियासी बन चुका है। सवाल ये है कि जब मंगेश और पुष्पेंद्र को पुलिस पूछताछ के लिए ले गई थी तो पुलिस संरक्षण में उनका एनकाउंटर कैसे और क्यों किया गया।

पुलिस द्वारा किए गए हाफ एनकाउंटर के बाद एक प्रेस विज्ञप्ति जारी होती है, जिसमें पुलिस ने आरोपी को लूटे गए सामान को बेचने जाते हुए पकड़ने और एनकाउंटर करने का हवाला दिया था। अब सवाल यही है कि जब पुष्पेंद्र को एनकाउंटर के चार दिन पहले ही पुलिस ले गई थी, तो उसे जेवर लेकर बेचने का समय कब मिला? और जिस बरामद असलहे की बात पुलिस कर रही है, वो पुलिस संरक्षण में उसे कहां से मिला।

परिवार का कहना है कि मामले को रफा-दफा करने और सरकार के दबाव में पुलिस ऐसे काम कर रही है। परिवार का यह भी कहना है कि यदि उनका बेटा दोषी है तो उसे सजा मिलनी चाहिए, मगर ये कैसा कानून है जो भाई पुलिस के साथ कोऑपरेट कर रहा था उसके साथ ये व्यवहार?

इन सब प्रकरण से अब सवाल पुलिस और योगी सरकार पर तो उठना लाजमी है? क्या सच में पुलिस दबाव में काम कर रही है या फिर पीड़ित व्यापारी को न्याय देने के पीछे राजनीतिक दुश्मनी निकाल रही है? उत्तर प्रदेश पुलिस के इस व्यवहार से कथित आरोपियों के परिजन अभी डर के साये में हैं। 

(जनचौक की रिपोर्ट।) 

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