Sunday, October 1, 2023

सेबी सिस्टम को मजबूत करने के लिए बनेगी कमेटी

केंद्र सरकार अदानी ग्रुप-हिंडनबर्ग मामले में एक्सपर्ट कमेटी बनाने को तैयार हो गई है। कमेटी यह देखेगी की स्टॉक मार्केट के रेगुलेटरी मैकेनिज्म में फेरबदल की जरूरत है या नहीं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट को सील बंद लिफाफे में कमेटी मेंबर्स के नाम देंगे। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी। 

इधर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सुप्रीम कोर्ट से यह कहा है कि उसके पास अनवरत कारोबार सुनिश्चित करने और शेयर बाजार में अस्थिरता से निपटने के लिए मजबूत ढांचा है।

 सेबी ने दावा किया कि विकसित प्रतिभूति बाजार दुनिया भर में शॉर्ट सेलिंग को ‘वैध निवेश गतिविधि’ के रूप में मानते हैं। इस बीच कांग्रेस नेता डॉ. जया ठाकुर द्वारा हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के आधार अडानी समूह के खिलाफ जांच की मांग करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई है।

सुप्रीम कोर्ट अदानी ग्रुप के खिलाफ हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से जुड़ी दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इस मामले में पहली सुनवाई चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने शुक्रवार (10 फरवरी) को की थी। इस दौरान कोर्ट ने शेयर मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) से भविष्य में निवेशकों की सुरक्षा के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं, इस पर सुझाव देने को कहा था।

केंद्र सरकार और सेबी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बाजार नियामक और अन्य वैधानिक इकाइयां हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद उपजी परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार हैं। 

उन्होंने कहा कि सरकार को समिति बनाने में कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन विशेषज्ञों के नामों का सुझाव हम दे सकते हैं। हम सीलबंद लिफाफे में नाम सुझा सकते हैं। मेहता ने आशंका जताई कि पैनल की स्थापना पर किसी भी ‘अनजाने’ संदेश का धन प्रवाह पर प्रतिकूल प्रभाव  पड़ सकता है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को सूचित किया कि विशेषज्ञ समिति बनाने के सुझाव पर केंद्र को कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि समिति के कार्यक्षेत्र को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए ताकि मौजूदा नियामक ढांचे में किसी भी अपर्याप्तता के बारे में अंतरराष्ट्रीय या घरेलू निवेशकों को कोई प्रभाव न पड़े।

पीठ ने एसजी को निर्देश दिया कि वह बुधवार तक समिति के सुझाए गए रेमिट पर एक नोट पेश करें और मामले को शुक्रवार तक के लिए पोस्ट कर दिया। आज डॉ. ठाकुर द्वारा दायर याचिका में अडानी समूह के खिलाफ कदाचार के कई आरोप लगाए गए हैं।

सेबी ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह नियमों के किसी भी उल्लंघन की पहचान के लिए अदानी समूह के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के साथ-साथ रिपोर्ट जारी होने के तुरंत पहले और बाद की बाजार गतिविधियों की जांच कर रहा है। सेबी ने कहा है कि उसके पास अनवरत कारोबार सुनिश्चित करने और शेयर बाजार में अस्थिरता से निपटने के लिए मजबूत ढांचा है। सेबी ने दावा किया कि विकसित प्रतिभूति बाजार दुनिया भर में शॉर्ट सेलिंग को ‘वैध निवेश गतिविधि’ के रूप में मानते हैं।

सेबी नियमों, शॉर्ट सेलिंग के नियमों के उल्लंघन की जांच के लिए “हिंडनबर्ग के आरोपों और रिपोर्ट जारी होने से ठीक पहले और ठीक बाद की बाजार की गतिविधि, दोनों की जांच कर रहा है।

सेबी ने कहा कि हाल ही में अदानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट से शेयर बाजार पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। सेबी ने कहा, “भारतीय बाजार इससे पहले और भी बुरी अस्थिरता देख चुका है, विशेषकर कोरोना महामारी के समय, जब दो मार्च, 2020 से 19 मार्च, 2020 (13 कारोबारी दिवस) के बीच निफ्टी लगभग 26 प्रतिशत गिर गया था। बाजार अस्थिरता को देखते हुए सेबी ने 20 मार्च, 2020 को अपने मौजूदा बाजार तंत्र की समीक्षा की थी और कुछ बदलाव किए थे।

एडवोकेट एमएल शर्मा और विशाल तिवारी ने ये जनहित याचिका दायर की है। याचिकाओं में दावा किया गया है कि हिंडनबर्ग ने शेयरों को शॉर्ट सेल किया जिससे ‘निवेशकों को भारी नुकसान’ हुआ। तिवारी ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने देश की छवि को धूमिल किया है। यह अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। वहीं, शर्मा की याचिका में दावा किया गया है कि रिपोर्ट पर मीडिया प्रचार ने बाजारों को प्रभावित किया और हिंडनबर्ग के फाउंडर नाथन एंडरसन भी भारतीय नियामक सेबी को अपने दावों का प्रमाण देने में विफल रहे।

मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में सेबी और केंद्रीय गृह मंत्रालय को हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और एफआईआर (FIR) करने के लिए निर्देश देने की मांग की है। विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की है। तिवारी ने अपनी याचिका में लोगों के उन हालातों के बारे में बताया जब शेयर प्राइस नीचे गिर जाते हैं।

24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। रिपोर्ट में ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। शुक्रवार यानि 3 फरवरी को अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर 1000 रुपए के करीब पहुंच गया था। हालांकि, बाद में इसमें रिकवरी आई।

इस बीच कांग्रेस नेता डॉ. जया ठाकुर द्वारा हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर अडानी समूह के खिलाफ जांच की मांग करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि पोर्ट-टू-पावर समूह ने गलत तरीके से अपनी कंपनियों के शेयरों की कीमतों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया है।

याचिका में अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ में 3200 रुपये प्रति शेयर की दर से कथित रूप से “भारी मात्रा में सार्वजनिक फंड” का निवेश करने के लिए जीवन बीमा निगम और भारतीय स्टेट बैंक की भूमिका की जांच की मांग की गई है, जब बाजार की मौजूदा दर सेकेंडरी मार्केट में शेयर करीब 1800 रुपये प्रति शेयर था।

इसमें आरोप लगाया गया है कि गौतम अडानी और उनके सहयोगियों ने लोगों के लाखों करोड़ ठगे हैं। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के एक सिटिंग जज की देखरेख और निगरानी में सीबीआई, ईडी, डीआरआई, सेबी, आरबीआई, एसएफआईओ आदि जैसी जांच एजेंसियों द्वारा जांच की मांग की है।

याचिका के अनुसार, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि गौतम अडानी और उनके भाई और उनके सहयोगियों ने विभिन्न टैक्स हेवन में स्थापित विभिन्न शेल कंपनियों का उपयोग करके भारी मात्रा में मनी लॉन्ड्रिंग किया है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि इस बात की जांच की जानी चाहिए कि क्या एलआईसी और एसबीआई अडानी समूह की कंपनियों में निवेश करके निवेशकों और आम लोगों के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहे हैं।

( जे.पी.सिंह कानूनी मामलों के विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

जनचौक से जुड़े

5 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles