सरकार से नाराज किसानों का आठ जनवरी को राष्ट्रीय ग्रामीण बंद

Estimated read time 1 min read

मोदी सरकार ने किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। उनके लिए बातें तो बड़ी-बड़ी हो रही हैं, लेकिन काम नहीं किया जा रहा है। सरकार कार्पोरेट के हजारों करोड़ रुपये माफ कर देती है, लेकिन वहीं किसान बैंकों के कर्ज तले दबकर खुदकुशी जैसे कदम उठाने को मजबूर है।

किसानों के ऐसे ही तमाम सवालों के साथ अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) का तीसरा राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ। दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के मावलंकर हाल में 25 राज्यों के 800 प्रतिनिधियों की इसमें भागीदारी रही।

अधिवेशन में एआईकेएससीसी ने घोषणा की कि वह देश भर में आठ जनवरी को सरकार की किसान विरोधी नीतियों और केन्द्र और राज्यों द्वारा समस्याओं के हल के लिए कुछ न करने के विरुद्ध ‘राष्ट्रीय ग्रामीण बंद’ आयोजित करेगा। यह विरोध सरकार की विभिन्न सवालों पर विफलता को प्रकाश में लाने के लिए किया जा रहा है। इनमें सभी फसलों के लिए सी 2 पर 50 फीसदी समर्थन मूल्य, कर्ज से मुक्ति दिलाने और प्रभावी फसल बीमा और आपदा मुआवजा देने जैसे मुद्दे शामिल हैं।

अधिवेशन में वन अधिकार कानून, एलएआरआर 2013 के सख्ती से अमल, आदिवासियों और किसानों के जबरन विस्थापन, मुक्त व्यापार संधियों के विरुद्ध जो फसलों की डंपिंग और विदेशी कंपनियों के खेती में हस्क्षेप बढ़ाने और नियंत्रण करने की अनुमति देती हैं आदि मुद्दों पर बातचीत हुई।  

इसके साथ ही कृषि मजदूरों और बटाईदार किसानों के हक के लिए एक समग्र कानून बनाने, कार्पोरेट की लूट के विरुद्ध, सभी ग्रामीण लोगों के लिए 10,000 रुपये की पेंशन देने, फसल बीमा योजना तथा आपदा मुआवजा को सुधारने और जम्मू-कश्मीर के किसानों के नुकसान की भरपाई के बारे में भी चर्चा हुई।

वर्किंग ग्रुप सदस्यों के अतिरिक्त देश भर से आए 100 से अधिक किसान संगठनों के नेताओं ने अधिवेशन को संबोधित किया। उन्होंने अपने क्षेत्र के महत्वपूर्ण सवालों और गतिविधियों के बारे में भी बताया। एआईकेएससीसी के 21 सूत्री मांगपत्र और किसान घोषणापत्र पर भी चर्चा की गई। एआईकेएससीसी के भावी कार्यक्रम पर भी चर्चा की गई।

अंतिम सत्र में संयोजक वीएम सिंह के साथ वर्किंग ग्रुप ने मीडिया सम्मेलन को भी संबोधित किया। अधिवेशन मे तय किया गया कि सभी राज्यों में इकाईयों को मजबूत किया जाए और आठ जनवरी के विरोध में बढ़चढ़कर भागीदारी कराई जाए। राज्य इकाईयां इसकी ठोस योजना तैयार करेंगी।

वीएम सिंह, राजू शेट्टी, हनन मौला, मेधा पाटकर, अतुल अंजान, डॉ. आशीष मित्तल, डॉ. सुनीलम, राजा राम सिंह, डॉ. दर्शनपाल, सत्यवान, प्रतिभा शिंदे, आविक सहा और किरन विस्सा ने मीडिया को संबोधित किया।

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author