सीएम योगी बोले-6 साल में नहीं हुई किसी किसान की मौत, सरकार के आंकड़ों में 398 किसान और 731 कृषि मज़दूरों ने दी जान

बीते 6 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि पिछले छह सालों में राज्य में एक भी किसान की मौत नहीं हुई है। लेकिन ‘फैक्टचेकर’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी आंकड़ा ही बता रहा है कि साल 2017 से लेकर 2021 तक 398 किसानों और 731 खेतिहर मजदूरों ने जान गंवाई है।

लखनऊ में गन्ना और चीनी मिलों की फार्मिंग मशीनरी के ट्रैक्टर्स को हरी झंडी दिखााते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि “गन्ना किसान पहले अपनी फसल जलाने और आत्महत्या करने को मजबूर थे। लेकिन बीते छह सालों में यूपी में किसी किसान की मौत नहीं हुई है।”

हालांकि एनसीआरबी का डेटा कुछ और ही कह रहा है। बीजेपी मार्च 2017 में यूपी में सत्ता में आई थी। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के डेटा के मुताबिक 2017 से लेकर 2021 तक उत्तर प्रदेश में 398 किसानों ने खुदकुशी की। इनमें 82 फीसदी पुरुष और 18 फीसदी महिलाएं थी, इसके साथ ही 731 खेतिहर मजदूरों ने भी अपनी जान ली, जिसमें 92 फीसदी पुरुष और 8 फीसदी महिलाएं थी।

खेती किसानी के मामलों पर नज़र रखने वाले एक्सपर्ट्स मानते हैं कि किसानों की आत्महत्या का मसला बेहद जटिलताओं से भरा है और आर्थिक, सामाजिक कारणों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के कारण भी इन आत्महत्याओं की एक बड़ी वजह बनते हैं।

लेकिन कर्ज इन आत्महत्याओं के पीछे एक बड़ा कारण रहा है। किसान स्वराज नेटवर्क से जुड़ी कविता कुरुगंती ने फैक्टचेकर की टीम को बताया कि “यहां पर खेती-किसानी सामाजिक सम्मान का भी मसला है। साथ ही पहले कृषि अजीविका का एक सामुदायिक तरीका हुआ करता था। लिबरलाइज़ेशन, प्राइवेटाइज़ेशन के इस दौर में किसान पूंजीवादी बाज़ार की दया पर निर्भर हो गया है।”

अगर मोटे तौर देखा जाए तो 2017 से लेकर 2021 तक 79 किसानों ने हर साल खुदकुशी की है। हालंकि साल 2020 में 87 आत्महत्याओं के मुकाबले 2021 में महज 13 केस देखने को भी मिले। लेकिन बात अगर भूमिहीन मज़दूरों की करें तो इसी साल यानि 2020 से लेकर 2021 में ये आंकड़ा बढ़ा है। साल 2020 में 85 ऐसी आत्महत्याएं देखने को मिली थी जो 2021 में बढ़कर 226 हो गई है।

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