पटना। भाकपा-माले विधायक आज से बाढ़ग्रस्त इलाकों के दौरे पर निकल गए हैं। पार्टी का कहना है कि बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। पार्टी ने बताया कि विधायक दल के नेता महबूब आलम अपने विधानसभा क्षेत्र बलरामपुर सहित कटिहार व सीमांचल का, विधायक सत्यदेव राम मिथिलांचल के मधुबनी, दरभंगा व समस्तीपुर तथा विधायक सुदामा प्रसाद चंपारण, मुजफ्फरपुर व सीतामढ़ी का दौरा कर रहे हैं।
बाढ़ ग्रस्त इलाकों पर निकलने से पहले माले विधायकों ने बताया कि बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए सदन में उन्होंने कार्यस्थगन का प्रस्ताव दिया था लेकिन सरकार उसपर चर्चा के लिए तैयार नहीं हुई। गौरतलब है कि पहली ही बारिश के बाद उत्तर बिहार के सीमांचल, मिथिलांचल, शिवहर, चंपारण आदि इलाकों की बड़ी आबादी बाढ़ की चपेट में आ गई है। अधिकांश नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। कई जगहों से लोगों के मरने की भी खबरें आ रही हैं। गांवों में बच्चे बाढ़ के पानी में डूब कर मर जा रहे हैं। उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा कि आखिर सरकार ने बाढ़ पूर्व कौन सी व्यवस्था की थी? यह तो पहली बार नहीं है कि बिहार में बाढ़ है। हर साल बाढ़ का कहर बिहार के लोग झेल रहे हैं। लेकिन डबल इंजन की सरकार इसके स्थायी समाधान की बात जाने दी जाए, बाढ़ पूर्व न्यनूतम व्यवस्था भी नहीं करती। यदि ऐसा होता तो बड़े पैमाने पर जान-माल की हिफाजत की जा सकती थी।
माले विधायकों ने कहा कि सरकार द्वारा चलाया जा रहा राहत अभियान भी नाकाफी है। बाढ़ प्रभावित लोगों के आश्रय के लिए सरकार के सरकारी आश्रय स्थल नाकाफी हैं। बाढ़ प्रभावित बड़ी आबादी तटबंधों, हाईवे अथवा घर की छतों पर अपने माल-मवेशियों के साथ खुले आसमान में संरक्षण लिए हुए हैं। इस स्थिति में सरकार को युद्ध स्तर पर राहत अभियान चलाना चाहिए, जिसकी घोर कमी दिख रही है। जिस तरह से आश्रय स्थलों की घोर कमी है, ठीक उसी प्रकार राहत के दूसरे इंतजाम भी नाकाफी हैं व ज्यादा स्थानों पर तो वे पूरी तरह से गायब हैं। यही वजह है कि लोगों का आक्रोश जगह-जगह फूटने लगा है।
माले विधायकों की मांग है कि एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमों की संख्या तत्काल बढ़ाई जाए और सरकार युद्ध स्तर पर राहत अभियान में गति लाए।
This post was last modified on July 16, 2019 10:54 pm