चुनाव आयोग के नोटिस के बावजूद भाजपा का नफरती बयानबाजी जारी

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प्रधानमंत्री मोदी के जिस ‘मुस्लिम’ वाले बयान के लिए बीजेपी को चुनाव आयोग से चेतावनी मिली है, उसी बयान को लगातार भाजपा और मज़बूती से दोहरा रही है। भाजपा के स्टार प्रचारकों- जेपी नड्डा, अमित शाह, राजनाथ सिंह, आदित्यनाथ- ने मोदी की हेट स्पीच दोहराना जारी रखा है। इस कड़ी में अनुराग ठाकुर का नाम भी जुड़ गया है। चुनाव आयोग ने कांग्रेस की शिकायत पर नोटिस जारी किया है लेकिन इस पर कोई रोक नहीं लगायी है।

अनुराग ठाकुर ने मोदी की हेट स्पीच दोहराया तो कांग्रेस ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश में अनुराग ठाकुर के भाषण को लेकर भारत के चुनाव आयोग का रुख किया, जिसमें उन्होंने दोहराया कि कांग्रेस ‘आपकी संपत्ति’ मुसलमानों को दे देगी। यही बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले कही थी कि सत्ता में आने पर कांग्रेस संपत्ति का पुनर्वितरण करेगी और इसमें महिलाओं का सोना और मंगलसूत्र शामिल होंगे। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से उसकी भी शिकायत की थी।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर समय मांगा ताकि वह प्रधानमंत्री को कांग्रेस का घोषणा पत्र समझा सकें। अनुराग ठाकुर के बयान देने से विवाद बढ़ गया। यह हकीकत है कि कांग्रेस के घोषणापत्र में ऐसा न तो लिखा है और न ही कांग्रेस ने कभी ऐसा कहा। लेकिन पीएम मोदी से लेकर अब केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर तक ने वही विवादित बयान दोहरा दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी शनिवार को गोवा की रैली में यही बात कही। अनुराग ठाकुर वही भाजपा नेता हैं जो दिल्ली में गोली मारो सालों को जैसा विवादित बयान दे चुके हैं।

चुनाव आयोग के नोटिस के बावजूद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुले तौर पर सांप्रदायिक टिप्पणी जिसमें कांग्रेस पर मुसलमानों को धन वितरित करने का आरोप लगाया गया है, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित अन्य स्टार प्रचारकों, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा भी दोहराया जा रहा है।

कांग्रेस के घोषणापत्र में कहीं भी देश में, किसी भी समुदाय के बीच धन के पुनर्वितरण का उल्लेख नहीं है। न ही यह नौकरियों, आरक्षण, सच्चर समिति की रिपोर्ट के कार्यान्वयन, या तीन तलाक या गोमांस को वापस लाने के दौरान मुसलमानों के बारे में विशेष रूप से बात करता है। हालांकि, चुनाव आयोग के नोटिस के बावजूद, भाजपा के स्टार प्रचारकों ने दस्तावेज़ से भ्रामक दावों को बढ़ावा देना जारी रखा है।

शुक्रवार को एक वीडियो संबोधन में, नड्डा ने मोदी की टिप्पणियों को दोहराया और कांग्रेस पर “एससी, एसटी और ओबीसी के अधिकारों को छीनने” और उन्हें मुसलमानों को देने का आरोप लगाया।“ कांग्रेस और इंडी गठबंधन का छिपा हुआ एजेंडा एससी, एसटी और ओबीसी के अधिकारों को छीनना और मुसलमानों को देना है। कांग्रेस का कहना है कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि संसाधनों पर पहला अधिकार इस देश के गरीबों का है।

अब भला यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इसमें कहां पीछे रहते। शुक्रवार को योगी आदित्यनाथ ने संभल में विवादित बयान दिया।पीटीआई समाचार एजेंसी के मुताबिक योगी आदित्यनाथ ने कहा- “कांग्रेस के बेशर्म लोग गौमांस (गाय का मांस) खाने का अधिकार देने का वादा करते हैं, जबकि हमारे ग्रंथ गाय को माता कहते हैं। वे गायों को कसाइयों के हाथ में सौंपना चाहते हैं। क्या भारत इसे कभी स्वीकार करेगा?” वे (कांग्रेस) अल्पसंख्यकों को उनकी पसंद का खाना खाने की आजादी देना चाहते हैं, मतलब वे गोहत्या की अनुमति देने की बात कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया भाषणों को दोहराते हुए, सीएम ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ‘स्त्रीधन’ (महिलाओं की संपत्ति) को जब्त करने और इसे रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के बीच वितरित करने का इरादा रखती है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में लोगों की संपत्ति के एक्स-रे की बात कही है। उन्होंने कहा, “इसका मतलब यह है कि अगर किसी के घर में चार कमरे हैं, तो वे उनमें से दो कमरे ले लेंगे। इतना ही नहीं, कांग्रेस कहती है कि वह महिलाओं की जूलरी (आभूषण) पर कब्जा कर लेगी, देश इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा।

यह सर्वविदित है कि ये आरोप पूरी तरह से फर्जी हैं। कांग्रेस के घोषणापत्र में ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है। मीडिया इस बात को बार-बार बता रहा है कि कांग्रेस घोषणापत्र में मुसलमानों को संपत्ति बांटने जैसा या हिन्दू महिलाओं के आभूषण छीनने जैसी बात या उससे मिलती जुलती कोई भी बात नहीं लिखी है।

मोदी की तरह, नड्डा ने भी गुमराह करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 2006 के भाषण का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ”मनमोहन सिंह ने यह भाषण गलती से नहीं दिया बल्कि जानबूझकर दिया। क्योंकि उन्होंने अप्रैल 2009 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक जवाब देते हुए दोहराया था और कहा था कि अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के जरिए झूठे दावे किए गए और कहा गया कि मुसलमानों की हालत दलितों से भी बदतर है। इसका मतलब है कि कांग्रेस मुसलमानों को एससी घोषित करने के लिए जमीन तैयार कर रही थी ताकि उन्हें दलितों के बराबर आरक्षण दिया जा सके।”

गुरुवार को- मोदी द्वारा राजस्थान के बांसवाड़ा में एक रैली में पहली बार टिप्पणी करने के तीन दिन बाद- चुनाव आयोग ने उनके स्टार प्रचारकों द्वारा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के खिलाफ भाजपा और कांग्रेस को समान पत्र भेजे, जिसमें पार्टी अध्यक्षों नड्डा और मल्लिकार्जुन खड़गे को संबोधित किया गया था।

पत्रों में कथित उल्लंघनकर्ताओं के नाम का उल्लेख नहीं है, लेकिन उनकी पहचान “कुछ (पार्टी के) स्टार प्रचारकों” के रूप में की गई है। हालांकि, जिन शिकायतों के कारण नोटिस मिला- कांग्रेस ने मोदी और भाजपा के खिलाफ, राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत की- संबंधित पत्रों के साथ संलग्न हैं।

21 अप्रैल को बांसवाड़ा में, मोदी ने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो वह रैली में भाग लेने वालों की मां और बहनों की संपत्ति को मुसलमानों के बीच वितरित कर सकती है, जिन्हें उन्होंने “घुसपैठियों” और “जिनके अधिक बच्चे हैं” के रूप में पहचाना है। उन्होंने बाद की रैलियों में भी इसी तरह की टिप्पणी की है। इस भाषण की भारी आलोचना की गई और वैश्विक प्रेस में इसे अभूतपूर्व घृणास्पद भाषण बताया गया।

सिर्फ नड्डा ही नहीं, शाह और राजनाथ सहित भाजपा के अन्य स्टार प्रचारक- जिनका नाम लोकसभा चुनावों में विभिन्न राज्यों में पार्टी के अभियानों के लिए हर स्टार प्रचारकों की सूची में सबसे ऊपर है- भी तब से मोदी की टिप्पणियों को दोहरा रहे हैं।

मंगलवार को उत्तर प्रदेश के दादरी में एक रैली में राजनाथ ने मनमोहन के भाषण का भी जिक्र किया। कहा कि 2006 में, राष्ट्रीय रक्षा परिषद की एक बैठक में उन्होंने कहा कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों और विशेषकर मुसलमानों का है।

शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के बेमेतरा में एक रैली में, अमित शाह ने कांग्रेस पर अपने घोषणापत्र में दावा करने का आरोप लगाया कि वह मुस्लिम पर्सनल लॉ लाएगी और देश को “शरिया कानून” पर चलाएगी।

“कांग्रेस पार्टी का घोषणापत्र कहता है, इसे ध्यान से पढ़ें, उन्होंने कहा है कि वे फिर से व्यक्तिगत कानून लाएंगे। मुस्लिम पर्सनल लॉ लाकर वे क्या करना चाहते हैं? क्या ये देश शरिया कानून से चल सकता है? क्या आप तीन तलाक वापस ला सकते हैं? कांग्रेस पार्टी मुस्लिम लीग का एजेंडा लाना चाहती है। लेकिन राहुल बाबा आपको नहीं चुना जाएगा और न ही तीन तलाक वापस लाया जाएगा। सीएए, तीन तलाक और अनुच्छेद 370 को नहीं छुआ जाएगा।”

उत्तर प्रदेश के इटावा में शनिवार को एक रैली में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी मुसलमानों को आरक्षण देगी। वे पिछड़ी जातियों के लिए 27% आरक्षण में मुसलमानों को शामिल करेंगे। क्या आप इसे स्वीकार करेंगे? क्या भारत में धर्म के आधार पर आरक्षण हो सकता है? अंबेडकर ने धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध किया था और अब वे देश को विभाजित करने का प्रयास करके ऐसा करना चाहते हैं।

मनमोहन सिंह के जिस बयान को लेकर बीजेपी के नेता बार-बार हमला करते रहे हैं वह दरअसल, क़रीब 18 साल पहले के एक बयान से संबंधित है। 9 दिसंबर 2006 को प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह ने नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल यानी राष्ट्रीय विकास परिषद को संबोधित किया था। उन्होंने भाषण अंग्रेजी में दिया था। उसका हिंदी अनुवाद है- ‘मैं मानता हूं कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएं साफ़ हैं। ये हैं- कृषि, सिंचाई- जल संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे में अहम निवेश और सामान्य बुनियादी ढांचे के लिए ज़रूरी सार्वजनिक निवेश। इसके साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कार्यक्रम, अल्पसंख्यक और महिलाएं और बच्चों के लिए कार्यक्रम भी सामूहिक प्राथमिकताएं हैं। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए योजनाओं को पुनर्जीवित करने की ज़रूरत है। हमें नई योजना लाकर ये सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यकों का और खासकर मुस्लिमों का भी उत्थान हो सके, विकास का फायदा मिल सके। इन सभी का संसाधनों पर पहला अधिकार है। केंद्र के पास बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं, और पूरे संसाधनों की उपलब्धता में सबकी ज़रूरतों को शामिल करना होगा।’

इस तरह मनमोहन सिंह के भाषण में कहीं नहीं कहा गया है कि देश के संसाधनों पर एक समुदाय का पहला अधिकार है। वह एससी, एसटी, ओबीसी, महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों, सभी की बात कर रहे थे।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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