पटना। बिहार के बारसोई गोलीकांड के मद्देनजर भाकपा-माले की एक उच्चस्तरीय जांच टीम 28 जुलाई को बारसोई पहुंची और मामले के विभिन्न पहलुओं की जांच-पड़ताल तथा मृतक परिजनों से मुलाकात की। विदित हो कि इस विधानसभा से भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम लंबे समय से विधायक हैं। जांच टीम में तरारी से माले विधायक सुदामा प्रसाद, अरवल से माले विधायक महानंद सिंह, किसान महासभा के राज्य सचिव उमेश सिंह और मीडिया प्रभारी कुमार परवेज शामिल थे।
गोलीकांड के लिए प्रथम दृष्टया प्रशासन जिम्मेदार
जांच टीम प्रथम दृष्ट्या बारसोई गोलीकांड के लिए प्रशासन को जिम्मेदार मानती है। आयोजकों ने बिजली में कटौती और लोड शेडिंग के मसले पर मुखिया संघ द्वारा आयोजित धरना कार्यक्रम का बाजाप्ता परमिशन ले रखा था और उसकी पूर्व सूचना प्रशासन के पास थी। माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने भी एसडीओ राजेश्वरी पांडेय और डीएसपी को टेलीफोनिक सूचना देकर सचेत किया था कि आम लोगों में काफी आक्रोश है इसलिए प्रशासन इसे ठीक से डील करे। बावजूद इसके, प्रशासन ने अपनी ओर से किसी भी मजिस्ट्रेट की नियुक्ति नहीं की और मामले को काफी हल्के ढंग से लिया।
यदि प्रशासन का कोई आदमी धरनास्थल पर आकर आंदोलनकारियों का मेमोरेंडम ले लिया होता, तो यह घटना ही नहीं घटती। प्रशासन ने बिना किसी चेतावनी, आंसू गैस अथवा हवाई फायरिंग के सीधे हत्या के मकसद से गोली चलाई। जिसमें खुर्शीद व सोनू साह की मौत हो गई और नेयाज जख्मी हो गया। खुर्शीद को सीने में गोली लगी जबकि सोनू साह के सीधे मस्तक में गोली लगी। नेयाज की आंख पूरी तरह डैमेज हो गई है और फिलहाल उनका इलाज सिलीगुड़ी में चल रहा है। भाकपा माले की जांच टीम ने इस घटना के लिए एसडीओ राजेश्वरी पांडेय को जिम्मेदार मानते हुए उनकी बर्खास्तगी की मांग की है।
पीड़ित परिजनों का बयान प्रशासन के ‘सीसीटीवी’ नैरेटिव के खिलाफ
जांच टीम ने घटनास्थल का दौरा करने के साथ-साथ सोनू साह के परिजनों से उनके घर पर मुलाकात की। परिजनों ने बताया कि 22 वर्षीय सोनू साह सीए का छात्र है। उसका बड़ा भाई मोनू साह बिजली विभाग में ठेके पर काम करता है। भगदड़ की खबर सुनकर वह अपने छोटे भाई उदित के साथ मां के कहने पर बड़े भाई मोनू को लाने गए थे। सोनू अपने दोनों पाॅकेट में हाथ डालकर खड़ा ही था कि एक गोली आकर सीधे उसके मस्तक में लगी, वह वहीं गिर गया और उसकी मौत हो गई।
जबकि प्रशासन सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कह रहा है कि भीड़ के बीच से किसी ने गोली चलाई। खुर्शीद की जहां मौत हुई वह बिल्कुल बिजली विभाग और अनुमंडल कार्यालय की जद में था। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बिजली विभाग और अनुमंडल कार्यालय पर उपस्थित पुलिस ने गोली चलाई। जांच टीम ने पाया कि प्रशासन के बयान के विपरीत इन दोनों जगह से यदि पुलिस अपने थ्री नाॅट थ्री से गोली चलाती है तो किसी की भी मौत हो सकती है।
अभी तक पोस्टमार्टम की रिपोर्ट भी नहीं आ सकी है। यदि उस रिपोर्ट के साथ कोई छेड़छाड़ न हो तो स्पष्ट हो जाएगा कि हत्या पुलिस की गोली से हुई है अथवा किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा। लिहाजा, भाकपा-माले जांच टीम पूरे घटना की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग करती है।
माले विधायक दल के नेता महबूब आलम को बदनाम करने की साजिश
जांच टीम ने बताया कि माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने 24-25 मई को बिजली कटौती व लोड शेडिंग के सवाल पर संगमारी विद्युत स्टेशन पर धरना भी दिया था। पता चला कि स्टेशन से 33000 वोल्ट की बजाए टेक्निकल कारणों से 24,000 वोल्ट ही निकल रहा है, जिसके कारण समस्याएं खड़ी हो रही थीं। उसे ठीक करवाया गया। इधर, स्थानीय विधायक की पूरी तरह से अवहेलना करते हुए 26 जुलाई का कार्यक्रम रखा गया था।
बारसोई नगर परिषद के मुख्य पार्षद का बेटा व आरएसएस कार्यकर्ता रिंकू सिंह, लोजपा की जिलाध्यक्ष संगीता देवी, बारसोई विधानसभा के भाजपा संयोजक पिंटू यादव, मुखिया संघ के अध्यक्ष मुअज्जम आदि लोगों ने कार्यक्रम का परमीशन लिया था। कार्यक्रम के दौरान जब भीड़ उग्र हो गई, तो सभी नेता भाग गए। इस कारण मामला काफी बिगड़ गया। मामले की सही से जांच हो तो भाजपाइयों द्वारा अशांति फैलाने व लोगों को उकसाने का भी मामला सामने आएगा। उलटे भाजपा के लोग महबूब आलम को ही निशाना बनाने लगे।
जदयू के जिलाध्यक्ष तनवीर आलम ने यह सवाल उठाया कि आखिर इतने बड़े कार्यक्रम से स्थानीय विधायक की उपेक्षा क्यों की गई? इसकी भी जांच की जानी चाहिए। जांच टीम ने यह भी कहा कि बिहार के ऊर्जा मंत्री विजेन्द्र यादव को संयम से काम लेना चाहिए और इस प्रकार का कोई भी बयान नहीं देना चाहिए जिससे मामला और बिगड़ जाए। जांच टीम मृतक परिजनों के लिए सरकारी नौकरी व 20-20 लाख रुपये का मुआवजा तथा घायल नेयाज के उचित इलाज की मांग करती है।
(भाकपा-माले बिहार मीडिया प्रभारी कुमार परवेज द्वारा जारी)