गुना। मध्यप्रदेश के गुना में सिरसी थाना के बरखेड़ा गांव से एक शर्मनाक घटना सामने आयी है। घटना में आदिवासी परिवार के साथ मारपीट की गयी है। पीड़ित आदिवासी महिलाओं का आरोप है कि, उनके ऊपर आरोपियों ने पेशाब किया है। उनके कपड़े उतारे हैं। पीड़ित परिवार का दावा यह भी है कि, आरोपियों ने हमारे खेत की फसल को टैक्टर चढ़ा कर नष्ट कर दिया।
इस घटना में एक वीडियो भी हमारे सामने आया है। वीडियो में खेत पर बैठी दो महिलाएं चीख-चीख कर रो रहीं हैं। अपना दर्द बयां कर रही हैं। रोती बिलखती महिलाओं को देखकर लग रहा है कि, उनका दर्द वे ही जानती हैं।
इस घटना पर एफआईआर भी दर्ज की गयी है। एफआईआर में पीड़ित शिकायतकर्ता का नाम हरी सहरिया (उम्र 38 वर्ष) दर्ज है। यह मामला एससी-एसटी एक्ट अधिनियम (1989) संशोधन 2015 के तहत दर्ज किया गया है। वहीं, प्राथमिक सूचना रिपोर्ट पर दिनांक 05/01/2025 अंकित है।
एफआईआर की प्रति में लिखा गया कि, ग्राम करेली के फरियादी हरी सहरिया ने अपने भाई ज्ञानी सहरिया और भतीजे राजू सहरिया की उपस्थिति में थाना सिरसी जिला गुना में एक लिखित आवेदन प्रस्तुत किया। आवेदन में दर्ज़ है कि, हमारी वरखेड़ा के हार में ज़मीन हैं।
इस जमीन के संबंध में हमारा नगदा के यादव समाज के आरोपियों से विवाद चल रहा था। 05/01/2025 की तारीख़ रात्रि करीब 2 बजे से 2:30 बजे हमारे खेत की झोंपड़ी पर कुछ आरोपी टैक्टर लेकर आये और हमारा खेत जोतने लगे। जब हमने उन्हें खेत जोतने से रोका तो आरोपी हमें मां-बहन की गंदी-गंदी गालियां देने लगे। वहीं, जातिसूचक गालियां देकर कहने लगे कि, तुम्हारी औकात ज्यादा बढ़ गयी है।
एफआईआर में आगे उल्लेख है कि, जब पीड़ितों ने आरोपियों को गालियां देने से रोका तो आरोपियों ने हमें (पीड़ितों को) डंडों व लात-घूंसों से मार-पीट की। इस मार-पीट में हमें काफी चोटें आयीं हैं।
लड़ाई-झगड़े की आवाज सुनकर हमारे (पीड़ितों के) गांव के रामकेश सहरिया, केसरी सहरिया व अन्य लोग आये। जिन्होंने बीच-बचाव किया व घटना देखी। इसके बाद आरोपी ने जाते-जाते कहा कि, सहरियो आज तो बच गए अगली बार इस खेत पर मत दिखना, नहीं तो जान से खत्म कर देंगे।
वहीं, इस एफआईआर में महिलाओं पर पेशाब करने और बिजली से करंट लगाने का जिक्र नहीं है।
वहीं, जिन यादव समाज के लोगों पर मार-पीट का आरोप लग रहा है।
उन्होंने भी एक एफआईआर थाना सिरसी में दर्ज करवायी है। एफआईआर पर 05/01/2025 दर्ज है। इस एफ आई आर में यादव परिवार के इंद्रभान सिंह यादव के बयान के मुताबिक दर्ज है कि, इस घटना में हमें गंदी-गंदी गालियां दी गयीं।
सहरिया लोगों ने मेरे साथ मारपीट की, जिससे मुझे सिर पर चोट आयी और खून निकल आया। हमें जान से मारने की धमकी भी दी गयी। इस घटना को वीरेंद्र यादव, शिशुपाल यादव और राकेश पटेलिया ने देखा और बीच-बचाव किया।
जब हमने इस घटनाक्रम में पीड़ित परिवार का दुःख जानते हुए परिजनों से बातचीत की, तब पीड़ित ज्ञानी सहरिया अपना दर्द बताते हुए कहते हैं कि, ‘पट्टे की 10 बीघा ज़मीन पर हम अपने बुजुर्ग पीढि़यों के समय से खेती करते आ रहे थे।
बेटे की शादी के लिए हमने यह 10 बीघा जमीन 60 हजार रुपए में चंद्रभान सिंह यादव को 2 वर्ष के लिए ठेका पर दे दी। जब दो वर्ष पूर्ण हो गये तब हमने पिछले वर्ष अपनी जमीन पर गेहूं बोया। उन्होंने भी कह दिया था कि अब तुम अपनी खेती करो। तब हम गेहूं बो कर खेती करने लगे।’
ज्ञानी आगे कहते हैं कि, ‘अब हमारे खेत में गेहूं उग आया है, लेकिन आरोपी हमारी जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं। आरोपी मेरी जमीन को अपनी जमीन कहते हैं। जबकि, जमीन का पट्टा हमारे पास है। इसी विवाद को लेकर तारीख 05/01/2025 रात्रि 2 बजे के करीब यादव परिवार ने हमें मारा-पीटा। वहीं, हमें जान से मारने की भी कोशिश की।,
जब हमने पीड़ित ज्ञानी सहरिया की पत्नी प्रेमबाई सहरिया से घटना पर चर्चा की, तब वह दुखी मन से कहतीं हैं कि, ‘घटना में हमारे परिवार जनों को बेरहमी से मारा-पीटा गया है। हमें दचक-दचक कर, पटक-पटक कर हमारा पेटीकोट और साड़ी उतार दी गयी। हम पर और हमारी बच्ची पर व हमारी देवरानी पर आरोपियों ने पेशाब किया है।,
प्रेमबाई आगे बोलतीं हैं कि, ‘हमारे साथ जो हुआ वो किसे और कैसे कहें? हम पर हुए अत्याचार से समझ नहीं आ रहा कि, हम मरे या जियें? हमारे छोटे-छोटे बच्चे हैं। हम उनकी ज़िंदगी देख रहे हैं। अब बस हमारी आंखों को न्याय का इंतजार है। हम गरीब आदमी हैं। हमारे साथ जो हुआ उस पर प्रशासन न्याय करे।,
ज्ञानी के छोटे भाई हरी सहरिया घटना पर अपना दर्द रखते हुए बोलते हैं कि, ‘हम खेत में झोंपड़ी बनाकर गेहूं की रखवाली कर रहे थे। शनिवार की रात 2 बजे जब मैं सोया था, तब दो टैक्टर मेरी झोंपड़ी के पास आए। टैक्टर चालकों ने टैक्टर मेरी झोंपड़ी में अड़ा दिए। तब हम टैक्टर सवार लोगों को देखकर घबराकर झोंपड़ी से बाहर भागे। भागते-भागते हम अपने खेत से दूर पहुंचे। तब कुछ लोगों ने हमें घेर लिया। फिर, उन लोगों ने हमें लाठियों से बेरहमी से पीटा। हमें बहुत पीटा गया।,
हरी आगे दावा करते हुए बयां करते हैं कि, ‘आरोपी लोग हमें बिजली ट्रांसफार्मर के पास ले आए। फिर, आरोपी हमें ट्रांसफार्मर से करंट लगाने की कोशिश करने लगे। इसके साथ आरोपियों ने कहा कि, इन्हें करंट लगा दो, तो ये मर जायेंगे और कह देंगे, हमने नहीं मारा। करंट से मरे हैं।
लेकिन, उस वक्त लाइट नहीं थी। तब आरोपियों ने मेरी और मेरे भाई की पत्नी के कपड़े उतारे गए। दोनों महिलाओं के कपड़े उतारने के बाद आरोपी दरिंदों ने महिलाओं को नीचे पटक-पटक के उनके ऊपर पेशाब किया। आगे आरोपियों ने हमारी फसल पर टैक्टर चढ़ा-चढा़ कर उसे नष्ट कर दिया है।,
हरी आगे व्यक्त करते हैं कि, ‘आरोपियों की इस बर्बर मार-पीट में मुझे हाथ-पैर और पीट में चोटें आयीं हैं। वहीं, हमारे भाई को भी चोटें आयीं हैं। भाई के हाथ-पांव की उंगलियों पर गंभीर चोटें आयीं हैं। हमारे साथ हमारा लड़का भी था। लड़के को भी पीठ और शरीर के अन्य हिस्सों में चोटें आयीं हैं। इस स्थिति में अभी अस्पताल में भर्ती है।,
आगे हमें हरी की पत्नी बताती हैं कि, ‘आरोपियों ने हमारे पति सहित परिवार जनों की लाठियों से बहुत पिटाई की। परिवार के लोगों को इतना मारा गया कि, वे बेहोश हो गये। आरोपी करंट से हमारे परिजनों को मारना चाहते थे, पर बिजली नहीं थी तो वे नाकाम हो गये। फिर, आरोपियों ने हम महिलाओं के कपड़े उतारकर नहर में फेंक दिए और हमारे ऊपर पेशाब की। आरोपियों ने हमारी बहुत बुरी गत की।,
आगे हमने भू-अधिकार पर कार्यरत संस्था एकता परिषद के गुना संयोजक सूरज सहरिया से इस घटना पर बात की। सूरज ने पीड़ितों से मुलाकात कर उनका हाल जाना था। घटना पर सूरज का विचार यह है कि, ‘इस घटना में सहरिया परिवार के पांच सदस्यों के साथ मार-पीट की गयी है। पूरे मामले पर जल्द ही हम एक ज्ञापन प्रशासन को देंगें। ताकि, भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हो।,
वहीं, इस पूरे घटनाक्रम पर गुना के पत्रकार हेमराज जाटव अपनी राय रखते हुए हमें बताते हैं कि, ‘शासन-प्रशासन ने घटना की जांच-पड़ताल की है। आशा है कि, पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा। गुना के अंदर इस तरह की घटना कोई नयी घटना नहीं है। ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। हाल ही में मैंने ज़मीन की वजह से मार-पीट की एक घटना कवर की है। ये घटनाएं जमीन पर कब्जा करने की घटनाएं होती हैं। इसलिए इन घटनाओं में मार-धाड़ हो जाती है।,
हेमराज आगे कहते हैं कि, ‘आदिवासी सहरिया सहित अन्य लोगों के साथ जमीन विवाद पर होती मारपीट की घटनाओं पर प्रशासन को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। ऐसी घटनाओं के प्राथमिक स्तर पर आवेदन आने के बाद प्रशासन को सख़्ती से कार्रवाई करनी चाहिए। ताकि घटनाओं में मारपीट ना हो और लोगों के साथ न्याय हो सके।,
वहीं, इस घटना पर बंधुआ मुक्ति मोर्चा के गुना कार्यकर्ता नरेन्द्र भदौरिया बयां करते हैं कि, ‘गुना के ग्रामीण इलाकों में दबंगई ज्यादा है। इन इलाकों में आदिवासी लोगों की जो जमीनें है। उन पर दबंग कब्जा करना चाहते हैं। जमीन विवाद के कई मामले तो प्रशासन तक के समकक्ष नहीं आ पाते। ऐसे विवादों में दबंग दबंगई करके हाईकोर्ट तक से जमानत करवा लेते हैं।,
नरेंद्र भदौरिया आगे बोलते हैं कि, ‘हम लोग आदिवासी वर्ग के भू-अधिकारों को लेकर कई बार रैली निकाल चुके हैं। हमारी प्रशासन से यही मांग रहती है कि, आदिवासी वर्ग के लिए जो नियम-कानून हैं, उनका ढंग से क्रियान्वयन हो। ताकि, इस तरह की घटनाएं ना हो सकें।,
वहीं, हमने घटना पर आरोपी यादव परिवार का पक्ष जानने की भी कोशिश की। उनके संपर्क भी तलाशे। लेकिन, हमारी उनसे बात नहीं हो पायी।
इस घटनाक्रम पर हमने सिरसी थाना के पुलिस अधिकारियों से भी बात करने की कोशिश की। लेकिन, एक अफसर का फोन स्विचऑफ आया। वहीं, और अफसरों से भी हमने बात करने की कोशिश की। मगर, हमारा संपर्क नहीं हो सका।
लेकिन, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि, यह मामला सहरिया और यादव परिवार के बीच जमीन विवाद का मामला था। जिसमें सहरिया समुदाय का प्रकरण दर्ज कर लिया गया है। प्रकरण के मुताबिक, विवेचना की जा रही है। विवेचना में जो आयेगा। उसके आधार पर मामले में कार्रवाई की जायेगी।
(सतीश भारतीय मध्यप्रदेश के एक स्वतंत्र पत्रकार हैं, गुना से उनकी ग्राउंड रिपोर्ट)
+ There are no comments
Add yours